राकेश चौरासिया
शरद नवरात्रि-2024 का प्रारंभ 3 अक्टूबर 2024 को हो रहा है, जो हिंदू धर्म में आद्य शक्ति ‘देवी दुर्गा’ की आराधना का प्रमुख पर्व है. इस पर्व को पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. नवरात्रि के नौ दिन भक्त माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं, जिन्हें नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है.
नवरात्रि का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
नवरात्रि शब्द का अर्थ होता है ‘नौ रातें’. यह पर्व साल में दो बार आता है - एक चौत्र नवरात्रि और दूसरा शरद नवरात्रि. चैत्र नवरात्रि वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जबकि शरद नवरात्रि शरद ऋतु के आगमन को दर्शाती है. धार्मिक दृष्टिकोण से शरद नवरात्रि का महत्व अत्यधिक है. इसे देवी दुर्गा की शक्तियों और उनके विविध रूपों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का पर्व माना जाता है.
इन नौ दिनों में माता के भक्त व्रत रखते हैं, घरों और मंदिरों में देवी की प्रतिमा स्थापित की जाती है,और दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है. इसके अतिरिक्त, धार्मिक अनुष्ठान और देवी आरती के साथ-साथ नवरात्रि में गरबा और डांडिया रास जैसी सांस्कृतिक गतिविधियां भी देखने को मिलती हैं.
घट स्थापना (कलश स्थापना) का महत्व
शरद नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना से होती है, जिसे शुभ मुहूर्त में किया जाना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. घट स्थापना के दौरान एक कलश, जिसे शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, स्थापित किया जाता है. यह कलश देवी दुर्गा की प्रतीकात्मक प्रतिमा मानी जाती है और इसमें नारियल, आम के पत्ते और मिट्टी भरकर रखी जाती है.
घट स्थापना नवरात्रि के धार्मिक अनुष्ठानों की आधारशिला होती है. इस अनुष्ठान के साथ ही नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना प्रारंभ होती है. सही मुहूर्त में घट स्थापना करना आवश्यक है, ताकि माता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त हो सके.
नवरात्र की घट स्थापना (कलश स्थापना) का शुभ मुहूर्त विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि यही वह समय होता है, जब मां दुर्गा की उपासना की शुरुआत की जाती है.
पहला शुभ मुहूर्त - 3 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 22 मिनट तक है. सुबह के समय घट स्थापना के लिए आपको 1 घंटा 6 मिनट का समय मिलेगा.
दूसरा शुभ मुहूर्त - 3 अक्टूबर की दोपहर में अभिजीत मुहूर्त है. यह बहुत ही शुभ माना जाता है. यह सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा. इस बीच कभी भी कलश स्थापना कर सकते हैं. दोपहर में आपको 47 मिनट का शुभ समय मिलेगा.
इस दौरान घट स्थापना करने से घर में शांति, समृद्धि और सुख का वास होता है. घट स्थापना के लिए विशेष रूप से प्रातःकाल का समय सर्वोत्तम माना जाता है, जब सूर्य उदय होता है और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है.
घट स्थापना की विधि
शरद नवरात्रि के नौ दिन देवी के नौ रूपों की पूजा होती है, जिन्हें नवदुर्गा के रूप में जाना जाता है. हर दिन का अपना विशेष महत्व और पूजा विधि होती है.
प्रथम दिन शैलपुत्री - नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा होती है. इन्हें पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना जाता है. यह दिन शक्ति प्राप्त करने के लिए समर्पित होता है.
द्वितीय दिन ब्रह्मचारिणी - दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, जो तपस्या और ध्यान की देवी हैं. यह दिन साधना और अनुशासन का प्रतीक है.
तृतीय दिन चंद्रघंटा - तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी की पूजा की जाती है. यह दिन साहस और वीरता का प्रतीक होता है.
चतुर्थ दिन कूष्मांडा - चौथे दिन देवी कूष्मांडा की पूजा होती है, जिन्हें ब्रह्मांड की सृजक माना जाता है. यह दिन ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक होता है.
पंचम दिन स्कंदमाता - पाँचवे दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है. यह दिन मातृत्व और करुणा का प्रतीक है.
षष्ठी दिन कात्यायनी - छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है. यह दिन स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक होता है.
सप्तमी दिन कालरात्रि - सातवें दिन कालरात्रि की पूजा होती है. यह दिन बुरी शक्तियों से सुरक्षा का प्रतीक होता है.
अष्टमी दिन महागौरी - आठवें दिन महागौरी की पूजा होती है. यह दिन पवित्रता और ज्ञान का प्रतीक होता है.
नवमी दिन सिद्धिदात्री - नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. यह दिन सिद्धि और आशीर्वाद का प्रतीक होता है.
नवरात्रि का समापन और विजयादशमी
यह पर्व इस साल 3 अक्टूबर 2024 दिन गुरुवार से शुरू हो रहा है, जिसका समापन 11 अक्टूबर 2024 दिन शुक्रवार को नवमी तिथि पर होगा. वहीं इसके अगले दिन 12 अक्टूबर दिन शनिवार को विजयादशमी मनाई जाएगी. नवरात्रि का समापन दशहरे के दिन होता है, जिसे विजयादशमी कहा जाता है. इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. नवरात्रि के नौ दिनों की साधना और पूजा के बाद दशहरे का पर्व मनाया जाता है, जो जीवन में अच्छाई और सच्चाई के महत्व को रेखांकित करता है.
नवरात्रि व्रत का महत्व
नवरात्रि के दौरान व्रत रखना अत्यधिक पुण्यकारी माना जाता है. व्रत रखने से शरीर और मन की शुद्धि होती है और भक्त देवी की कृपा प्राप्त करते हैं. नवरात्रि के व्रत के दौरान केवल सात्विक भोजन का सेवन किया जाता है, जिसमें फल, कंद-मूल और दूध का प्रयोग होता है. अन्न, मांस, प्याज, लहसुन आदि का सेवन वर्जित होता है. व्रत रखने से आत्मिक और शारीरिक शुद्धि होती है और यह साधक को मानसिक शांति और एकाग्रता प्रदान करता है.
नवरात्रि और पर्यावरण
नवरात्रि का त्योहार हमें प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ने का संदेश भी देता है. इस दौरान मिट्टी की मूर्तियों का उपयोग किया जाता है, जो पर्यावरण के अनुकूल होती हैं. इसके अलावा, त्योहार के दौरान प्रदूषण न करने की अपील भी की जाती है. नवरात्रि के पावन अवसर पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम पर्यावरण का संरक्षण करेंगे और त्योहार को स्वच्छ और हरित बनाएंगे.
शरद नवरात्रि 2024 का त्योहार भक्तों के लिए आध्यात्मिक शांति और शक्ति का स्रोत है. इस पर्व के दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हुए हमें उनके गुणों और शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारना चाहिए. घट स्थापना का सही समय और विधि से पालन करने से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है, और घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है.