हिंदुस्तानी गायिकी के रत्न थे उस्ताद राशिद खान

Story by  जयनारायण प्रसाद | Published by  [email protected] | Date 12-01-2024
Ustad Rashid Khan was the gem of Hindustani singing.
Ustad Rashid Khan was the gem of Hindustani singing.

 

जयनारायण प्रसाद/ कोलकाता

अपनी खूबसूरत हिंदुस्तानी गायिकी से शास्त्रीय संगीत की महफ़िल को हमेशा सुगंधित रखने वाले उस्ताद राशिद खान के चले जाने से क्लासिकल म्यूजिक को जैसे ब्रेक-सा लग गया है.भरोसा नहीं हो रहा कि बेहतरीन मौसिकी का यह उस्ताद (राशिद खान) अब हमारे बीच नहीं है.

पीएम मोदी ने उनके निधन पर कहा,भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत की महान हस्ती उस्ताद राशिद खान जी के निधन से दुख हुआ. संगीत के प्रति उनकी अद्वितीय प्रतिभा और समर्पण ने हमारी सांस्कृतिक दुनिया को समृद्ध किया और पीढ़ियों को प्रेरित किया.

उनका निधन एक खालीपन छोड़ गया है जिसे भरना मुश्किल होगा. उनके परिवार, शिष्यों और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना.प्रोस्टेट कैंसर ने भीतर से तोड़ दिया था राशिद खान को.

उस्ताद राशिद खान के यह जाने की उम्र नहीं थीं.महज़ 55साल की उम्र में जानलेवा प्रोस्टेट कैंसर ने उस्ताद को हमेशा के लिए हमसे छीन लिया.एक जुलाई, 1968को उत्तरप्रदेश के बदायूं में जन्मे उस्ताद राशिद खान ने

9 जनवरी, 2024 को कोलकाता के एक प्राइवेट नर्सिंग होम में आखिरी सांसें लीं.वे लंबे समय से इस बीमारी से जूझ रहे थे.वे मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल में भी इलाज कराकर कोलकाता अपने घर लौटे थे.

लेकिन, उनकी हालत 23दिसंबर से जो बिगड़नी शुरू हुई, वह सुधरने का नाम नहीं ले रही थीं.कुछ दिनों पहले उस्ताद राशिद खान को वेंटिलेटर पर रखा गया था.पिछले चार दिनों से उनकी जिंदगी पूरी तरह ऑक्सीजन के सपोर्ट पर टिकी हुई थीं. 9 जनवरी, 2024 की दोपहर संगीत की महफ़िल को वे सदा के लिए अलविदा कह गए.

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इनायत हुसैन खान के पोते थे उस्ताद राशिद खान

हिंदुस्तानी गायिकी के आधार स्तंभों में से एक उस्ताद इनायत हुसैन खान के पोते थे उस्ताद राशिद खान.कहते हैं कि 'रामपुर-सहसवान घराना' इनायत हुसैन खान के रहते हुए ही काफी मजबूत हो गया था.

इनायत हुसैन खान की मौत ‌वर्ष 1919 में हुई.तब वे 70 साल के थे. इसी सहसवान घराना (बदायूं) से ताल्लुक रखते थे उस्ताद राशिद खान.

नाना उस्ताद निसार हुसैन खान से सबसे पहले सीखा था शास्त्रीय गायन

'तराना गायिकी' के विशेषज्ञ माने जाने वाले उस्ताद निसार हुसैन खान से उस्ताद राशिद खान ने हिंदुस्तानी गायिकी की बारीकियां सीखी थीं एकदम शुरू में.संगीत नाटक अकादमी सम्मान से नवाजे गए निसार हुसैन खान का निधन 16 जुलाई, 1993 को हुआ.

वे भी मूलतः बदायूं के ही थे और उस्ताद राशिद खान के सगे नाना थे.उस्ताद निसार हुसैन खान बड़ौदा के महराजा सयाजीराव गायकवाड़ (3) के दरबारी गायक भी थे.

