राकेश चौरासिया
शब-ए-बारात क्षमा, रहमत और बरकत की रात है. इस्लाम में एक महत्वपूर्ण रात है. यह रात 15वीं शाबान को मनाई जाती है. इस रात को अल्लाह अपनी अपार कृपा बरसाते हैं, गुनाहों को माफ करते हैं और दुआओं को स्वीकार करते हैं.
शब-ए-बारात में क्या करें?
शब-ए-बारात का इतिहास पैगंबर मुहम्मद के समय से जुड़ा हुआ है. माना जाता है कि इस रात पैगंबर मुहम्मद को अल्लाह ने जन्नत की सैर कराई थी. शब-ए-बारात की रात को एक आध्यात्मिक अनुभव माना जाता है. इस रात को हमें अपने गुनाहों से तौबा करनी चाहिए, अल्लाह से क्षमा याचना करनी चाहिए और अच्छे कामों का संकल्प लेना चाहिए.
नमाज और दुआः रात भर नमाज और दुआ करने का विशेष महत्व है.
तिलावत-ए-कुरानः कुरान की तिलावत करें और उसकी शिक्षाओं पर अमल करने का संकल्प लें.
खास इबदातः इस रात में कुछ लोग विशेष नमाज जैसे कि नमाज-ए-तहज्जुद और नमाज-ए-चश्त भी पढ़ते हैं. कुछ लोग इस रात में तरावीह की नमाज भी पढ़ते हैं.
गुनाहों की माफीः अपने गुनाहों के लिए अल्लाह से क्षमा याचना करें.
दान और खैरातः गरीबों और जरूरतमंदों को दान और खैरात करें.
रोजाः अगले दिन सुबह से सूर्यास्त तक रोजा रखें.
पूर्वजों के लिए दुआः अपने पूर्वजों और मृतक रिश्तेदारों के लिए दुआ करें.
माफी मांगनाः जिन लोगों से आपने गलती की हो, उनसे माफी मांगें.
कब्रिस्तान जानाः कुछ लोग कब्रिस्तान जाते हैं और अपने मृतक रिश्तेदारों की कब्रों पर फूल चढ़ाते हैं और उनके लिए दुआ करते हैं.
दीप जलानाः कुछ लोग घरों, कब्रों और मस्जिदों में दीप जलाते हैं.
खास पकवानः इस रात में कुछ लोग विशेष व्यंजन भी बनाते हैं जैसे कि हलवा, शीर और खीर.
शब-ए-बारात का महत्व
क्षमा की रातः यह रात अल्लाह से क्षमा याचना करने का सबसे अच्छा समय है.
रहमत की रातः इस रात अल्लाह अपनी अपार कृपा बरसाते हैं.
बरकत की रातः इस रात में किए गए अच्छे कामों का फल कई गुना बढ़ जाता है.
इस रात को मस्जिदों में विशेष नमाज और दुआएं आयोजित की जाती हैं. आप अपनी सुविधानुसार मस्जिद में जाकर इन कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं. यदि आप मस्जिद नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही नमाज और दुआ कर सकते हैं. आप शब-ए-बारात के महत्व पर आधारित पुस्तकें भी पढ़ सकते हैं. यह रात हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती है. हमें इस रात का सदुपयोग करना चाहिए.
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