एतिकाफ़ एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र धार्मिक प्रथा है, जो विशेष रूप से रमजान के आखिरी दस दिनों में की जाती है. इस दौरान मुसलमान अपने घरों से बाहर निकलकर मस्जिदों में निवास करते हैं, ताकि वे अधिक से अधिक इबादत कर सकें और अल्लाह से निकटता प्राप्त कर सकें.
इस समय को पूरी तरह से इबादत और तास्सवुफ़ में व्यतीत करने की कोशिश की जाती है. लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या एतिकाफ़ के दौरान पारिवारिक और सांसारिक मामलों पर बातचीत करना जायज़ है?
एतिकाफ़ के दौरान वाणी और इबादत पर ध्यान केंद्रित करना
एतिकाफ़ के दौरान व्यक्ति का मुख्य उद्देश्य अपने समय का अधिकतम हिस्सा अल्लाह की इबादत, तवज्जो और ध्यान में लगाना होता है. इसलिए, इस समय का अधिकतर भाग कुरान के पाठ, नफ़्ल नमाज, और दुआ में व्यतीत करना चाहिए। साथ ही, व्यक्ति को आत्म-सुधार, ज़िक्र, इस्तग़फार (पापों की माफी) और दुरूद (नबी के ऊपर शांति और आशीर्वाद भेजना) पर भी ध्यान देना चाहिए.
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि एतिकाफ़ के दौरान बिल्कुल चुप रहना चाहिए. धार्मिक दृष्टिकोण से यह ठीक नहीं है, बल्कि यह भी देखा गया है कि एतिकाफ़ के दौरान कुछ मामूली, आवश्यक सांसारिक बातचीत भी की जा सकती है.
क्या पारिवारिक मामलों पर बातचीत करना जायज़ है?
एतिकाफ़ के दौरान व्यक्ति को अनावश्यक या फालतू की बातें करने से बचना चाहिए. लेकिन, अगर पारिवारिक मामलों के बारे में बात करना जरूरी हो, जैसे घर के कुछ जरूरी निर्णय या परिवार की किसी महत्वपूर्ण समस्या के समाधान के लिए बात करनी हो, तो इसे जायज़ माना गया है.
मुस्लिम धर्मशास्त्रियों के अनुसार, यदि एतिकाफ़ के दौरान कोई व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों के साथ आवश्यक सांसारिक बातचीत करता है, तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है. इस प्रकार की बातचीत से एतिकाफ़ की मुराद में कोई कमी नहीं आती, क्योंकि यह केवल आवश्यक बातें होती हैं, न कि अनावश्यक चिट-चैट.
यह उल्लेखनीय है कि अद्दुर्रुल मुख्तार 3/441 और अलबहरुर रेयक 2/304 जैसे उलेमाओं ने इस बात पर जोर दिया है कि एतिकाफ़ के दौरान पारिवारिक मामलों पर चर्चा करने में कोई समस्या नहीं है, बशर्ते वह बहुत जरूरी और आवश्यक हो.
क्या करें और क्या न करें एतिकाफ़ के दौरान?
इस्लामिक शास्त्र के अनुसार, एतिकाफ़ के दौरान कुछ अहम नियम और कार्य हैं जिनका पालन करना चाहिए:
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इबादत को प्राथमिकता दें: वाजिब और सुन्नत इबादत को समय पर पूरा करें, कुरान का अधिकतम पाठ करें, और नफ़्ल नमाज अदा करें.
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विशेष रातों का ध्यान रखें: रातों को जागकर ज़िक्र और नफ़्ल नमाज अदा करें, विशेषकर रमजान की आखिरी दस रातों में.
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पश्चाताप और संकल्प करें: पिछले पापों के लिए अल्लाह से माफी मांगें और भविष्य में पाप न करने का दृढ़ संकल्प लें.
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सुरक्षित माहौल बनाए रखें: वाणी, व्यवहार और चाल-ढाल से किसी को भी हानि न पहुँचाएँ.
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ध्यान केंद्रित रखें: अनावश्यक वार्ता और वक्त की बर्बादी से बचें.
क्या करें और क्या न करें?
- क्या न करें: एतिकाफ़ के दौरान अनावश्यक बातचीत मकरूह (अप्रिय) मानी जाती है. खासकर जब लोग इकट्ठा होकर बातचीत करते हैं, तो यह एतिकाफ़ के उद्देश्य के खिलाफ होता है.
- क्या पढ़ें: एतिकाफ़ के दौरान धार्मिक किताबों के अलावा कोई अन्य पुस्तक पढ़ने की अनुमति नहीं है.
- पाप से बचें: किसी भी पाप के साधन से बचने का प्रयास करें.
क्या एतिकाफ़ के दौरान जनाज़े के लिए बाहर जाना जायज़ है?
धार्मिक मामलों में जनाज़े में शामिल होना या किसी अन्य धार्मिक कार्य के लिए बाहर जाना मना किया जाता है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे किसी का बहुत करीबी संबंधी होना, तो इसे जायज़ माना जाता है.
क्या बीमारी के कारण डॉक्टर के पास जाना जायज़ है?
अगर कोई व्यक्ति बीमारी के कारण लाचार हो और उसे डॉक्टर के पास जाना पड़े, तो एतिकाफ़ की स्थिति टूट सकती है. हालांकि, यह अक्षमता के कारण पाप नहीं होगा.
एतिकाफ़ के दौरान पारिवारिक मामलों पर बातचीत करना कुछ हद तक जायज़ है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बातचीत अनावश्यक न हो और व्यक्ति का ध्यान इबादत और अल्लाह की याद में हो. एतिकाफ़ का मुख्य उद्देश्य आत्म-सुधार और धार्मिक उन्नति है, और हमें इसे प्राथमिकता देनी चाहिए.