राकेश चौरासिया
महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के पावन मिलन का प्रतीक है. यह पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. साल 2025 में महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी, बुधवार को मनाया जाएगा.
महाशिवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है ‘शिव की महान रात्रि’. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था. इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए हलाहल विष का पान किया था, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाए. इस पर्व का आध्यात्मिक महत्व भी है. यह आत्मा की शुद्धि, पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है.
महाशिवरात्रि 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि का आरंभ 26 फरवरी 2025 को सुबह 11.08 बजे होगा और इसका समापन 27 फरवरी 2025 को सुबह 8.54 बजे होगा. महाशिवरात्रि की पूजा के लिए निशीत काल (मध्यरात्रि) का समय विशेष महत्व रखता है, जो 26 फरवरी की रात 12.09 बजे से 12.59 बजे तक रहेगा.
रात्रि के चार प्रहरों में पूजा का समय
महाशिवरात्रि की पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा विशेष विधि-विधान से की जाती है. पूजा की प्रक्रिया निम्नलिखित है -
महाशिवरात्रि व्रत का लाभ
महाशिवरात्रि का व्रत रखने से अनेक आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ प्राप्त होते हैं.
महाशिवरात्रि से जुड़ी प्रमुख कथाएं
लिंगोद्भव कथा - एक बार ब्रह्मा और विष्णु में श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ. तभी एक विशाल अग्नि स्तंभ प्रकट हुआ, जिसका आदि और अंत नहीं था. ब्रह्मा और विष्णु ने उसकी सीमा जानने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे. तब भगवान शिव उस अग्नि स्तंभ से प्रकट हुए और यह दर्शाया कि वे ही सर्वोच्च हैं. इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई.
शिव-भक्त गंगाधर की कथा - एक समय एक गरीब ब्राह्मण गंगाधर भगवान शिव के परम भक्त थे. उन्होंने महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखा और रातभर भगवान शिव की आराधना की. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपार धन-संपत्ति प्रदान की. इस कथा से यह संदेश मिलता है कि सच्चे मन से भगवान शिव की उपासना करने वाले भक्त को कभी कष्ट नहीं होता.