हिन्दी में तफ़हीमुल क़ुरआन ऐप लॉन्च : डिजिटल युग में इस्लामी शिक्षा का नया कदम

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 28-12-2024
Tafheemul Quran app launched in Hindi: A new step in Islamic education in the digital age
Tafheemul Quran app launched in Hindi: A new step in Islamic education in the digital age

 

आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के मुख्यालय में  एक विशेष समारोह के दौरान मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी की प्रसिद्ध तफसीर तफ़हीमुल क़ुरआन के हिंदी संस्करण की ऐप का विमोचन किया गया. इस ऐतिहासिक आयोजन की अध्यक्षता जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने की.

इस्लामी साहित्य ट्रस्ट द्वारा विकसित इस ऐप का उद्देश्य पवित्र क़ुरआन के हिंदी अनुवाद और व्याख्या को आधुनिक तकनीक के माध्यम से लोगों तक पहुँचाना है. अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने ट्रस्ट और ऐप डेवलपर यूसुफ अमीन को इस सराहनीय प्रयास के लिए बधाई दी.

उन्होंने कहा, “मौलाना मौदूदी ने तफ़सीर तैयार करने में असाधारण मेहनत की. उन्होंने इसके लिए जर्मन भाषा सीखी, विभिन्न धर्मों और विचारधाराओं का अध्ययन किया और गहराई से मूल्यांकन के बाद तफ़हीमुल क़ुरआन की रचना की. अब हमारी जिम्मेदारी है कि इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाएँ, ताकि हिंदी भाषी समुदाय भी इस्लामी शिक्षाओं से लाभान्वित हो सके.”
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ऐप के फीचर्स और लॉन्चिंग

समारोह में ट्रस्ट के सचिव श्री वारिस हुसैन ने परिचयात्मक उद्बोधन दिया, जिसके बाद अमीर जमाअत ने ऐप का पोस्टर जारी किया और लिंक पर क्लिक कर ऐप को औपचारिक रूप से लॉन्च किया. ऐप डेवेलपर यूसुफ अमीन ने इसके फीचर्स का परिचय देते हुए बताया कि इसमें पवित्र क़ुरआन का संपूर्ण पाठ, हिंदी अनुवाद और तफ़सीर शामिल हैं. अनुवाद और व्याख्या दोनों पढ़े जा सकते हैं, जबकि सुनने का विकल्प केवल अनुवाद के लिए है.

तफ़सीर का हिंदी अनुवाद और विशेषताएँ

तफ़हीमुल क़ुरआन का हिंदी अनुवाद मौलाना नसीम अहमद गाजी फलाही ने किया है. उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि इस तफ़सीर के छह खंडों के अनुवाद में 12 वर्ष लगे. इसमें शब्दावली की व्याख्या और हदीसों के संदर्भ भी शामिल किए गए हैं.

कार्यक्रम में इमारत-ए-शरिया बिहार के पूर्व नाजिम और ऑल इंडिया नेशनल काउंसिल के उपाध्यक्ष मौलाना अनीसुर रहमान कासमी ने अनुवाद के महत्व और इसकी संवेदनशीलता पर प्रकाश डाला. उन्होंने इस कार्य में शामिल सभी लोगों को बधाई दी.

जमाअत के शरिया काउंसिल के राष्ट्रीय सचिव डॉ. रज़ी-उल-इस्लाम नदवी ने इस प्रयास को “सदक़ा-ए-जारिया” (निरंतर पुण्य) बताया. जमाअत के उपाध्यक्ष मलिक मोतसिम खान और ट्रस्ट के अध्यक्ष  फरहत हुसैन ने भी इस परियोजना की प्रशंसा की.

फरहत हुसैन ने बताया कि ऐप में मौलाना सदरुद्दीन इस्लाही द्वारा तैयार किए गए तफ़हीमुल क़ुरआन के सारांश का हिंदी अनुवाद भी शामिल किया गया है.
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डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्धता

यह ऐप एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है. इसे प्ले स्टोर पर तफ़हीमुल क़ुरआन हिंदी सर्च कर या ट्रस्ट द्वारा साझा किए गए लिंक के माध्यम से डाउनलोड किया जा सकता है.इस्लामी साहित्य ट्रस्ट ने भविष्य में अन्य धार्मिक पुस्तकों को भी डिजिटल रूप में लाने की योजना बनाई है. यह ऐप इस दिशा में एक बड़ा कदम है, जो इस्लामी शिक्षा और तालीम को तकनीकी युग के साथ जोड़ता है.