जितेंद्र पुष्प गया ( बिहार )
दिन - शनिवार, तिथि - 30 सितंबर 2023, समय - सुबह 4 बजे, स्थान - मोक्षदायिनी फल्गु नदी का पश्चिमी तट. नदी के तट पर स्थित मोक्ष धाम विष्णुपद मंदिर से सटे देव घाट पर पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के निमित्त पिंड सामग्रियों के साथ झुंड के झुंड पिंडदानियों का आना प्रारंभ हो गया है. छह बजते - बजते विष्णुपद मंदिर परिसर, मंदिर के आसपास का क्षेत्र और देवघाट पिंडदानी से पट गया. पिंडदानी पवित्र फल्गु नदी में स्नान कर अपने पूर्वजों की मृत आत्मा को तृप्त और मोक्ष प्राप्ति के लिए कर्मकांड में जुट गए हैं. महिलाएं पिंड बनाने में तल्लीन हैं.
अपने पूर्वजों को मोक्ष प्राप्ति की नियत से देश - विदेश के विभिन्न क्षेत्रों से गयाजी आए पिंडदानियों का रुख मोक्ष धाम विष्णुपद की ओर है.भगवती प्रसाद डालमिया काठमांडू (नेपाल) से मोक्षधाम गयाजी आए हैं. वे अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए देव घाट पर पिंडदान कर रहे हैं. उनके साथ परिवार के कुल 17 सदस्य हैं.
सभी 17 दिनों तक गयाजी में रहकर अलग अलग तिथियों में श्राद्ध कर्म, पिंडदान और तर्पण करेंगे. डालमिया बताते हैं, मेरे परदादा दुर्गा प्रसाद डालमिया 70 साल पहले गयाजी आकार अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान कर गए थे.
इसी प्रकार छत्तीसगढ़ निवासी जगदीश अग्रवाल अपने परिवार के 10 सदस्यों के साथ अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति की नियत से गयाजी में 17 दिवसीय पिंडदान कर रहे हैं.गयाधाम यानी बिहार के गया शहर में एक पखवाड़े के लिए मृतात्माओं की तृप्ति के लिए पिंडदानियों का मेला लगा हुआ है. पितृपक्ष मेला के रूप में मशहूर गया धाम में यह मेला 28 सितंबर से 14 अक्टूबर तक चलेगा.
बिहार सरकार ने विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला को राजकीय मेला घोषित किया है. इसे लेकर शासन-प्रशासन चौकस है. सफाई, स्वास्थ्य, सुरक्षा, यातायात, और आवास की पुख्ता इंतजाम किया है. गया के गांधी मैदान को टेंट सिटी के रूप तब्दील किया गया है, जहां ढाई हजार पिंडदानियों के लिए निःशुल्क आवासन की व्यवस्था की गई है.
धार्मिक संदर्भ
भाद्रपद की पूर्णिमा और अश्विन मास के कृष्ण पक्ष के प्रतिपदा को पितृपक्ष कहते हैं. इस वर्ष 2023 में पितृपक्ष मेला 28 सितंबर 2023 से 14 अक्टूबर 2023 तक रहेगा.गयावाल पंडा महेश लाल गुपुत बताते हैं कि गया धाम में पिंडदान का बहुत महत्व है.
पहले गयाधाम में 365 पिंडवेदियां थीं, जहां पिंडदानी अपने पूर्वजों की भटकती हुई मृतात्माओं की शांति और उनके मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंड वेदी पर पिंडदान करते थे. इस प्रकार एक साल गया धाम में रहकर 365 पिंड वेदियों पर पिंडदान करने का विधान था.
परंतु अब गयाधाम में स्थित बहुत सारे पिंड वेदियां विलुप्त हो गई हैं या उनपर अवैध कब्जा कर लिया गया है. वर्तमान में यहां मात्र 45 पिंडवेदियां मौजूद हैं, जहां पिंडदानी अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के निमित्त पिंडदान करते हैं.
श्री गुपुत पूर्व और वर्तमान में श्रद्धालुओं का अपने पूर्वजों के प्रति आस्था के संबंध में बताते हुए कहते हैं, लोग अब पूर्वजों के प्रति उतना आस्थावान नहीं रहे. लोग नौकरी, व्यवसाय व अन्य कार्यों में व्यस्त हो गए हैं. वे कम समय में गयाजी में पिंडदान करना चाहते हैं.
इन दिनों एक दिन, तीन दिन, पांच दिन, सात दिन से लेकर सत्रह दिन तक पिंडदान का प्रचलन है. लोग अपनी सुविधा और समर्थ के अनुसार पूर्वजों का श्राद्ध कर्म, पिंडदान और तर्पण करते हैं.
क्या गया जी आना जरूरी है ?
यंू तो पितरों की आत्मा की शांति के लिए देश में कई जगह पिंडदान और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं, लेकिन गया में पिंडदान करना सर्वाधिक पुण्यदायी माना गया है. मान्यता है कि गयाधाम में पिंडदान करने से पूर्वजों को जन्म-मरण से मुक्ति मिल जाती है.
इसलिए यहां देश ही नहीं विदेशों से भी लोग पितृपक्ष के दौरान आकर अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान करते हैं. मान्यता है कि यहां पर पिंडदान और तर्पण करने से सात पीढ़ियों तक का उद्धार हो जाता है.
भगवान विष्णु और धार्मिक ग्रंथ
गरुड़ पुराण में लिखा है कि गयाधाम में श्राद्ध कर्म करने से पूर्वज सीधे स्वर्ग चले जाते है. यहां पर स्वयं भगवान विष्णु पितृ देवता के रूप में मौजूद हैं. इसलिए गया को पितृतीर्थ भी कहा जाता है. इसकी चर्चा विष्णु पुराण और वायु पुराण में है. गयाजी, भगवान विष्णु और एक असुर को लेकर भी एक कहानी बहुत चर्चित है. गया की फल्गु नदी को श्राप मिला हुआ है.
सुरक्षा-व्यवस्था चौकस
एक पखवाड़े तक गयाधाम में चलने वाला पितृपक्ष मेला में देश विदेश से आए पिंडदानियों से गया शहर भर गया है. गया शहर, बोधगया, मानपुर, अंदर गया के लगभग सभी होटल, धर्मशालाओं, मेला क्षेत्र में स्थित विद्यालयों में पिंडदानी भरे हुए हैं.
बिहार सरकार के पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन ने पिंडदानियों के लिए निशुल्क आवास की व्यवस्था की है. जिला प्रशासन रात दिन मेला क्षेत्र की साफ सफाई, बिजली, स्वास्थ्य, सुरक्षा, यातायात, आवास सहित अन्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने में मुस्तैद है.
इसके लिए गया के जिलाधिकारी ने अपने अधीनस्थ के अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक को कई जोन में बांटकर जिम्मेवारी सौंपी है. स्वास्थ्य, पुलिस प्रशासन, बिजली विभाग, लोक अभियंत्रण, नगर निगम के अलावे अन्य विभाग के कर्मियों को मेला क्षेत्र में तैनात किया गया है.