आपातकाल में मुस्लिमों की नसबंदी करवाने वाली चीफ ग्लैमर गर्ल थी संजय गांधी की करीबी रुखसाना सुल्ताना

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 25-06-2023
रुखसाना सुल्ताना (फोटो सौजन्यः सोशल मीडिया)
रुखसाना सुल्ताना (फोटो सौजन्यः सोशल मीडिया)

 

मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली

ठीक आज की ही तारीख में सुबह-सुबह आकाशवाणी के समाचारों के प्रसारण के वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Prime Minister Indira Gandhi) की आवाज गूंजी थीः “देशवासियो, राष्ट्रपति जी ने देश में आपातकाल (Emergency) की घोषणा की है. इससे घबराने की जरूरत नहीं है.”

बेशक इंदिरा गांधी (Prime Minister Indira Gandhi) ने देशवासियों के घबराने के लिए नहीं कहा था. लेकिन आपातकाल (Emergency) के दौरान जो कुछ हुआ वह आज भी बहुत सारे लोगों के जेहन में काले धब्बे की तरह अमिट है.

बहुत सारे पत्रकारों ने अपने अनुभवों में और किताबों में लिखा है कि आपातकाल (Emergency) के दौरान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी (Sanjay Gandhi) ही सत्ता की डोर संभाले हुए थे. और संजय गांधी (Sanjay Gandhi) की ही पहल पर इमरजेंसी में कई ऐसे कदम उठाए गए, जिसकी वजह से लोगों में इमरजेंसी और तत्कालीन कांग्रेस सरकार से नफरत पैदा हो गई.

इन कई सारे अभियानों में एक था नसबंदी (Vasectomy) अभियान, जिसकी बागडोर संजय गांधी (Sanjay Gandhi) के कहने पर संभाल रही थी रुखसाना सुल्ताना (Rukhsana Sultana).

असल में आपातकाल (Emergency) के दौरान लोगों की जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर जबरिया नसबंदी (Vasectomy) की गई और इसका असली निशाना थे मुस्लिम समुदाय के लोग. मुस्लिम समुदाय की नसबंदी (Vasectomy) की जिम्मेदारी रुखसाना सुल्ताना (Rukhsana Sultana) को सौंपी गई थी. रुखसाना को संजय गांधी (Sanjay Gandhi) का बेहद करीबी माना जाता था.

असल में, रुखसाना एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं. वह पुरानी दिल्ली में एक बुटीक चलाती थीं और उनका विवाह एक सैन्य अधिकारी शिविंदर सिंह से हुआ था. शिविंदर सिंह जाने-माने पत्रकार और लेखक खुशवंत सिंह के भतीजे थे.

रुखसाना सुल्ताना (Rukhsana Sultana) की बेटी अमृता सिंह का नाम भी आपने जरूर सुना होगा. अमृता सिंह सैफ अली खान की पूर्व पत्नी भी हैं और अमृता सिंह और सैफ अली खान की बेटी सारा अली खान भी अभिनेत्री हैं.

बहरहाल, रुखसाना सुल्ताना (Rukhsana Sultana) के बारे में कई वरिष्ठ पत्रकारों ने अपनी किताबों में जिक्र किया है. इनमें से एक किताब है वरिष्ठ पत्रकार विनोद मेहता की 'द संजय स्टोरी: आनंद भवन से अमेठी तक' और दूसरी किताब राशिद किदवई की ’24 अकबर रोड’ है.

इन दोनों ही किताबों में रुखसाना सुल्ताना (Rukhsana Sultana) के कारनामों के बारे में जिक्र किया गया है.

मेहता ने अपनी किताब में लिखा है कि रुखसाना का लोगों में इतना डर था कि उनकी गाड़ी देखते ही लोग कांपने लगते.

असल में जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर नसबंदी (Vasectomy) अभियान की शुरुआत दिल्ली से की गई. इसके लिए चार लोगों को जिम्मेदारी गई, जिसमें लेफ्टिनेंट गवर्नर किशन चंद, नवीन चावला, विद्याबेन शाह और रुखसाना सुल्ताना (Rukhsana Sultana) का नाम शामिल था.

