राकेश चौरासिया
भारत त्योहारों का देश है और कई तरह के त्योहार हमें पूरे साल व्यस्त रखते हैं. नवरात्रि एक ऐसा महत्वपूर्ण और शुभ त्योहार है, जो साल में दो बार मनाया जाता है. पहला वसंत ऋतु में आयोजित होता है, जिसे चौत्र नवरात्रि कहा जाता है और दूसरा शरद ऋतु में, जिसे शरद या शारदीय नवरात्रि कहा जाता है.
शारदीय नवरात्रि हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन (सितंबर-अक्टूबर) महीने में 9 दिनों तक मनाई जाती है. शारदीय नवरात्रि दुनिया भर में हिंदुओं द्वारा बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जाती है.
शारदीय नवरात्रि अश्विन मास में पड़ती है, जिसे काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. नवरात्रि में देवी दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित की जाती है और दशहरे के दिन मां दुर्गा की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है.
साथ ही साथ कई जगह पर नवरात्रि के दौरान गरबा और रामलीलाएं भी आयोजित की जाती हैं. इस महापर्व के पहले दिन घट स्थापना की जाती है, जिसे कलश स्थापना भी कहते हैं. नवरात्रि के नौ दिनों पूरे नियमों के साथ मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और व्रत भी रखा जाता है.
इस लेख में हम कई सवालों के जवाब देने जा रहे हैं. शारदीय या शरद नवरात्रि 2023 कब है? नव दुर्गा के 9 नाम कौन-कौन से हैं? यानी 9 माताओं का नाम क्या है? 9 रूप कौन-कौन से हैं? नवरात्रि में कौन-कौन सी देवी की पूजा होती है? नवरात्रि के दौरान किन 9 देवी की पूजा की जाती है? 9 दिन नवरात्रि पूजा कैसे किया जाता है? नवरात्रि में घर पर दुर्गा पूजा कैसे करें?
शारदीय नवरात्रि का महत्व
श्राद्ध पक्ष के समाप्त होने के बाद शारदीय नवरात्रि का त्योहार मनाया जाएगा. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के भक्त उन्हें प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए व्रत, पूजन, हवन, पाठ और जाप भी करते हैं.
मान्यता है कि नवरात्रि में दुर्गा मां भक्तों के घर में प्रवेश करती हैं. नवरात्रि का यह समय मां दुर्गा की आराधना करने के लिए सबसे उत्तम होता है. मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की इन नौ दिनों के दौरान पूरी श्रृद्धा और भक्ति के साथ आराधना की जाती है.
नवरात्रि का हर दिन मां के एक अलग स्वरूप को समर्पित है और प्रत्येक स्वरूप की अलग महिमा होती है. यह पर्व नारी शक्ति की आराधना का पर्व माना जाता है. साथ ही इन 9 दिनों में 9 रंग के वस्त्र पहनने की भी मान्यता है.
चूंकि आश्विन महीना शुरू होने वाला है. इसलिए यहां प्रस्तुत है शारदीय नवरात्रि 2023 की आरंभ तिथि, शारदीय नवरात्रि की समाप्ति तिथि, देवी दुर्गा के विभिन्न रूप, मुहूर्त और पवित्र त्योहार के बारे में वह सब कुछ है, जो आपको जानना आवश्यक है.
शारदीय नवरात्रि 2023 प्रारंभ और समाप्ति तिथि
2023 में शारदीय नवरात्रि रविवार, 15 अक्टूबर 2023 को शुरू हो रही है और मंगलवार, 24 अक्टूबर 2023 को दशहरा उत्सव तक जारी रहेगी. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, शारदीय नवरात्रि का शुभ मुहूर्त सुबह 11.44 बजे शुरू होगा और दोपहर 12.30 बजे समाप्त होगा. हालांकि, प्रतिपदा मुहूर्त शनिवार, 14 अक्टूबर को रात 11.24 बजे शुरू होगा और सोमवार, 16 अक्टूबर को रात 12.32 बजे समाप्त होगा.
घटस्थापना मुहूर्त 15 अक्टूबर 2023 को सुबह 11.44 बजे शुरू होगा और दोपहर 12.30 बजे समाप्त होगा.
प्रतिपदा में नवदुर्गा का आह्वान कलश स्थापन, खेतड़ी बीजन और मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा आदि अनुष्ठानों से प्रारंभ होता है. यह नौ दिनों तक व्रत-उपवास, पूजन, ध्यान और साधना का पर्व है. इसमें आद्य शक्ति दुर्गा माई के नव अवतारों की आराधना की जाती है.
