राकेश चौरासिया
नवरात्रि के चौथे दिन हम माँ दुर्गा के चौथे स्वरूप, देवी कूष्मांडा की पूजा करते हैं. कूष्मांडा का अर्थ है वह देवी, जिसने अपने मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की. देवी कूष्मांडा को आठ भुजाओं वाली देवी के रूप में दर्शाया जाता है.
देवी कूष्मांडा की कथा
देवी कूष्मांडा की उत्पत्ति के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं. एक कथा के अनुसार, जब ब्रह्मांड का विनाश हुआ था, तब देवी कूष्मांडा ने अपनी मुस्कान से एक नए ब्रह्मांड की रचना की. इसीलिए उन्हें ब्रह्मांड की जननी भी कहा जाता है.
देवी कूष्मांडा का स्वरूप
देवी कूष्मांडा को आठ भुजाओं वाली देवी के रूप में दर्शाया जाता है. उनके दसों हाथों में विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र होते हैं. वे कमल के आसन पर बैठी हुई होती हैं और उनके चारों ओर अंडाकार आकृति होती है. यह अंडाकार आकृति ब्रह्मांड का प्रतीक है.
कूष्मांडा की पूजा का महत्व
देवी कूष्मांडा की पूजा का बहुत महत्व है. इस पूजा से स्वास्थ्य, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है. जो लोग जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं, वे देवी कूष्मांडा की पूजा कर सकते हैं. मान्यता है कि देवी कूष्मांडा की कृपा से सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है.
कूष्मांडा मंत्र
देवी कूष्मांडा का मंत्र इस प्रकार है -
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
वन्दे वांछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखरां. सिंहरूढाअष्टभुजा कुष्माण्डायशस्वनीं॥
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीं. जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहं॥
जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीं. चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहं॥
इस मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है और देवी कूष्मांडा की कृपा प्राप्त होती है.
कूष्मांडा की पूजा विधि
देवी कूष्मांडा की पूजा बहुत ही सरल तरीके से की जा सकती है. आप घर में ही देवी कूष्मांडा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करके उनकी पूजा कर सकते हैं. पूजा के समय आप देवी को फूल, फल, मिठाई और धूप-दीप अर्पित कर सकते हैं.
देवी कूष्मांडा, माँ दुर्गा के चौथे स्वरूप हैं. उनकी कहानी हमें ब्रह्मांड की उत्पत्ति और सृष्टि के बारे में बताती है. नवरात्रि के चौथे दिन कूष्मांडा की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.