मोहम्मद फरहान इसराइली / कोटा (राजस्थान)
राजस्थान के कोटा शहर में एक ऐसा आयोजन होने जा रहा है, जिसने साम्प्रदायिक सौहार्द, दोस्ती और सामाजिक समरसता की नई इबारत लिख दी है. जनकपुरी माला रोड स्थित दो परिवार — अब्दुल रऊफ अंसारी और विश्वजीत चक्रवर्ती — अपने बेटों की शादी एक साथ, एक ही आयोजन स्थल पर करवा रहे हैं. यह कोई आम आयोजन नहीं, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता का जीवंत उदाहरण है, जिसकी शुरुआत एक अनोखे शादी के कार्ड से हुई.
एक ही कार्ड, दो मजहब – अनूठा निमंत्रण
दोनों परिवारों ने अपने-अपने बेटों की शादी के लिए एक ही निमंत्रण पत्र छपवाया है, जिसमें एक ओर निकाह की दावत है तो दूसरी ओर हिंदू विवाह का आमंत्रण.
कार्ड में न सिर्फ हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं का इस्तेमाल किया गया है, बल्कि इसकी डिज़ाइन और भाव भी पूर्णतः समावेशी हैं. दोनों धर्मों के प्रतीकों और परंपराओं को समान आदर के साथ दर्शाया गया है.
40 साल पुरानी दोस्ती बनी रिश्तेदारी की नींव
यह दोस्ती नई नहीं है. करीब चार दशक पहले, स्टेशन क्षेत्र की मस्जिद गली में अब्दुल रऊफ और विश्वजीत चक्रवर्ती एक-दूसरे के पड़ोसी थे.
यहीं से शुरू हुई उनकी दोस्ती समय के साथ इतनी गहरी हो गई कि दोनों ने साथ मिलकर प्रॉपर्टी डीलिंग का कारोबार शुरू किया. बाद में जनकपुरी इलाके में पास-पास मकान बना लिए.
आज उनके बेटे — यूनुस परवेज अंसारी और सौरभ चक्रवर्ती (रिकूं) — जीवनसाथी के रूप में अपने-अपने जीवन की नई शुरुआत कर रहे हैं. दोनों परिवारों ने तय किया कि यह जश्न भी साथ-साथ ही मनाया जाएगा.
शादी का शेड्यूल:
17 अप्रैल 2025: यूनुस परवेज अंसारी का निकाह
वधु: फरहीन अंसारी
स्थान: बोरखेड़ा स्थित रिसॉर्ट
समय: ईशा की नमाज़ के बाद
18 अप्रैल 2025: सौरभ चक्रवर्ती का हिंदू विवाह
वधु: श्रेष्ठा राय
बारात: स्टेशन रोड स्थित मैरिज गार्डन
समय: मध्यरात्रि में सात फेरे
19 अप्रैल 2025: साझा रिसेप्शन 'दावत-ए-खुशी'
स्थान: काला तालाब स्थित एक रिसॉर्ट
दोनों परिवार मेहमानों का संयुक्त स्वागत करेंगे
स्वागतकर्ताओं की अद्भुत साझेदारी
इस आयोजन की एक और खास बात यह है कि स्वागतकर्ता भी आपस में क्रॉस लिस्टेड हैं. यानी, यूनुस की शादी में मेहमानों का स्वागत विश्वजीत और मधु चक्रवर्ती कर रहे हैं, जबकि सौरभ की शादी में अब्दुल रऊफ और अजीजन अंसारी स्वागत की ज़िम्मेदारी संभाल रहे हैं. इस छोटे से निर्णय में बराबरी, आत्मीयता और सामाजिक साझेदारी का गहरा संदेश छिपा है.
युवा पीढ़ी ने दिया बदलाव का संदेश
यूनुस परवेज अंसारी एक IT कंपनी में काम करते हैं, जबकि सौरभ चक्रवर्ती मेडिसिन डिस्ट्रीब्यूशन के व्यवसाय में हैं.
दोनों का मानना है कि यह आयोजन न केवल परिवारों को जोड़ेगा, बल्कि रिश्तेदारों और समुदायों के बीच भी सौहार्द को मजबूत करेगा.
सौरभ बताते हैं, “जब शादी की योजना बनी, तो दोनों परिवारों ने तय किया कि इसे साझा आयोजन बनाया जाए, ताकि खुशी को दोगुना किया जा सके.”
सामाजिक संदेश: मजहब नहीं, मोहब्बत बड़ी है
इस आयोजन से निकलने वाला संदेश बहुत साफ है — जब दिल जुड़ते हैं, तो मजहब की दीवारें खुद-ब-खुद ढह जाती हैं. यह शादी दो परिवारों का नहीं,
बल्कि हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहज़ीब का उत्सव है. कोटा से आई यह मिसाल एक बार फिर यह साबित करती है कि विविधता में एकता ही भारत की सबसे बड़ी ताकत है.
‘दावत-ए-खुशी’ सिर्फ एक रिसेप्शन नहीं, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द, दोस्ती और इंसानियत का उत्सव है.
जब दो अलग धर्मों के परिवार इस तरह एक साथ मिलकर जीवन के सबसे खास मौके को मनाते हैं, तो यह न केवल इंसानियत की जीत होती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्रोत भी बन जाती है.