गृहस्थजन घरों में पूजा करते हैं और इस अवसर पर मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता हैं. यह पर्व विजयदसवीं तक चलता है. हर दिन माता रानी के विभिन्न स्वरूपों की वंदना की जाती है. नवदुर्गाओं में प्रथम-शैलपुत्री, द्वितीय-ब्रह्मचारिणी, तृतीय-चन्द्रघण्टा, चतुर्थ-कूष्माण्डा, पंचम-स्कन्दमाता, षष्ठं-कात्यायनी, सप्तम-कालरात्रि, अष्टम-महागौरी और नवमं-सिद्धिदात्री हैं.
पहला दिन
प्रतिपदा यानी रविवार, 15 अक्टूबर 2023 को माँ शैलपुत्री की पूजा होगी और रंग नारंगी होगा.
देवी शैलपुत्रीः नवरात्रि का पहला दिन माता शैलपुत्री को समर्पित माना जाता है. देवी सती के रूप में आत्मदाह के बाद, देवी पार्वती ने भगवान हिमालय की बेटी के रूप में जन्म लिया. संस्कृत में शैल का अर्थ है पर्वत और जिसके कारण देवी को पर्वत की पुत्री शैलपुत्री के नाम से जाना जाता था.
देवी के इस रूप से जीवन में पर्वत के समान धन समृद्धि आती है. मां शैलपुत्री के एक तरफ त्रिशूल और दूसरी तरफ कमल है. उनके सिर के पीछे आधा चंद्र है. अगर कोई व्यक्ति ध्यान से उनकी प्रार्थना करता है, तो हम उसके जीवन में अच्छे बदलाव होते हैं.
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा, धन, रोजगार और निरोगी स्वास्थ्य पाने के लिए की जाती है. इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए. हिंदू धर्म में पीले रंग का बहुत महत्व है जो जीवन में चमक, उत्साह और खुशियां लाता है. इस दिन पूजा के बाद माता के चरणों में गाय के घी का भोग लगाने से निरोगी काया का आशीर्वाद मिलता है.
भोगः घाय के घी का भोग
रंगः नारंगी रंग के वस्त्र पहनकर पूजन करें.
मंत्रः ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैल पुत्री नमः
मंत्रः वन्दे वाञ्छितलाभायचन्द्रार्धकृतशेखराम्.
वृषारूढ़ाम् शूलधरांशैलपुत्री यशस्विनीम्..
दूसरा दिन
द्वितीया यानी सोमवार, 16 अक्टूबर 2023 को माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी और रंग श्वेत है.
देवी ब्रह्मचारिणीः मां ब्रह्मचारिणी की पूजा जीवन में सफलता के लिए और सिद्धियां पाने के लिए की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी देवी का अविवाहित रूप है. देवी पार्वती ने दक्ष प्रजापति के घर जन्म लिया था. इस रूप में देवी पार्वती एक महान सती थीं और उनके अविवाहित रूप को देवी ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा जाता है.
इनके एक तरफ पास कमंडल और दूसरी तरफ जप माला है. मां ब्रह्मचारिणी प्यार और बलिदान को दर्शाती हैं. मां ब्रह्मचारिणी को पूजा के बाद शक्कर का भोग लगाने से सभी घरवालों की उम्र लंबी होती है.
भोगः शक्कर का भोग
रंगः श्वेत रंग के वस्त्र पहनकर पूजन करें.
मंत्रः ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिह्य नमः
मंत्रः दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू.
देवी प्रसीदतु मयिब्रह्मचारिण्यनुत्तमा..
तीसरा दिन
तृतीया यानी मंगलवार, 17 अक्टूबर 2023 को मां चंद्रघंटा की पूजा होगी और रंग लाल है.
देवी चंद्रघंटाः मां चंद्रघंटा बुरे कुकर्मों और पापों से मुक्ति दिलाती हैं. नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है.
देवी चंद्रघंटा देवी पार्वती का विवाहित रूप हैं. भगवान शिव से विवाह के बाद देवी महागौरी ने अपने माथे को अर्धचंद्र से सजाना शुरू कर दिया और जिसके कारण देवी पार्वती को देवी चंद्रघंटा के नाम से जाना जाने लगा. मां चंद्रघंटा को दूध, दूध से बनी मिठाई या खीर का भोग लगाकर ब्राह्मणों को खिलाने से वे सभी दुखों को दूर करती हैं.
