गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त कितने बजे से कितने बजे तक है?

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 06-09-2024
Shree Ganesh Ji AI Photo
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राकेश चौरासिया

गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे विशेष रूप से भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभता के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है. इस दिन लोग अपने घरों, मंदिरों और पंडालों में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करते हैं और विशेष रूप से 10 दिनों तक उनकी आराधना करते हैं. यहां हम गणेश चतुर्थी के मुहूर्त समेत अन्य विषयों के बारे में विस्तार से बताएंगे.

गणेश चतुर्थी न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी लोगों को एकजुट करता है. महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और देश के अन्य हिस्सों में यह त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. अब यह भारत के उत्तरी राज्यों दिल्ली, उप्र, मप्र और राजस्थान में भी प्रमुखता से मनाया जाने लगा है .

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गणेश चतुर्थी 2024 की तिथि और समय

वर्ष 2024 में गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व होता है और इसे शुभ मुहूर्त के दौरान करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. पूजा के समय का सही चुनाव करना इसलिए आवश्यक होता है ताकि भगवान गणेश की कृपा प्राप्त की जा सके और जीवन के सभी कष्टों का निवारण हो सके.

गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 

  • ’’गणेश चतुर्थी तिथि आरंभ’’: 7 सितंबर 2024 को सुबह 2.09 बजे से प्रारंभ 
  • ’’गणेश चतुर्थी तिथि समाप्त’’: 8 सितंबर 2024 को रात 3.13 बजे तक 
  • ’’पूजा का शुभ मुहूर्त’’: 7 सितंबर को सुबह 11.01 बजे से दोपहर 1.28 बजे तक 

इस अवधि में भगवान गणेश की पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है. भक्तों के लिए यह समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दौरान की गई पूजा से समस्त कष्टों का निवारण होता है और घर में सुख, समृद्धि, और शांति का वास होता है.

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गणेश स्थापना विधि

गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना का विशेष महत्व है. लोग अपने घरों या सार्वजनिक स्थानों पर गणपति की मूर्ति स्थापित करते हैं. मूर्ति स्थापना के दौरान निम्नलिखित विधियों का पालन किया जाता है -

  • ’’स्थापना स्थल की सफाई’’ सबसे पहले मूर्ति स्थापना के लिए एक स्वच्छ और पवित्र स्थान का चयन करें. यह स्थान घर के उत्तर-पूर्व दिशा में होना शुभ माना जाता है.
  • ’’मूर्ति की स्थापना’’ भगवान गणेश की मूर्ति को शुभ मुहूर्त के दौरान एक स्वच्छ कपड़े या आसन पर रखें. ध्यान रहे कि मूर्ति स्थापना करते समय पूजा स्थल पर भगवान गणेश की तस्वीर या मूर्ति पहले से न हो.
  • ’’गणपति का आवाहन’’ मूर्ति की स्थापना के बाद भगवान गणेश का आवाहन करें. इसके लिए ‘ॐ गण गणपतये नमः’ मंत्र का उच्चारण करें. इसके बाद भगवान गणेश का ध्यान करें और उन्हें आसन ग्रहण करने का निवेदन करें.
  • ’’पूजा सामग्री का प्रयोग’’ गणपति की पूजा के दौरान निम्नलिखित सामग्री का उपयोग करें - धूप, दीप, फूल, चंदन, अक्षत (चावल), दूर्वा (घास), लड्डू और नारियल. विशेष रूप से भगवान गणेश को दूर्वा और मोदक अर्पित करने का विशेष महत्व होता है.
  • ’’आरती और प्रसाद’’ पूजा समाप्त होने के बाद गणेश जी की आरती करें और सभी भक्तों में प्रसाद वितरित करें. प्रसाद में मोदक या लड्डू विशेष रूप से अर्पित किए जाते हैं, क्योंकि यह भगवान गणेश की प्रिय मिठाई मानी जाती है.

गणेश चतुर्थी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक त्योहार ही नहीं है, बल्कि इसका गहरा सांस्कृतिक महत्व भी है. इसे एकता, भाईचारे और सांस्कृतिक समृद्धि के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है. महाराष्ट्र में इस त्योहार की शुरुआत छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल में हुई मानी जाती है, जबकि आधुनिक समय में लोकमान्य तिलक ने इसे सामाजिक जागरूकता और स्वतंत्रता संग्राम के साथ जोड़ा.

