साल 1993 की बात है. हर रोज अखबारों में हिंदू-मुस्लिम दंगों, पुलिस गोलीबारी और बमबारी की खबरें छपती थीं. पृष्ठभूमि राम जन्मभूमि आंदोलन और उसके बाद बाबरी मस्जिद विध्वंस थी. सरकार ने उस समय के सबसे लोकप्रिय फिल्म निर्माताओं में से एक, सुभाष घई से पूछा कि क्या फिल्म बिरादरी घातक सांप्रदायिकता की आग को बुझाने में मदद कर सकती है.
घई को लगा कि अभिनेताओं का टेलीविजन पर आकर शांति की अपील करने का विचार काम नहीं करेगा.इसलिए घई जावेद अख्तर के पास गए. उनसे राष्ट्रीय एकता पर एक गीत लिखने को कहा. लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने संगीत तैयार किया. परिणामस्वरुप एक गीत घातक बॉम्बे बम विस्फोट के तीन सप्ताह बाद दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया.
प्यारा भारत ये कहे...शीर्षक वाला यह 200 सेकंड लंबा गाना दंगों के परिणामस्वरूप जले हुए घरों के एक शॉट के साथ शुरू होता है जिसके तुरंत बाद जैकी श्रॉफ 3 साल के टाइगर श्रॉफ के साथ नजर आते हैं.
मनहर उधास की आवाज में गाने की शुरुआत जैकी द्वारा टाइगर के लिए गाने से होती है - सुन सुन सुन मेरे नन्हें सुन, सुन सुन सुन मेरे मुन्ने सुन, प्यार की गंगा बहे, देश में एकता रहे. इसके बाद इस गाने को मोहम्मद अजीज, उदित नारायण और जॉली मुखर्जी आगे बढ़ाते हैं.
इस गीत में उस समय के कई सक्रिय फिल्म अभिनेता शामिल हुए. अनिल कपूर ने सोनम कपूर के लिए गाना गाया. ऋषि कपूर रणबीर कपूर के साथ नजर आए. घई का मानना था कि अगर ये कलाकार अपने वास्तविक बच्चों को आकर्षित करते नजर आएंगे तो इसका ज्यादा असर होगा.
गाने में गोविंदा, नसीरुद्दीन शाह, आमिर खान, सलमान खान, सचिन, रजनीकांत, चिरंजीवी, मैमोटी हैं. इस राष्ट्र निर्माण परियोजना के लिए किसी अभिनेता, गायक या किसी कलाकार ने कोई पैसा नहीं लिया.
संदेश देने के लिए बीच-बीच में दंगाग्रस्त शहरों के शॉट्स का इस्तेमाल किया गया. हिंसा रोकने का संदेश तब स्पष्ट था जब आमिर खान (उदित नारायण की आवाज में) गाते नजर आए, खत्म काली रात हो, रोशनी की बात हो और उसके बाद गोविंदा गाते हुए नजर आए, दोस्ती की बात हो, जिंदगी की बात हो. सलमान खान एक बच्चे से कह रहे हैं, बात हो इंसान की, बात हिंदुस्तान की.
गाने में कहा गया, अब ना दुश्मनी फीकी, अब ना कोई घर जले, अब नहीं उजड़े सुहाग, अब नहीं फैली ये आग ... चरमोत्कर्ष पर बच्चों की भीड़ के दावे के अनुसार एक कोरस गाता है, सारे बच्चे , सारे बूढ़े और जवान, यानी सारा हिंदुस्तान, एक मंजिल पर मिले, एक साथ फिर चले, एक साथ फिर रहे, एक बार फिर कहे, प्यार की गंगा बहे , देश में एकता रहे (ये सभी लड़के-लड़कियां, सभी बूढ़े और जवान, यानी पूरा भारत, आओ एक लक्ष्य पर मिलें, चलो एक बार फिर साथ चलें, चलो एक बार फिर कहें, प्यार की गंगा बहे, देश एकजुट रहना चाहिए).
इस गीत का आम भारतीयों पर क्या प्रभाव पड़ा इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है लेकिन सहसंबंध से पता चलता है कि 1993 के बाद भारत में घातक दंगों में भारी गिरावट आई है. दंगों में हताहतों की संख्या में इस कमी के पीछे अन्य कारक भी हो सकते हैं लेकिन यह भी एक कारण है.
तथ्य यह है कि इस गीत के रिलीज होने के बाद एक दशक में भारत कहीं अधिक शांतिपूर्ण रहा जब दूरदर्शन ने नियमित रूप से यह गीत बजाया.