भोगः दूध, मिठाई, खीर का भोग
रंगः लाल रंग के वस्त्र पहनकर पूजन करें.
मंत्रः ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चंद्रघंटाये नमः
मंत्रः पिण्डजप्रवरारूढाचन्दकोपास्त्रकैर्युता.
प्रसादं तनुते मह्यम्चन्द्रघण्टेति विश्रुता..
चौथा दिन
चतुर्थी यानी बुधवार, 18 अक्टूबर 2023 को माँ कुष्मांडा की पूजा होगी और रंग नीला यानी रॉयल ब्लू है
देवी कुष्मांडाः नवरात्रि के चौथे दिन दुर्गा देवी के रुप मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. देवी पार्वती सूर्य के केंद्र के अंदर रहने लगीं, ताकि वे ब्रह्मांड को ऊर्जा मुक्त कर सकें. तभी से देवी को कुष्मांडा के नाम से जाना जाता है.
कुष्मांडा देवी हैं जिनके पास सूर्य के अंदर रहने की शक्ति और क्षमता है. उसके शरीर का तेज और तेज सूर्य के समान तेज है. मां कुष्मांडा के चेहरे पर मुस्कान दिखाई देती है. मां कुष्मांडा की पूजा करने से हमारे जीवन के दुख दूर होते हैं. मां कुष्मांडा को सिद्धि की देवी भी कहा जाता है. मालपुओं का भोग लगाने और मंदिर में बांटने से से माता खुश होकर बुद्धि देती हैं.
भोगः मालपुओं का भोग
रंगः नीला यानी रॉयल ब्लू रंग के वस्त्र पहनकर पूजन करें.
मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडाये नमः
मंत्रः सुरासम्पूर्णकलशम्रुधिराप्लुतमेव च.
दधाना हस्तपद्माभ्याम्कूष्माण्डा शुभदास्तु मे..
पांचवां दिन
पंचमी यानी गुरुवार, 19 अक्टूबर 2023 को मां स्कंदमाता की पूजा होगी और रंग पीला है.
देवी स्कंदमाताः नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की अराधना की जाती है. देवी भगवान स्कंद के रूप में भी जानी जाती हैं. जब वे भगवान कार्तिकेय की माता बनीं, तो माता पार्वती को देवी स्कंदमाता के नाम से जाना जाता था.
माता के चार हाथ और तीन आंखें हैं. दुर्गा देवी के स्वरूप से खुशी, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है. माता की पूजा के बाद केले का भोग लगाने से शारीरिक स्वास्थ्य हमेशा स्वस्थ रहता है.
भोगः केले का भोग
रंगः पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजन करें.
मंत्रः ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंध मताय नमः
मंत्रः सिंहासनगता नित्यम्पद्माश्रितकरद्वया.
शुभदास्तु सदा देवीस्कन्दमाता यशस्विनी..
छठवां दिन
षष्ठी यानी शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2023 को माँ कात्यायिनी की पूजा होगी और रंग हरा है.
देवी कात्यायनीः नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. यह दिन माँ कात्यायनी को समर्पित होता है और उनके चार हाथ हैं. साथ ही वह बाघ की सवारी करती हैं और उनके हाथ में तलवार है.
महिषासुर राक्षस को नष्ट करने के लिए, देवी पार्वती ने देवी कात्यायनी का रूप धारण किया. यह देवी पार्वती का सबसे हिंसक रूप था. इस रूप में देवी पार्वती को योद्धा देवी के रूप में भी जाना जाता है. मां कात्यायनी की पूजा करने से बीमारी और भय दूर होते हैं.
भोगः शहद का भोग
रंगः हरे रंग के वस्त्र पहनकर पूजन करें.
मंत्रः ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनि नमः
मंत्रः चन्द्रहासोज्ज्वलकराशार्दूलवरवाहना.
कात्यायनी शुभं दद्यादेवि दानवघातिनी..
सातवां दिन
सप्तमी यानी शनिवार, 21 अक्टूबर 2023 को माँ कालरात्रि की पूजा होगी और रंग भूरा, स्लेटी यानी ग्रे होगा.
देवी कालरात्रिः नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित माना जाता है, देवी का यह रुप सबसे अक्रामक है. देवी के इस रूप से दुश्मन दूर होते हैं. जब देवी पार्वती ने शुंभ और निशुंभ नामक राक्षसों को मारने के लिए बाहरी सुनहरी त्वचा को हटा दिया, तो उन्हें देवी कालरात्रि के रूप में जाना गया.
