दयाराम वशिष्ठ
उत्तर प्रदेश की पीतल नगरी मुरादाबाद के रहने वाले 75 वर्षीय दिलशाद हुसैन हस्तकला के क्षेत्र में एक मिशाल बन चुके हैं. पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित यह कलाकार अपनी पुस्तैनी कला को तीन पीढियों से परिवार सहित आगे बढ़ा रहे हैं.
एक समय था, जब दिलशाद हुसैन काम सीखते वक्त 100 से 200 रुपये कमा पाते थे, लेकिन आज इनके परिवार के सभी सदस्य एक बेहतर कारीगर के रूप में पहचाने जाते हैं. जो प्रति महीने लाखों रूपए कमा रहे हैं. परिवार के ज्यादातर सदस्य ऐसे हैं, जिन्हें कोई न कोई अवार्ड मिल चुका है.
कड़ी मेहतन और लगन के चलते धातु कला में बेहतर कलाकारी की बदौलत दिलशाद हुसैन ने न केवल देश-विदेशों तक में अपनी अलग पहचान बनाई. अपितु इस बेहतर धातु कला प्रदर्शित करने पर इन्हें पदमश्री अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है.
लखनऊ प्रदर्शनी में उनके स्टाल का अवलोकन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी घडे पर की गई उनकी कलाकारी पसंद आई. परिणामस्वरूप, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस कलाकार द्वारा बनाया गया धातु का घडा जर्मनी यात्रा के दौरान जर्मनी की चांसलर को भेंट किया था.
यह कलाकार अपनी कलाकृतियों के बलबूते अब तक देश विदेश में जाकर अपनी कलाकृति का बखूबी बेहतर प्रदर्शन कर चुके हैं. पर्यटक इनकी धातु कला को बारीकी से निहारते वक्त दंग रह जाते हैं.
घर के सदस्यों को मिले 7 अवार्ड
दिलशाद हुसैन की पीढी भी इसी कला के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ रही है. कला में बेहतर प्रदर्शन करने पर परिवार के सदस्य अब तक 7 अवार्ड हासिल कर चुके हैं.
दिलशाद हुसैन के बेटे रेहान अली ने बताया कि इस कला में उनकी माता रुखसाना बेगम, भाभी चमन जहां, बहन तयैबा, अरशद बड़े भाई, चाचा फैयाद हुसैन व शहजाद अली अवार्ड लेने वालों में शामिल हैं.
कभी करते थे 100 व 200 की मजदूरी
दिलशाद हुसैन के 22 वर्षीय बेटे रेहान अली ने बताया कि पहले वह मेहनत-मजदूरी करते थे. उस समय मुश्किल से 100 व 200 रूपये की मजदूरी मिल पाती थी, लेकिन धीरे-धीरे मेहतन करने का परिणाम सामने आया.
अब वे प्रति महीने औसतन एक लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं. वह भी पढाई करने के साथ-साथ घर के इस काम में हाथ बंटाते हुए इस कला को सीखने लगा.
पहले उन्होंने छोटे आयटम पर डिजाइन बनाना शुरू किया, अब उन्होंने पढाई छोड़कर अपना यह कारोबार संभाल लिया है. इसके बाद अब उन्होंने भी बड़ी-बड़ी डिजाइन बनाना शुरू कर दिया है.
500 से 600 तरह के आयटम
युवा कारोबारी रेहान अली ने बताया कि अब तक उन्होंने देश विदेश में धातु की कलाकृतियों को बखूबी प्रदर्शित किया है. इन कलाकृतियों में बर्तन, फ्लावर पॉट, हुक्का आदि शामिल हैं. सबसे पहले उन्होंने पीतल में कैंडल लाइट का काम शुरू किया.
इसके बाद अब करीब 500 से 600 आयटम किसी भी मेले में बिक्री के लिए सजाए जाते हैं. स्टॉल पर अक्सर पर्यटक 50 रुपए से 20 हजार रुपए तक की सुंदर धातु की कलाकृतियों की खरीददारी में दिलचस्पी दिखाते हैं.
दे रहे ट्रैनिंग
दिलशाद हुसैन इस कलां को आगे बढाने में कोई कोर कसर नहीं छोड रहे हैं. इनके यहां हर समय 30 से 35 युवा इस कला को सीखने का काम कर रहे हैं. ट्रैंड होने के बाद ऐसे युवा अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इसी तरह 15 से 20 कारीगर भी इनके यहां काम करते रहते हैं.
पदमश्री अवार्ड से खुश हुआ पूरा परिवार
दिलशाद हुसैन को धातु शिल्प कला को बढावा देने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा वर्ष 2023 के लिए पद्मश्री अवॉर्ड से पुरस्कृत किया गया है. जिस समय यह अवार्ड मिला, तो पूरे परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. युवा कारोबारी कहते हैं कि अब वे पिता की कला को आगे बढाने में दिन-रात मेहतन करने से पीछे नहीं हटते.