हजरत निजामुद्दीन औलिया के 721वें वार्षिक उर्स का आगाज, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी शुभकामनाएं

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 23-10-2024
721st annual Urs of Hazrat Nizamuddin Auliya begins, Prime Minister Narendra Modi extends best wishes
721st annual Urs of Hazrat Nizamuddin Auliya begins, Prime Minister Narendra Modi extends best wishes

 

मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली

हजरत निजामुद्दीन औलिया के 721वें वार्षिक उर्स समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में फैले उनके अनुयायियों और भक्तों को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित कीं. प्रधानमंत्री ने इस महत्वपूर्ण अवसर पर भेजे अपने संदेश में हजरत निजामुद्दीन औलिया की शिक्षाओं और उनके जीवन को आज के समय में भी अत्यंत प्रासंगिक बताया. 

प्रधानमंत्री ने कहा, "उर्स मुबारक, हजरत निजामुद्दीन के अनुयायियों के लिए उनके जीवन और संदेश पर चिंतन करने का एक सुनहरा अवसर है. उनका जीवन आज भी प्रेरणा स्रोत बना हुआ है और उनकी शिक्षाएं सदियों से समाज को दिशा देती आ रही हैं."
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश

प्रधानमंत्री मोदी का संदेश: सूफी संतों की शिक्षाओं का महत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में सूफी संतों की छोड़ी गई विरासत पर विशेष जोर दिया. उन्होंने हजरत निजामुद्दीन औलिया के योगदानों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी शिक्षाओं ने समाज में एकता, शांति और भाईचारे को बढ़ावा दिया.

"गहन आध्यात्मिक ज्ञान और बुद्धि से संपन्न, सूफी संतों की शिक्षाओं ने विभिन्न धर्मों और विचारधाराओं से जुड़े लोगों के बीच पुल बनाने का काम किया है. उनकी शिक्षाएं और उनके कार्य हमें मानवीय मूल्यों को बनाए रखने और सद्भाव के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देते रहेंगे."

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हजरत निजामुद्दीन औलिया ने जीवनभर सामाजिक और सांस्कृतिक सीमाओं को पार करते हुए मानवता की सेवा की और उनके ये महान कार्य पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे. उनके जीवन का प्रत्येक पहलू—चाहे वह संगीत हो, साहित्य हो, या दर्शन—आज भी युवा पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक बना हुआ है.
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हजरत निजामुद्दीन औलिया की शिक्षाओं की प्रासंगिकता

प्रधानमंत्री मोदी ने सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया के जीवन का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी शिक्षाएं आज के समय में भी अत्यंत प्रासंगिक हैं. उन्होंने कहा, "उनका जीवन समर्पण और सेवा का प्रतीक है. हजरत निजामुद्दीन औलिया ने सभी सीमाओं और मतभेदों को पार कर मानवता को प्रेम, एकता, और शांति का पाठ पढ़ाया.

उन्होंने जो जीवन जिया और जो मूल्यों को आगे बढ़ाया, वह आने वाली पीढ़ियों को एक समावेशी और एकजुट समाज बनाने के लिए प्रेरित करता रहेगा."प्रधानमंत्री ने हजरत निजामुद्दीन औलिया के जीवन और उनके संदेश की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी शिक्षाएं न केवल उनके अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सम्पूर्ण समाज के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत हैं.

उन्होंने कहा, "हजरत निजामुद्दीन औलिया ने अपने समय में धार्मिक सद्भाव, प्रेम और करुणा के सिद्धांतों का पालन किया और यही कारण है कि उनकी शिक्षाएं आज भी हमारे समाज में प्रासंगिक बनी हुई हैं. उनके जीवन के ये मूल्य हमें एक समावेशी समाज और राष्ट्र के निर्माण की दिशा में प्रेरित करते रहेंगे."

उर्स समारोह का महत्व और आयोजन

उर्स का आयोजन सूफी संतों की पुण्यतिथि पर किया जाता है. यह अवसर उनके अनुयायियों के लिए उनकी शिक्षाओं पर चिंतन करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का होता है. "उर्स" अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है "विवाह". सूफी सम्प्रदायों में यह माना जाता है कि सूफी संतों की मृत्यु उनके ईश्वर के साथ मिलन का प्रतीक होती है. यही कारण है कि उर्स को उत्सव की तरह मनाया जाता है.

हजरत निजामुद्दीन औलिया के उर्स समारोह में देशभर से हजारों अनुयायी और भक्त उनके दरगाह पर पहुंचते हैं. इस अवसर पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें हम्द, नात और कव्वाली प्रस्तुतियां शामिल होती हैं. हजरत निजामुद्दीन की दरगाह पर यह उर्स प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें विभिन्न समुदायों के लोग भाग लेते हैं. यह अवसर धार्मिक सद्भाव और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक माना जाता है.


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हजरत निजामुद्दीन औलिया: एक संक्षिप्त परिचय

हजरत निजामुद्दीन औलिया का जन्म 1238 में उत्तर प्रदेश के बदायूं में हुआ था. वे चिश्ती संप्रदाय के एक प्रमुख सूफी संत थे, जिनका जीवन धार्मिक सद्भाव, प्रेम और मानवता की सेवा के लिए समर्पित था। उन्होंने दिल्ली में बसकर चिश्ती संप्रदाय के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

हजरत निजामुद्दीन औलिया ने हमेशा यह प्रचार किया कि सभी धर्मों और समुदायों के लोगों को प्रेम और आपसी सम्मान के साथ जीवन जीना चाहिए। उन्होंने समाज में फैली धार्मिक और सांस्कृतिक असमानताओं को समाप्त करने के लिए लोगों को प्रेम और एकता का संदेश दिया.

उनके सबसे प्रसिद्ध शिष्य अमीर खुसरो थे, जिन्होंने संगीत, कविता और साहित्य के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया. अमीर खुसरो के अलावा हजरत नसीरुद्दीन महमूद चिराग देहलवी सहित कई अन्य लोग भी उनके अनुयायी बने.

प्रधानमंत्री की शुभकामनाएं और समाज के प्रति संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में हजरत निजामुद्दीन औलिया के जीवन और उनके योगदान को विशेष रूप से सराहा. उन्होंने कहा कि उनके जीवन और शिक्षाओं ने समाज के ताने-बाने को गहराई से प्रभावित किया और समाज को एकता और भाईचारे के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी.

प्रधानमंत्री ने कहा, "हजरत निजामुद्दीन औलिया ने अपने जीवन को मानवता की सेवा के लिए समर्पित किया. उन्होंने अपने कार्यों के माध्यम से विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदायों के बीच एकता और सद्भावना का संदेश फैलाया. उनकी शिक्षाएं आज भी समाज को एकजुट करने और युवाओं को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं."

 निजामुद्दीन औलिया की शिक्षाएं  अत्यंत प्रासंगिक

हजरत निजामुद्दीन औलिया का जीवन और उनकी शिक्षाएं आज भी समाज के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं. उनकी शिक्षाओं ने न केवल उनके समय में धार्मिक और सामाजिक असमानताओं को दूर करने में मदद की, बल्कि आज भी उनके विचार और सिद्धांत समाज में शांति, सद्भाव और प्रेम का संदेश देते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके जीवन के इस पक्ष पर विशेष रूप से जोर दिया और कहा कि उनकी शिक्षाएं भविष्य में भी समाज को एक बेहतर दिशा देती रहेंगी.इस प्रकार, हजरत निजामुद्दीन औलिया का 721वां उर्स न केवल उनके अनुयायियों के लिए, बल्कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए उनके जीवन और संदेश पर चिंतन करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है.