कालरात्रि देवी पार्वती का सबसे उग्र और सबसे क्रूर रूप है. मां कालरात्रि का पूजा करने से जीवन के आर्थिक कष्ट दूर होते हैं और नकारात्मक शक्तियां भागती हैं.
भोग- गुड़ का भोग
रंगः भूरा, स्लेटी यानी ग्रे रंग के वस्त्र पहनकर पूजन करें.
मंत्रः ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कल रत्रिय्या नमः
मंत्रः एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता.
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णीतैलभ्यक्तशरीरिणी..
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा.
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णाकालरात्रिर्भयङ्करी..
आठवां दिन
अष्टमी यानी रविवार, 22 अक्टूबर 2023 को माँ महागौरी की पूजा होगी और रंग बैंगनी यानी पर्पल होगा.
देवी महागौरीः नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा- अर्चना की जाती है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सोलह वर्ष की आयु में देवी शैलपुत्री अत्यंत सुंदर थीं और उन्हें गोरा रंग प्राप्त था. अपने अत्यधिक गोरे रंग के कारण उन्हें देवी महागौरी के नाम से जाना जाता था.
माता महागौरी के पूजन से जीवन के सभी दुख दरिद्रता से मुक्ति मिलती है. साथ ही श्रृद्धापूर्वक अर्चना करने से निरूसंतानों को संतान सुख मिलता है. मां महागौरी में जीवन को धन, स्वास्थ्य, नाम और सभी तरह की खुशहाली से भर देती हैं.
भोगः नारियल का भोग
रंगः बैंगनी रंग के वस्त्र पहनकर पूजन करें.
मंत्रः ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौरिये नमः
मंत्रः र्श्वेते वृषे समारूढार्श्वेताम्बरधरा शुचिः.
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा..
नौवां दिन
महानवमी यानी सोमवार, 23 अक्टूबर 2023 को मां सिद्धिदाती की पूजा होगी और रंग मोरपंखी हरा होगा.
देवी सिद्धिदात्रीः नवरात्रि का नौवां और आखिरी दिन दिन मां सिद्धिदात्री के पूजन के लिए होता है और इनके चार हाथ हैं. साथ ही माता सिद्धिदात्री कमल पर बैठी हैं. सृष्टि के आदि में भगवान रुद्र ने आदि-पराशक्ति की सृष्टि के लिए उपासना की थी.
ऐसा माना जाता है कि देवी आदि-पराशक्ति का कोई रूप नहीं था. शक्ति की सर्वोच्च देवी, आदि-पराशक्ति, भगवान शिव के बाएं आधे हिस्से से सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट हुईं. मां सिद्धिदात्री की पूजा से हमारे जीवन में सभी सिद्धियां आती हैं. मां सिद्धिदात्री किसी भी बीमारी रोग को चुटकी में ठीक कर करने का शक्ति रखती हैं.
भोगः तिल का भोग
रंगः मोरपंखी हरे रंग के वस्त्र पहनकर पूजन करें.
मंत्रः ॐऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्रिये नमः
मंत्रः सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि.
सेव्यमाना सदा भूयात्सिद्धिदा सिद्धिदायिनी..
दसवां दिन
विजय दशमी यानी मंगलवार, 24 अक्टूबर 2023 को रावण का दहन करके दशहरा मनाया जाएगा.
शारदीय नवरात्रि 2023 में नवरात्रि 2023 पर मां दुर्गा किसकी सवारी करती हैं?
शारदीय नवरात्रि 2023 में मां दुर्गा की सवारीः द्रिक पंचांग के अनुसार देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा और प्रस्थान चरणायुध पर होगा. शारदीय नवरात्रि की शुरुआत इस बार बेहद खास होने वाली है, क्योंकि इस बार इसकी शुरुआत सोमवार को हो रही है, जो बेहद शुभ माना जा रहा है. इस बार देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर पृथ्वी पर आएंगी, जो कई मायनों में सभी के लिए बहुत शुभ होगा.
देवी दुर्गा का हाथी पर आना शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह आने वाले वर्ष में बंपर कटाई के लिए भरपूर वर्षा लाएगा. मान्यताओं के अनुसार, देवी दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर पृथ्वी पर आती हैं और अलग-अलग वाहनों पर प्रस्थान करती हैं.