राकेश चौरासिया
शब-ए-बारात को क्षमा और मुक्ति की रात कहा जाता है और जो एक महत्वपूर्ण इस्लामी त्योहार है. शब-ए-बारात (शब का अर्थ है रात और बारात का अर्थ है मुक्ति) इस्लाम धर्म में पवित्र रातों में से एक है. यह इस्लामिक कैलेंडर के आठवें महीने शाबान की 14वीं और 15वीं रात को मनाई जाती है. इस त्योहार का निर्धारण चांद दिखने के आधार पर होता है.
कुरान करीम की एक आयत के मुताबिक, ‘‘निस्संदेह हमने इसे धन्य रात में अवतरित किया है. निःसंदेह, हम ही सचेत करने वाले हैं. इस (रात) में हमारी आज्ञा द्वारा ज्ञान के सभी मामलों पर (अलग-अलग) निर्णय दिया जाता है.’’ (अल-कुरान, 44ः3-5)
इस त्योहार को दुनिया के दीगर हिस्सों में चेराघ ए बारात, बारात नाइट, बेरात कंदिली या निस्फू सियाबन भी कहते हैं. प्रमुख मान्यता है कि इस विशेष रात में अल्लाह धरती के सभी लोगों और जीवों के भाग्य और भविष्य का फैसला करते हैं.
मान्यताएंः
सुन्नी मुसलमान
शिया मुसलमान
उपवास
नमाज
कुरान की तिलावत
दान
शब-ए-बारात एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है, जो मुसलमानों को क्षमा, मुक्ति, और आध्यात्मिकता का संदेश देता है. यह पर्व हम सबके जीवन में शांति और समृद्धि लाए. इस कामना से कम से कम हम अपनी जानी-अनजानी गलतियों के लिए अपने सर्वशक्तिमान, पुरखों, रिश्तेदारों और परिचितों से क्षमा अवश्य मांगें.
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