मां शैलपुत्री की कथा क्या है?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 04-10-2024
 Maa Shailputri
Maa Shailputri

 

राकेश चौरासिया

नवरात्रि का पहला दिन माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री को समर्पित है. देवी शैलपुत्री, माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों में से पहली हैं और इनकी पूजा नवरात्रि के पहले दिन की जाती है. देवी शैलपुत्री को पार्वती, सती और हैमावती के नाम से भी जाना जाता है.

शैलपुत्री कौन हैं?

शैलपुत्री का अर्थ है ‘पर्वतराज की पुत्री’. पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी शैलपुत्री, पर्वतराज हिमालय की पुत्री थीं. उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपना वर दिया.

शैलपुत्री की कहानी

देवी शैलपुत्री की कहानी, माँ दुर्गा के अवतारों की कहानी से जुड़ी हुई है. माँ दुर्गा ने असुरों का संहार करने के लिए कई बार अवतार लिया. शैलपुत्री का अवतार भी इन अवतारों में से एक था.

सती का जन्म और त्याग

शैलपुत्री का पूर्व जन्म सती के रूप में हुआ था. सती दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं. उन्होंने भगवान शिव से विवाह किया था. एक बार दक्ष प्रजापति ने एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया था. सती इस बात से बहुत दुखी हुईं और उन्होंने यज्ञ की अग्नि में अपने प्राण दे दिए.

पार्वती का जन्म और तपस्या

सती के पुनर्जन्म में पार्वती हुईं. पार्वती ने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया. उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपना वर दिया.

शैलपुत्री का स्वरूप

पार्वती ही शैलपुत्री के रूप में जानी जाती हैं. शैलपुत्री को चार भुजाओं वाली देवी के रूप में दर्शाया जाता है. उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और कमल का फूल है, जबकि बाएं हाथ में घंटा और अभय मुद्रा है. वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं और उनके माथे पर तीसरा नेत्र होता है.

शैलपुत्री की पूजा का महत्व

शैलपुत्री की पूजा नवरात्रि के पहले दिन की जाती है. मान्यता है कि शैलपुत्री की पूजा करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. शैलपुत्री को शक्ति और साहस की देवी माना जाता है. जो लोग जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं, वे शैलपुत्री की पूजा कर सकते हैं.

शैलपुत्री मंत्र

शैलपुत्री मंत्र इस प्रकार है

या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।

इस मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है और देवी शैलपुत्री की कृपा प्राप्त होती है.

शैलपुत्री की पूजा विधि

शैलपुत्री की पूजा बहुत ही सरल तरीके से की जा सकती है. आप घर में ही देवी शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करके उनकी पूजा कर सकते हैं. पूजा के समय आप देवी को फूल, फल, मिठाई और धूप-दीप अर्पित कर सकते हैं.

देवी शैलपुत्री, माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप हैं. उनकी कहानी हमें शक्ति, साहस और दृढ़ संकल्प का संदेश देती है. नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.