संजय गांधी (Sanjay Gandhi) ने रुखसाना को मुस्लिम समुदाय के लोगों को नसबंदी (Vasectomy) के लिए राजी करने का जिम्मा सौंपा गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रुखसाना संजय गांधी (Sanjay Gandhi) से प्रभावित थीं. इसके बाद रुखसाना धीरे-धीरे संजय गांधी (Sanjay Gandhi) के करीब आती गईं.

रुखसाना सुल्ताना

कहा जाता है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए शुरू हुए नसबंदी (Vasectomy) अभियान से लोगों के बीच दहशत का माहौल बन गया. मुस्लिम लोगों को लगने लगा कि सरकार उनकी आबादी कम करने की साजिश कर रही है. वहीं यह भी खबरें सामने आईं कि टारगेट पूरा करने के लिए 18 साल के युवाओं और 60 साल के बुजुर्गों की जबरन नसबंदी (Vasectomy) कराई जा रही है.

इंडिया टुडे में छपी एक खबर के मुताबिक, रुखसाना खुद को मिली जिम्मेदारी को लेकर इतनी उत्साहित हो उठी कि उन्होंने राजधानी के पुरानी दिल्ली इलाके में 13,000 नसबंदियां करवा दीं. इससे लोग गुस्से से भर उठे और दंगे भड़क उठे और पुलिस और दंगाइयों के बीच खूनी संघर्ष हुआ तथा कुछ लोगों की मौतें भी हुईं.

हालांकि पत्रकार विनोद मेहता ने अपनी किताब में लिखा है कि जब इस बारे में उनकी रुखसाना से बात हुई, तो उन्होंने इस तरह के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. रुखसाना ने कहा कि नसबंदी (Vasectomy) अभियान मानवीय और स्वैच्छिक तरीके से चल रहा है.

उन्होंने कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये कांग्रेस के पुराने नेताओं की साजिश है. उन्हें ये बर्दाश्त नहीं हो रहा है कि कोई दूसरा उनके इलाके में कुछ काम कर रहा है. रुखसाना का कहना था कि इस मामले में राई का पहाड़ बनाया जा रहा है.

बहरहाल, अपने जमाने में बेहद खूबसूरत रहीं रुखसाना से कांग्रेस के नेताओं को दिक्कत होने लगी थी. रुखसाना को आपातकाल (Emergency) की 'चीफ ग्लैमर गर्ल' के नाम से जाना जाने लगा.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद किदवई ने अपनी किताब '24अकबर रोड' में लिखा है कि रुखसाना समाजसेविका के तौर पर जानी जाती थीं. लेकिन जल्द ही संजय गांधी (Sanjay Gandhi) के इतने करीब हो गईं कि संजय की पत्नी मेनका गांधी, इंदिरा गांधी और युवा कांग्रेस की अध्यक्ष अंबिका सोनी समेत दूसरे लोगों को भी उनसे दिक्कत होने लगी.

इमरजेंसी के समय ही जब संजय ने जब दिल्ली को साफ-सुथरा बनाने की योजना तैयार की तो रुखसाना को तुर्कमान गेट की गंदगी साफ करने का जिम्मा दिया गया. रुखसाना के कहने पर इस इलाके में कई बुलडोजर पहुंचा दिए गए. इससे यहां दंगे भड़क उठे. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस घटना में 6 लोग मारे गए. इस घटना की जांच के लिए शाह कमीशन का गठन किया गया. लेकिन इसके बाद भी दिल्ली में बुलडोजर के पहिए नहीं रुके.

नवभारत टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1975 से 1977 के बीच सौंदर्यीकरण के नाम पर करीब डेढ़ लाख मकान तोड़े गए. इससे 6-7 लाख लोग बेघर हो गए.

लेकिन आपातकाल (Emergency)के बाद  कांग्रेस की चुनावी हार और फिर बाद में संजय गांधी (Sanjay Gandhi)के निधन के बाद रुखसाना नेपथ्य में चली गईं.