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भगवान गणेश की विशेषता और उनकी मूर्ति के प्रतीकात्मक अर्थ

भगवान गणेश को बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. उनके प्रत्येक अंग का विशेष महत्व होता है. उनके बड़े कान हमें सुनने की क्षमता को बढ़ाने का प्रतीक होते हैं, जबकि उनकी लंबी सूंड उनके तीव्र बुद्धि और कार्यकुशलता का संकेत है. उनके पास मौजूद चूहे को भी एक प्रतीकात्मक अर्थ दिया गया है, जो विनम्रता और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है.

गणेश विसर्जन का महत्व

गणेश चतुर्थी के 10 दिनों के बाद गणेश विसर्जन किया जाता है. यह दिन गणपति बप्पा के विदाई का होता है. भक्त गणपति की प्रतिमा को जलाशय में विसर्जित करते हैं, जिसमें यह संदेश होता है कि भगवान गणेश हमारी परेशानियों को दूर कर हमारे जीवन से अस्थायी रूप से विदा ले रहे हैं, लेकिन वे अगले वर्ष फिर से हमारे बीच लौटेंगे. विसर्जन से पहले गणपति जी की पूजा की जाती है और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है.

विसर्जन के दौरान ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ’ के जयकारे लगते हैं. यह परंपरा भक्तों की श्रद्धा और भगवान गणेश के प्रति उनके विश्वास को प्रकट करती है. विसर्जन का यह दिन विशेष उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है.

गणेश चतुर्थी 2024 की तैयारी

हर साल की तरह इस साल भी गणेश चतुर्थी के लिए भक्तों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. बाजारों में गणेश मूर्तियों की बिक्री जोर पकड़ने लगी है. पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष भी पर्यावरण-हितैषी गणेश मूर्तियों की मांग बढ़ रही है. मिट्टी से बनी और जल में आसानी से घुलने वाली मूर्तियों का प्रचलन बढ़ा है, जिससे जल प्रदूषण कम हो सके. साथ ही, लोग प्लास्टिक और थर्मोकॉल का उपयोग भी कम कर रहे हैं.

सार्वजनिक गणेशोत्सव की भव्यता

महाराष्ट्र के कई शहरों में गणेशोत्सव के सार्वजनिक आयोजन बहुत भव्य होते हैं. विशेषकर मुंबई में लालबाग के राजा की प्रतिष्ठा बहुत ऊंची मानी जाती है. वहां लाखों श्रद्धालु भगवान गणेश के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. सार्वजनिक पंडालों में गणपति बप्पा की विशेष पूजा की जाती है और कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है.

गणेश चतुर्थी और पर्यावरण

हर साल गणेश चतुर्थी पर गणेश मूर्तियों के विसर्जन के कारण जल प्रदूषण की समस्या सामने आती है. इससे निपटने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वे मिट्टी की मूर्तियों का उपयोग करें और पर्यावरण को बचाने में योगदान दें. कई लोग अब घरेलू पूजा के लिए छोटी मिट्टी की मूर्तियों का उपयोग कर रहे हैं और विसर्जन के लिए विशेष जलाशयों का निर्माण किया गया है.

गणेश चतुर्थी के दौरान पालन करने योग्य सावधानियां

गणेश चतुर्थी के दौरान कुछ सावधानियों का ध्यान रखना आवश्यक है. पूजा के दौरान शुद्धता और सफाई का विशेष ध्यान रखें. पूजा सामग्री का सही और साफ-सुथरा उपयोग करें. भीड़भाड़ से बचें और ऑनलाइन दर्शन और पूजा को प्राथमिकता दें.

गणेश चतुर्थी पर शुभ मुहूर्त में गणपति बप्पा की पूजा करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होंगे. भगवान गणेश बुद्धि, समृद्धि और सुख के देवता हैं, और उनकी पूजा से घर में शांति और समृद्धि का वास होता है. इस पावन अवसर पर सही विधि और श्रद्धा से भगवान गणेश की पूजा करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति करें.