पहला कंसर्ट किया था जब वे सात‌ साल के थे

राशिद खान ‌ने अपनी जिंदगी का पहला कंसर्ट महज़ सात साल की उम्र में किया था.फिर, वर्ष 1978में दिल्ली में आटीसी वालों ने शास्त्रीय संगीत का एक कंसर्ट आयोजित किया, जिसमें राशिद खान के गायन से दर्शक मुग्ध हो गए.

अपने मामा से ले रहे थे तालीम

अपने नाना उस्ताद निसार हुसैन खान से तालीम लेने के बाद राशिद खान बंबई आ गए थे अपने मामा उस्ताद गुलाम मुस्तफा खां के यहां.उनके मामा उस्ताद गुलाम मुस्तफा खां ग्वालियर घराना के थे और वे भी शास्त्रीय संगीत में महारत हासिल थे.

उस्ताद गुलाम मुस्तफा खां को भी संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला था.बंबई में 89 साल की उम्र में 17 जनवरी, 2021 को गुलाम मुस्तफा खां की मौत हुई.

उसके बाद 'रामपुर-सहसवान' घराने को उस्ताद राशिद खान ही सींच रहे थे.अपने बुजुर्गों की खनकती मखमली आवाज़ की सुगंध को फैलाने का जिम्मा उस्ताद राशिद खान के कंधों पर ही था.

कलकत्ता आईटीसी संगीत रिसर्च अकादमी ने हुनर को और विकसित किया

 वर्ष 1980 में अपने गुरुओं की सलाह पर राशिद खान कलकत्ता आ गए और कलकत्ता के टालीगंज स्थित आईटीसी संगीत रिसर्च अकादमी में प्रशिक्षण लेने लगे.तब उस्ताद निसार हुसैन खान इस संगीत अकादमी के प्रमुख थे.राशिद खान की उम्र थीं तब 14साल.

बालीवुड की 15 फिल्मों में गाया था गाना

उस्ताद राशिद खान की आवाज़ की तान और खनक ऐसी थीं कि बालीवुड उन्हें हमेशा गाने का न्योता देता रहता था.निर्देशक इम्तियाज़ अली की फिल्म 'जब वी मेट' (2007) में जब उस्ताद राशिद खान ने 'आओगे जब तुम साजना' गाया, तो उन्हें खूब बुलावा आने लगा.

वर्ष 2023 में आई फिल्म 'गोल्डफिश' में भी राशिद खान की आवाज़ थीं.वर्ष 2004 में आई फिल्म 'किसना', 2011 में आई फिल्म 'मौसम', 2012 में फिल्म 'राज थ्री', 2013 में फिल्म 'इश्क', 2015 में फिल्म 'कादंबरी', 2017 में फिल्म 'शादी में जरूर आना', 2018 में फिल्म 'इश्किया' और 2019 में फिल्म 'मंटो' ने राशिद खान की हुनर को और विस्तार दिया.

बीच में  मशहूर तबला वादक विक्रम घोष के संगीत से सजी दो बांग्ला फिल्मों में भी उस्ताद राशिद खान की आवाज़ थीं.

संगीत नाटक अकादमी सम्मान से नवाजे गए थे राशिद खान

राशिद खान की मखमली आवाज़ ‌ने सबको मंत्रमुग्ध किया था.यही वजह है वर्ष 2006 में उन्हें सबसे पहले पद्मश्री, फिर वर्ष 2022में पद्म भूषण और 2022 में ही संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

छोड़ गए हैं पत्नी सोमा खान, दो बेटियां और एक बेटा को

उस्ताद राशिद खान के परिवार में पत्नी सोमा खान, दो बेटियां और एक बेटा है.पत्नी सोमा खान उस्ताद राशिद खान की खूब देखभाल करती थीं.कोलकाता समेत ‌देशभर में राशिद खान के अनगिनत चाहने वाले थे, जिनमें एक है रवींद्रसंगीत की मशहूर गायिका स्वागतालक्ष्मी दासगुप्ता, जो उस्ताद राशिद खान की मौत के दिन फूट-फूट कर रो रही थीं.