स्कंदमाता की कहानी क्या है?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 07-10-2024
Maa Skandamata
Maa Skandamata

 

राकेश चौरासिया

नवरात्रि के पांचवें दिन की देवी स्कंदमाता, नवदुर्गा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण रूप हैं. वे मां पार्वती का ही एक रूप हैं और इनकी पूजा संतान प्राप्ति और शक्ति प्रदान करने वाली मानी जाती है. आइए जानते हैं स्कंदमाता की कहानी और उनके महत्व के बारे में विस्तार से.

स्कंदमाता का जन्म और स्वरूप

स्कंदमाता के जन्म की कथा पुराणों में कई तरह से वर्णित है. एक कथा के अनुसार, जब देवताओं और दानवों के बीच युद्ध छिड़ा, तो देवताओं की पराजय निश्चित लग रही थी. इस स्थिति में देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की. भगवान शिव ने पार्वती को पुत्र उत्पन्न करने का आदेश दिया, जिससे देवता युद्ध में विजयी हो सकें.

पार्वती ने तपस्या करके भगवान कार्तिकेय को जन्म दिया. कार्तिकेय को युद्ध के लिए तैयार करने के लिए माता पार्वती ने स्कंदमाता का रूप धारण किया. इसीलिए इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है.

स्कंदमाता को सिंह पर विराजमान दिखाया जाता है. वे अपने एक हाथ में कमल का फूल धारण करती हैं और दूसरे हाथ से अपने पुत्र कार्तिकेय को आशीर्वाद देती हैं. उनका वाहन मोर है.

स्कंदमाता की कथाएं

स्कंदमाता से जुड़ी कई कथाएं हैं. इनमें से कुछ प्रमुख कथाएं इस प्रकार हैं -

ताड़कासुर का वध: एक कथा के अनुसार, ताड़कासुर नाम का एक राक्षस था, जिसका वध केवल शिव पुत्र के हाथों ही संभव था. कार्तिकेय को युद्ध के लिए तैयार करने के लिए माता पार्वती ने स्कंदमाता का रूप धारण किया और कार्तिकेय को युद्ध कला सिखाई. अंततः कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर देवताओं का उद्धार किया.

शिशु रूप्: एक अन्य कथा के अनुसार, जब देवताओं और दानवों के बीच युद्ध छिड़ा, तो देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की. भगवान शिव ने पार्वती को पुत्र उत्पन्न करने का आदेश दिया. पार्वती ने तपस्या करके एक पुत्र को जन्म दिया,  लेकिन वह पुत्र अग्नि में पड़ गया. तब पार्वती ने उस पुत्र को अपने उदर में धारण कर लिया और स्कंदमाता का रूप धारण कर लिया.

स्कंदमाता का महत्व

स्कंदमाता को संतान प्राप्ति की देवी माना जाता है. जो दंपत्ति संतान प्राप्ति के लिए इच्छुक होते हैं, वे स्कंदमाता की पूजा करते हैं. इसके अलावा स्कंदमाता शक्ति, बुद्धि और विद्या की देवी भी मानी जाती हैं. विद्यार्थी भी अपनी पढ़ाई में सफलता के लिए स्कंदमाता की पूजा करते हैं.

स्कंदमाता की पूजा

नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की विशेष रूप से पूजा की जाती है. इस दिन मां को कमल का फूल, मिठाई और फल अर्पित किए जाते हैं. स्कंदमाता की पूजा करने से मन शांत होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

स्कंदमाता का मंत्र

स्कंदमाता का मंत्र इस प्रकार है -

या देवि सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्था. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः.

इस मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

स्कंदमाता नवदुर्गा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण रूप हैं. वे संतान प्राप्ति, शक्ति, बुद्धि और विद्या की देवी मानी जाती हैं. स्कंदमाता की पूजा करने से मन शांत होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.