राकेश चौरासिया
नवरात्रि के दूसरे दिन हम माँ दुर्गा के द्वितीय स्वरूप, देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं. ब्रह्मचारिणी का अर्थ है ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली. यह रूप देवी पार्वती का है, जब वे भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या कर रही थीं.
ब्रह्मचारिणी की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी. उन्होंने कई वर्षों तक बिना भोजन-पानी के कठोर तपस्या की. इस दौरान उन्होंने ब्रह्मचर्य का पालन किया और केवल भगवान शिव की ही उपासना की. उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपना वर दिया.
देवी ब्रह्मचारिणी को ज्ञान और तपस्या की देवी माना जाता है. वे ज्ञान और विवेक की देवी हैं. जो लोग ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करनी चाहिए. वे तपस्या और साधना की देवी भी हैं. जो लोग जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें देवी ब्रह्मचारिणी की शरण में जाना चाहिए.
देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत ही सुंदर और आकर्षक होता है. वे कमल के आसन पर बैठी हुई होती हैं. उनके दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है. वे गौर वर्ण की होती हैं और उनके तीन नेत्र होते हैं. वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और उनके माथे पर तीसरा नेत्र होता है.
ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व
देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा का बहुत महत्व है. इस पूजा से मन शांत होता है और बुद्धि तेज होती है. जो लोग जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं, वे देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा कर सकते हैं. मान्यता है कि देवी ब्रह्मचारिणी की कृपा से सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है.
ब्रह्मचारिणी मंत्र
देवी ब्रह्मचारिणी का मंत्र इस प्रकार है-
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
इस मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है और देवी ब्रह्मचारिणी की कृपा प्राप्त होती है.
ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा बहुत ही सरल तरीके से की जा सकती है. आप घर में ही देवी ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करके उनकी पूजा कर सकते हैं. पूजा के समय आप देवी को फूल, फल, मिठाई और धूप-दीप अर्पित कर सकते हैं.
देवी ब्रह्मचारिणी, माँ दुर्गा के द्वितीय स्वरूप हैं. उनकी कहानी हमें ज्ञान, तपस्या और साधना का महत्व सिखाती है. नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.