When is it announced that 'the new Pope has been found', how is the religious leader of Catholic Christians elected?
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
पोप फ्रांसिस का सोमवार सुबह निधन हो गया जो प्रथम लैटिन अमेरिकी पोप थे और जिन्होंने अपने करिश्माई व्यक्तित्व, विनम्र स्वभाव तथा गरीबों के प्रति चिंता के साथ पूरी दुनिया में लोगों पर अमिट छाप छोड़ी. वह 88 वर्ष के थे.
कार्डिनल केविन फेरेल ने घोषणा की, ‘‘रोम के बिशप, पोप फ्रांसिस आज सुबह 7.35 बजे यीशु के घर लौट गए. उनका पूरा जीवन यीशु और उनके चर्च की सेवा के लिए समर्पित था.’’ पोप फ्रांसिस ने कार्डिनल फेरेल वेटिकन को कैमरलेंगो घोषित किया था. कैमरलेंगो की पदवी उन कार्डिनल या उच्चस्तरीय पादरी को दी जाती है जो पोप के निधन या उनके इस्तीफे की घोषणा के लिए अधिकृत होते हैं.
फेफड़े की गंभीर समस्या से ग्रस्त फ्रांसिस को श्वसन संबंधी दिक्कतों के चलते 14 फरवरी, 2025 को गेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था. युवावस्था में उनके फेफड़े के एक हिस्से को निकालना पड़ा था. वह 38 दिन तक अस्पताल में रहे जो पोप के रूप में उनके 12 साल के कार्यकाल में अस्पताल में भर्ती होने की सबसे बड़ी अवधि है.
ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि नया पोप कौन बनेगा? नए पोप के लिए चुनाव कैसे होते हैं? वो कौन से नियम होते हैं, जिनके तहत चुनाव प्रक्रिया होती है?
दरअसल, नियमों के तहत 80 साल से कम उम्र के 115 कार्डिनल ही नए पोप के चुनाव में वोट दे सकते हैं. यह चुनाव वेटिकन सिटी के सिस्टीन चैपेल में किया जाता है और इसके चुनाव में सबसे खास बात ये हैं कि पोप पुरुष ही बन सकता है, हालांकि इसके लिए कोई उम्र निर्धारित नहीं की गई है. किसी कार्डिनल को दो-तिहाई वोट मिलने तक मतदान होता है. यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है, जब तक किसी भी कार्डिनल को 77 कार्डिनल्स के वोट नहीं मिल जाते हैं. इसके बाद ही नए पोप का चयन होता है.
यही वजह है कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि पहले दिन की वोटिंग में ही नया पोप मिल जाए. यह प्रक्रिया काफी लंबी चल सकती है. चुनाव में गुप्त मतदान के जरिये कागज के मत-पत्रों द्वारा वोटिंग की जाती है.
कैसे बनते हैं समूह?
चुनाव के लिए तीन-तीन कार्डिनल्स के तीन समूह बनाए जाते हैं. पहला समूह स्क्रूटनियर्स मत पत्रों को गिनता है. दूसरा समूह रिवाइजर मतों की फिर से गिनती करता ह. तीसरा समूह इन्फर्मी अन्य कॉर्डिनल्स से बैलट जमा करता है. हर कार्डिनल दिन में चार बार वोट डालते हैं. स्क्रूटनियर बैलट गिनकर दूसरी प्लेट में रखता है. वह यह सुनिश्चित करता है कि सभी कार्डिनल्स ने वोट दे दिए हैं. हर बैलट से एक स्क्रूटनियर नाम नोट करके दूसरे को देता है. दूसरे स्क्रूटनियर भी ऐसा ही करता है. इसके बाद तीसरा स्क्रूटनियर हर कॉर्डिनल का नाम को कॉन्क्लेव में बोलता है. यह प्रक्रिया दो-तिहाई वोट नहीं मिलने तक चलती रहती है.
कब होती है धर्मगुरु की घोषणा?
एक रिपॉर्ट के मुताबिक, हर चरण की वोटिंग के बाद बैलेट पेपर्स को एक खास केमिकल डालकर जला दिया जाता है, जिससे काला या सफेद धुआ चिमनी से बाहर आता है. चिमनी से काला धुंआ निकलने का मतलब है कि चुनाव प्रक्रिया अभी चल रही है. वहीं, पोप का चयन हो जाने के बाद मतपत्रों को दूसरे स्पेशल केमिकल से जलाया जाता है, जिससे चिमनी से सफेद धुंआ निकलता है. साथ ही पोप चुनने के बाद कार्डिनल अपने लिए एक नए नाम का चयन करते हैं. इसके बाद 'नए पोप मिल गए' की घोषणा होती है और फिर नए पोप पूर्व निर्धारित कपड़े पहनकर बैसिलिका की बालकनी में आते हैं, जहां हजारों बेताब लोग उनकी पहली झलक पाने का इंतजार करते हैं. वह दुनियाभर में बसे करोड़ों कैथोलिक ईसाइयों के धर्मगुरु होते हैं.