जन्माष्टमी 2024 शुभ मुहूर्त कब है?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 25-08-2024
Happy Janmashtami
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राकेश चौरासिया  

भारत एक ऐसा देश है, जहां हर त्योहार का अपना विशेष महत्व और महत्ता है. इन्हीं महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जन्माष्टमी, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. 2024 में यह पावन पर्व 26 अगस्त को मनाया जाएगा. भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है, जो इस बार 26 अगस्त को पड़ रही है.

वैदिक पंचांग के आधार पर, इस साल 26 अगस्त को तड़के 3 बजकर 39 मिनट पर भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी. यह तिथि 27 अगस्त को तड़के 2 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, जन्माष्टमी 26 अगस्त दिन सोमवार को है.

जन्माष्टमी 2024 शुभ मुहूर्त

26 अगस्त सोमवार को जन्माष्टमी के दिन मुहूर्त रात 12.01 बजे से 12.45 बजे तक है. यह निशिता मुहूर्त है. लड्डू गोपाल के जन्मोत्सव के लिए इस साल 45 मिनट तक का शुभ समय है. उस दिन पूरे समय व्रत रखा जाएगा और फिर रात में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव होगा.

सर्वार्थ सिद्धि योग

इस साल की जन्माष्टमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर में 3 बजकर 55 मिनट से शुरू होगा और यह 27 अगस्त को सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक रहेगा. ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा.

जन्माष्टमी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

जन्माष्टमी का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है. भगवान श्रीकृष्ण, जो विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं, ने इस दिन मथुरा के कारागार में राजा कंस की बहन देवकी और वसुदेव के घर जन्म लिया था. जन्माष्टमी का पर्व केवल भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में ही नहीं, बल्कि उनके द्वारा दिए गए उपदेशों और जीवन मूल्यों के अनुसरण के रूप में भी मनाया जाता है.

श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, जो न केवल धर्म और कर्तव्य का सार है बल्कि मानव जीवन की संपूर्ण दिशा भी देता है. इसलिए जन्माष्टमी का पर्व केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह धर्म, कर्तव्य और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है.

जन्माष्टमी का धार्मिक अनुष्ठान

जन्माष्टमी के दिन भक्तजन व्रत रखते हैं और भगवान कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. इस दिन व्रत रखने की परंपरा इसलिए है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था. व्रतधारी इस दिन निर्जल या फलाहार व्रत रखते हैं और रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय विशेष पूजा करते हैं.

पूजा के समय घरों और मंदिरों में भगवान कृष्ण की मूर्तियों को झूलों में रखा जाता है और उन्हें विशेष वस्त्र और आभूषणों से सजाया जाता है. भगवान कृष्ण के जन्म के समय घंटी बजाई जाती है, शंखनाद होता है और आरती की जाती है. इसके बाद भक्तजन प्रसाद वितरण करते हैं और अपना व्रत समाप्त करते हैं.

मंदिरों में विशेष आयोजन

जन्माष्टमी के अवसर पर देशभर के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और कार्यक्रमों का आयोजन होता है. मथुरा और वृंदावन में इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि यही भगवान कृष्ण की जन्मस्थली और लीलास्थली मानी जाती है. मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर में जन्माष्टमी के अवसर पर लाखों भक्तों का जमावड़ा होता है. यहां की भव्य झांकियां और रंगारंग कार्यक्रम श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं.

वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में भी जन्माष्टमी का उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. यहां भगवान कृष्ण के बाल रूप की झांकी सजाई जाती है और भक्तजन श्नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल कीश् के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठता है.

दही हांडी की परंपरा

जन्माष्टमी का एक और महत्वपूर्ण आकर्षण है दही हांडी, जो खासतौर पर महाराष्ट्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. यह परंपरा भगवान कृष्ण के माखन चुराने की लीला से प्रेरित है. इस दिन युवाओं की टोली एक पिरामिड बनाकर ऊंचाई पर बंधी मटकी को फोड़ने का प्रयास करती है.

मुंबई में दही हांडी की प्रतियोगिता विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जहां हजारों की संख्या में लोग इस प्रतियोगिता को देखने के लिए उमड़ते हैं. इस अवसर पर गोविंदा पथकों द्वारा मटकी फोड़ने के बाद उन्हें इनाम दिए जाते हैं.

2024 की विशेष तैयारियां

2024 में जन्माष्टमी के लिए विशेष तैयारियां की जा रही हैं. इस साल, विशेष रूप से मथुरा, वृंदावन, मुंबई और अन्य प्रमुख शहरों में जन्माष्टमी का पर्व बड़े पैमाने पर मनाने की योजनाएं हैं. मंदिरों में विशेष सजावट की जा रही है और भक्तजन भी अपने घरों में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों को सजाने में लगे हुए हैं.

भगवान कृष्ण के जीवन से सीखें

भगवान श्रीकृष्ण का जीवन और उनके उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने अपने समय में थे. उन्होंने धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश दिया था और गीता में कहा था कि कर्तव्य का पालन करना ही सच्चा धर्म है.

आज के समय में, जब समाज में विभिन्न प्रकार की चुनौतियां और संघर्ष हैं, भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश हमें धैर्य और साहस के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं. जन्माष्टमी का पर्व हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेने और उनके उपदेशों को अपने जीवन में अपनाने का अवसर प्रदान करता है.

जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, लेकिन यह केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है. यह पर्व हमें धर्म, कर्तव्य और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है. 2024 में जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी और इस अवसर पर देशभर में भक्तजन विशेष पूजा-अर्चना और उत्सव मनाने की तैयारी में जुटे हुए हैं.

भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश और जीवन हमारे लिए मार्गदर्शक हैं और जन्माष्टमी का पर्व हमें उनके उपदेशों को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा देता है. सभी भक्तों के लिए यह दिन भगवान कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है और वे इस दिन को भक्तिभाव से मनाने की तैयारी में जुटे हुए हैं.