कांवड़ यात्रा में अनोखी भक्ति: पीएम मोदी की प्रतिमा संग यात्रा कर रहे शिव भक्त

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 29-07-2024
 Shiva devotees travel with PM Modi's idol
Shiva devotees travel with PM Modi's idol

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली

कांवड़ यात्रा, दीपावलि, गणेशोत्सव आदि लगभग हिंदू पर्वों में नवाचार देखने को मिलता है. प्रयोगधर्मी श्रद्धालु देवों की झांकियों में अपनी भावनाएं भी समाहित करते हैं. इसी तरह का नजारा कांवड़ यात्रा में देखने को मिल रहा है. दो कांवड़िये रूपेंद्र तोमर और सोनू त्यागी भगवान शिव के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मूर्ति को अपने कंधों पर उठाए हुए यात्रा कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश में जारी कांवड़ यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो कट्टर प्रशंसक महादेव शिव की मूर्ति के साथ पीएम मोदी की भी मूर्ति लेकर चल रहे हैं.

इस साल 22 जुलाई को शुरू हुई कांवड़ यात्रा 6 अगस्त को संपन्न होगी, जिसमें प्रतिभागी शिव मंदिरों में पारंपरिक प्रसाद लेकर चलेंगे. यह यात्रा उत्तर भारत में बेहद महत्वपूर्ण है, जहां भक्तजन अपने कंधों पर कांवड़ में गंगा जल लेकर भगवान शिव को अर्पित करने के लिए लंबी दूरी तय करते हैं. इस साल की यात्रा में भी भक्तों का उत्साह और भक्ति देखने को मिल रही है.

बागपत के खेलडा निवासी रूपेंद्र तोमर और सोनू त्यागी नामक दो कांवड़िए पारंपरिक भगवान शिव की मूर्ति के साथ प्रधानमंत्री मोदी की मूर्ति को अपने कंधों पर उठाकर हर की पौड़ी पर स्नान के लिए ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं. दोनों श्रद्धालु पीएम मोदी के बड़े प्रशंसक हैं और उन्होंने भगवान शिव के साथ पीएम की मूर्ति को भी कांवड़ में शामिल किया है. यह दृश्य लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है, जहां भक्तजन इनकी भक्ति और प्रेम की सराहना कर रहे हैं.

पीएम मोदी विश्व में सर्वाधिक लोकप्रिय नेता का खिताब कई वर्षों से बनाए हुए हैं. अमेरिका और यूरोप के दिग्गज नेता भी उनके मुकाबले लोकप्रियता में काफी पीछे हैं. भारत में भी लोग उनके नेतृत्व पर नाज करते हैं. कुछ स्थानों पर पीएम मोदी के मंदिर भी बने हैं. कोरोना काल में तो कई महंतों ने मंदिरों को भी बंद कर दिया था यह कहकर कि ‘देश के राजो (मोदी) का हुकुम है.’ मंदिरों में केवल देव सेवा होती थी, लेकिन श्रद्धालु जन मंदिर में प्रवेश करने के बजाय ध्वज को प्रणाम कर आराधना करते थे.

हर की पौड़ी पर स्नान करने के बाद, रूपेंद्र तोमर और सोनू त्यागी ने बताया कि वे प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों से बहुत प्रेरित हैं और उन्होंने भगवान शिव के साथ उनकी मूर्ति को भी शामिल करके अपनी भक्ति को व्यक्त किया है.

कांवड़ यात्रा में भी पीएम मोदी की लोकप्रियता छाई हुई है. इसके लेकर इंडिया टुडे ने एक वीडियो साझा किया हैः

 

कांवड़ यात्रा एक वार्षिक तीर्थयात्रा है, जिसमें भगवान शिव के भक्त कांवड़िए उत्तराखंड के हरिद्वार, गौमुख और गंगोत्री सहित हिंदू तीर्थ स्थलों के साथ-साथ बिहार के भागलपुर के सुल्तानगंज में अजगैबीनाथ में गंगा नदी से पवित्र जल लेने जाते हैं. इस यात्रा का उद्देश्य पवित्र जल को इकट्ठा करके उसे अपने स्थानीय शिव मंदिरों में चढ़ाना होता है.

यात्रा के दौरान, भक्तजन पवित्र जल को बर्तनों में इकट्ठा करते हैं, जिसे सजाए गए बांस के खंभों से बांधकर सैकड़ों मील तक कंधों पर ढोया जाता है. फिर यह जल अपने स्थानीय शिव मंदिरों या बागपत जिले के पुरा महादेव मंदिर, मेरठ के औघड़नाथ मंदिर, वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर, देवघर के बैद्यनाथ मंदिर और अन्य जैसे विशिष्ट मंदिरों में चढ़ाया जाता है.इस यात्रा में भजन (भक्ति गीत) गाए जाते हैं और मंत्रोच्चार किया जाता है, जिसमें भाग लेने वाले लोग प्रायः भगवा वस्त्र पहने होते हैं. भगवा वस्त्र इस यात्रा का एक प्रमुख हिस्सा हैं, जो भक्तों की आस्था और भक्ति को दर्शाते हैं.

रूपेंद्र तोमर और सोनू त्यागी की इस अनोखी भक्ति को देखकर अन्य कांवड़ियों के साथ-साथ स्थानीय लोग भी प्रभावित हो रहे हैं. इन दोनों ने बताया कि उन्होंने पीएम मोदी की मूर्ति को अपने साथ ले जाने का फैसला इसलिए किया क्योंकि वे मानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश के लिए बहुत काम किया है और वे उनके नेतृत्व से बेहद प्रभावित हैं.

कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिसमें लंबी दूरी तय करना, बर्तन ढोना और मौसम की चुनौतियां शामिल हैं. इसके बावजूद, भक्तजन अपनी अटूट आस्था और भक्ति के साथ यात्रा पूरी करते हैं.

इस वर्ष की कांवड़ यात्रा विशेष रूप से उल्लेखनीय है जिसमें भक्तजन बड़ी संख्या में भाग ले रहे हैं. प्रशासन ने भी यात्रा के दौरान भक्तों की सुरक्षा और सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा है.

कांवड़ यात्रा का यह दृश्य इस बात का प्रमाण है कि भक्तजन अपनी आस्था और भक्ति को विभिन्न तरीकों से प्रकट करते हैं, और यह यात्रा उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

कुल मिलाकर, कांवड़ यात्रा एक धार्मिक और सांस्कृतिक यात्रा है जो भक्तों की आस्था, भक्ति और समर्पण को दर्शाती है. यह यात्रा हर साल लाखों भक्तों को आकर्षित करती है और उनकी धार्मिक आस्था को और मजबूत करती है.