मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
आप में से कितनों को पता है कि देश में पहला खादी स्टोर किसने और कहां खोला था ? मेरे ख्याल से इस सवाल का जवाब बहुत कम लोगों को पता होगा. इस सवाल का जवाब है स्थान गुंटूर और पहला खादी स्टोर स्थापित करने वाले का नाम मोहम्मद इस्माइल.
वह और उनकी पत्नी हजारा बीबी इस्माइल महात्मा गांधी के परमअनुयायी थे. यहां तक कि मुस्लिम लीग के दबाव के बावजूद दोनों पति पत्नी ने गांधी के पद्चिन्होंने पर चलना कभी नहीं छोड़ा. हजारा बीबी जब तक जीवित रहीं पति के गुजरने के बाद खादी स्टोर चलाती रहीं. उन्होंने अंतिम सांस तक खादी ही धारण किया. आज हजारा बीबी इस्माइल की पुण्य तिथि है.
हजारा बीबी इस्माइल और मोहम्मद इस्माइल आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के तेनाली के एक स्वतंत्रता सेनानी थे. दंपति महात्मा गांधी से बेहद प्रभावित था.उन्होंने खुद को खादी अभियान आंदोलन के लिए समर्पित कर दिया था.
हजारा बीबी ने अपने पति का समर्थन किया जो खादी आंदोलन की गतिविधियों में व्यस्त थे. उनके पति मोहम्मद इस्माइल ने गुंटूर जिले में देश का पहला खादी स्टोर शुरू किया था. इसके कारण वह ‘खद्दर इस्माइल‘ के नाम से जाने जाने लगे.
उन दिनों, तेनाली आंध्र क्षेत्र में मुस्लिम लीग का मुख्यालय था. जहां वह अपने विभिन्न कार्यक्रमों के साथ बहुत सक्रिय थीे. चूंकि हजारा और उनके पति महात्मा गांधी की विचारधारा का पालन कर रहे थे, मुस्लिम लीग के कार्यकर्ताओं ने उन्हें कई तरह से परेशान किया. ऐसी स्थिति में भी वह अपने पति के लिए बहुत सहायक रहीं. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के कार्यकर्ताओं की मदद की. वे उनके घर भी आया करते थे.
हजारा बीबी ने कभी हिम्मत नहीं हारी, भले ही उनके पति को राष्ट्रीय आंदोलन में उनकी भूमिका के लिए कई बार गिरफ्तार किया गया. इस्माइल दंपत्ति चाहते थे कि उनके बच्चे वहीं पढ़े जहां राष्ट्रवाद की शिक्षा दी जाती है. इस प्रकार, उन्होंने अपनी बालिकाओं को एक हिंदी स्कूल में भेजा, जिसमें राष्ट्रवादी भावना के साथ एक शैक्षिक प्रणाली थी.
अपने ही समुदाय के लोगों ने राष्ट्रवाद के इन कृत्यों पर दया नहीं की और सामाजिक बहिष्कार की घोषणा की. हजीरा बीबी ने उस कृत्य की परवाह नहीं की और यह स्पष्ट कर दिया कि उनका परिवार गांधीजी के आदर्शों का पालन कर रहा है और वे जिस रास्ते पर चल रहे हैं, उससे पीछे चलता रहेगा.
चाहे परिणाम कुछ भी हो. 1948 में उन्होंने अपने पति खद्दर इस्माइल को खो दिया. बार-बार कारावास के कारण खराब स्वास्थ्य की वजह से उनकी मृत्यु हो गई. सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों की श्रेणी के तहत उनके पति के निधन के बाद उन्हें जमीन देने की पेशकश की. लेकिन, उन्होंने विनम्रता से जमीन लेने से मना कर दिया.
तर्क दिया कि वह नहीं चाहतीं कि उनकी देशभक्ति को संपत्ति के रूप में महत्व दिया जाए. इसके अलावा, उन्हांेने अपने पति द्वारा किए गए वादे को निभाने के लिए अपने परिवार की जमीन ‘कावुरु विनयश्रम‘ को दान कर दी. पति के निधन के बाद भी उन्होंने उनके आदर्शों का पालन किया.
अपने पति के बाद अपने बच्चों के साथ मिल कर खादी की दुकान चलाई और उन्होंने आखिरी सांस तक खादी पहना. हजारा बीबी इस्माइल, जो अपने पति की तरह एक समर्पित खादी कार्यकर्ता थीं, 16 जून, 1994 को तेनाली में निधन हो गया.
इनपुटः द इम्मोर्टल्स, 155 मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियों का एल्बम