संभल: सैलीना बी ने बसंत पंचमी पर बनाई मां सरस्वती की तस्वीर, दिया सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 03-02-2025
Sambhal: Selina B make a picture of Maa Saraswati
Sambhal: Selina B make a picture of Maa Saraswati

 

संभल. बसंत पंचमी का पर्व ज्ञान, कला और संगीत की देवी मां सरस्वती को समर्पित होता है, लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश के संभल की एक मुस्लिम लड़की ने इस उत्सव को एक नई दिशा दी है. सैलीना बी नाम की युवा कलाकार ने इस पावन अवसर पर मां सरस्वती की सुंदर चित्रकला बनाई, जो न केवल उसकी कला के प्रति समर्पण को दर्शाती है, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश भी देती है.

सैलीना बी का कहना है कि उन्होंने इस खास दिन पर मां सरस्वती का चित्र अपने परिवार के सहयोग से तैयार किया. उनका मकसद समाज में सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देना है, ताकि लोग प्रेम और एकता के साथ जीवन व्यतीत कर सकें. सैलीना कहती हैं,

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बचपन से ड्राइंग का शौक है. पिछले एक साल से मैं पेंसिल आर्ट कर रही हूं और अब तक कई चित्र बना चुकी हूं. हाल ही में, मैंने एक समाजसेवी महिला का चित्र बनाकर उन्हें उपहार में दिया था. आज बसंत पंचमी के अवसर पर मैंने मां सरस्वती की तस्वीर बनाकर इस त्यौहार को अपनी कला से मनाने का निर्णय लिया.’’

सैलीना को उनके परिवार का पूरा समर्थन मिला है. उनके माता-पिता और भाई-बहनों ने हमेशा उनकी कला को प्रोत्साहित किया और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी. वह कहती हैं, ‘‘मेरे परिवार ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया है. उन्होंने मुझे कभी किसी धर्म या परंपरा की सीमाओं में नहीं बांधा, बल्कि मुझे अपनी कला के जरिए समाज को सकारात्मक संदेश देने की प्रेरणा दी.’’

एक कलाकार का कर्तव्य

सैलीना का मानना है कि एक कलाकार केवल चित्र बनाने तक सीमित नहीं होता, बल्कि वह समाज को जागरूक करने और सकारात्मक बदलाव लाने का भी साधन होता है. वह आगे बताती हैं, ‘‘मैं अब तक सैकड़ों तस्वीरें बना चुकी हूं और मेरा सपना है कि मैं एक दिन एक सफल कला अध्यापिका बनूं. मेरी कला केवल रंगों तक सीमित नहीं, बल्कि इसका उद्देश्य लोगों को जोड़ना और समाज में भाईचारे को बढ़ावा देना है.’’

एकता और सम्मान

सैलीना का यह प्रयास बताता है कि कला की कोई सीमा नहीं होती और न ही यह किसी धर्म या संप्रदाय में बंधी होती है. उनकी मां सरस्वती की यह चित्रकला सिर्फ एक कलाकृति नहीं, बल्कि यह संदेश देती है कि धर्म से ऊपर इंसानियत और एकता होती है.

संभल की इस बेटी का यह सराहनीय प्रयास पूरे समाज के लिए प्रेरणा है कि हम सभी को मिल-जुलकर रहना चाहिए और एक-दूसरे के त्योहारों, परंपराओं और मान्यताओं का सम्मान करना चाहिए.