रमजान का पहला अशरा बेशुमार बरकतों से भरा होता है: डॉ. अजहरी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 08-03-2025
The first Ashra of Ramadan is filled with innumerable blessings
The first Ashra of Ramadan is filled with innumerable blessings

 

कालीकट / अब्दुलकरीम अमजदी

रमजान के पवित्र महीने के दौरान, भारत की सबसे बड़ी मस्जिद, भारतीय ग्रैंड मस्जिद ‘जामिया अल-फुतुह’ में विभिन्न शैक्षणिक, आध्यात्मिक कार्यक्रम, पाठ्यक्रम और समारोह आयोजित किए जा रहे हैं. रमजान के पहले महीने से लेकर रमजान के आखिर तक हर दिन हजारों लोगों के लिए सामूहिक इफ्तार, प्रार्थना सभा और बड़े पैमाने पर कुरान की तिलावत के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है. इसके अलावा, फत्तौह अकादमी के तहत विभिन्न धार्मिक और शैक्षणिक पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं.

प्रतिष्ठित और योग्य विद्वानों और वाचकों के नेतृत्व में हदीस पाठ, पार्टी कक्षाएं, रमजान उपदेश और सुधार भाषण जारी हैं. जामिया अल-फुतुह का सबसे महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक कार्यक्रम बद्र के साथियों की याद में बद्र अल-कुबरा आध्यात्मिक सभा है, जो 16 रमजान को सुबह 10 बजे से 17 रमजान की सुबह तक जारी रहेगा. जिसे विद्वानों एवं विद्वानों द्वारा प्रायोजित किया जाएगा. इस अवसर पर हजारों की संख्या में तौहीद के बच्चे सामूहिक इफ्तार, तरावीह की नमाज और यादगाहों में हिस्सा लेंगे.

गौरतलब है कि आखिरी दस दिनों में सामूहिक एतिकाफ, शब-ए-बिदारी, एतिकाफ जलसा, सहाबा आध्यात्मिक सुधार शिविर और महिलाओं के लिए सैय्यदा खदीजा सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा.

मीडिया से बात करते हुए नॉलेज सिटी के प्रबंध निदेशक, विभिन्न संगठनों और आंदोलनों के संरक्षक, प्रख्यात और गतिशील धार्मिक विद्वान डॉ. अब्दुल हकीम अजहरी ने कहा कि रमजान गम, धैर्य और समभाव का महीना है. इस पवित्र महीने में हर अच्छे काम का सवाब कई गुना बढ़ जाता है. डॉ. अजहरी ने कहा कि इसके पहले दस दिन अपार आशीर्वाद से भरे हुए हैं. मुसलमानों को इस महीने के दौरान अपनी इबादत और भक्ति बढ़ानी चाहिए. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को प्रायश्चित करना चाहिए और बार-बार क्षमा मांगनी चाहिए, क्योंकि यह महीना नरक से मुक्ति और ईश्वर के करीब पहुंचने का सबसे अच्छा साधन है.

डॉ. अजहरी ने कहा कि बद्री अल-कुबरा आध्यात्मिक समागम में देशभर से रोजेदार, विद्वान और राष्ट्रीय हस्तियां भाग ले रही हैं. जिसके लिए यात्रियों, बीमारों, विद्वानों, सादात और रोजेदारों के लिए अलग-अलग शिविरों के तहत सुविधाएं प्रदान की जाएंगी. डॉ. अजहरी ने शुभचिंतकों से इस ऐतिहासिक सम्मेलन में भाग लेने की अपील की है.