महाशिवरात्रि 2025 : क्या है इस पर्व की पूजन विधि?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 26-02-2025
 Maha Shivratri
Maha Shivratri

 

राकेश चौरासिया

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के पावन मिलन का प्रतीक है. यह पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. साल 2025 में महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी, बुधवार को मनाया जाएगा.

महाशिवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है ‘शिव की महान रात्रि’. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था. इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए हलाहल विष का पान किया था, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाए. इस पर्व का आध्यात्मिक महत्व भी है. यह आत्मा की शुद्धि, पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है.

महाशिवरात्रि 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि का आरंभ 26 फरवरी 2025 को सुबह 11.08 बजे होगा और इसका समापन 27 फरवरी 2025 को सुबह 8.54 बजे होगा. महाशिवरात्रि की पूजा के लिए निशीत काल (मध्यरात्रि) का समय विशेष महत्व रखता है, जो 26 फरवरी की रात 12.09 बजे से 12.59 बजे तक रहेगा.

रात्रि के चार प्रहरों में पूजा का समय

  • प्रथम प्रहर: शाम 6.19 बजे से रात 9.26 बजे तक
  • द्वितीय प्रहर: रात 9.26 बजे से मध्यरात्रि 12.34 बजे तक
  • तृतीय प्रहर: मध्यरात्रि 12.34 बजे से सुबह 3.41 बजे तक
  • चतुर्थ प्रहर: सुबह 3.41 बजे से सुबह 6.48 बजे तक
  • व्रत का पारण (समापन) 27 फरवरी को सुबह 6.48 बजे से 8.54 बजे के बीच किया जा सकता है. 

महाशिवरात्रि की पूजा विधि

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा विशेष विधि-विधान से की जाती है. पूजा की प्रक्रिया निम्नलिखित है -

  • प्रातःकालीन तैयारी: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  • मंदिर की सफाई: पूजा स्थल या मंदिर की सफाई करें और वहां दीप प्रज्वलित करें.
  • शिवलिंग का अभिषेक: शिवलिंग को गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर के मिश्रण (पंचामृत) से स्नान कराएं.
  • पूजा सामग्री अर्पित करना: भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प आदि अर्पित करें.
  • मंत्र जाप::ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें और भगवान शिव का ध्यान करें.
  • भोग लगाना: भगवान शिव को सात्विक भोजन का भोग लगाएं, जिसमें फल, मिष्ठान्न आदि शामिल हों.
  • आरती: भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें.
  • रात्रि के चारों प्रहरों में उपरोक्त विधि से पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है.

महाशिवरात्रि व्रत का लाभ

महाशिवरात्रि का व्रत रखने से अनेक आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ प्राप्त होते हैं.

  • पापों का नाश: इस व्रत के पालन से पूर्व जन्मों के पापों का नाश होता है और आत्मा शुद्ध होती है.
  • मनोकामना पूर्ण होना: भगवान शिव की कृपा से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं.
  • आध्यात्मिक उन्नति: व्रत और जागरण के माध्यम से आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है.
  • स्वास्थ्य लाभ: व्रत के दौरान उपवास और ध्यान से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है.

महाशिवरात्रि से जुड़ी प्रमुख कथाएं

लिंगोद्भव कथा - एक बार ब्रह्मा और विष्णु में श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ. तभी एक विशाल अग्नि स्तंभ प्रकट हुआ, जिसका आदि और अंत नहीं था. ब्रह्मा और विष्णु ने उसकी सीमा जानने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे. तब भगवान शिव उस अग्नि स्तंभ से प्रकट हुए और यह दर्शाया कि वे ही सर्वोच्च हैं. इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई.

शिव-भक्त गंगाधर की कथा - एक समय एक गरीब ब्राह्मण गंगाधर भगवान शिव के परम भक्त थे. उन्होंने महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखा और रातभर भगवान शिव की आराधना की. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपार धन-संपत्ति प्रदान की. इस कथा से यह संदेश मिलता है कि सच्चे मन से भगवान शिव की उपासना करने वाले भक्त को कभी कष्ट नहीं होता.