कश्मीर में भी मनाया जाएगा श्री गणेशोत्सव, पुणे के गणेश मंडलों ने की पहल

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 08-09-2024
Now Shri Ganeshotsav will be celebrated in Kashmir too, Pune's Ganesh Mandals took the initiative
Now Shri Ganeshotsav will be celebrated in Kashmir too, Pune's Ganesh Mandals took the initiative

 

भक्ति चालक

एक जमाने में कश्मीर का नाम सुनते ही आतंकवाद, हिंसा और पत्थरबाजी के दृश्य हमारे आंखों के सामने आ जाया करते थे. पर धारा 370 हटने के बाद इन सभी चीजों पर काफी हद तक लगाम लग गई और कश्मीर में वास्तविक शांति बहाल हो गई. अब यहां श्री गणेशोत्सव की तैयारियां भी प्रारंभ हो गई हैं.

कश्मीर में शैव, सूफी परंपरा से हिंदू-मुसलमानों की साझी विरासत ने जन्म लिया जिसे ‘कश्मीरियत’ कहा जाता है. इन दिनों इसी कश्मीरियत की जड़ें फिर से मजबूत होती दिखाई दे रही हैं. इस दिशा में पुणे, महाराष्ट्र की संस्थाओं ने एक और कदम उठाया है.

अंग्रेजों के जमाने में सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरुआत पुणे से हुई. देखते-देखते ये त्यौहार पूरे महाराष्ट्र में उत्साह के साथ मनाया जाने लगा है. अब यह त्यौहार सिर्फ भारत में ही नहीं विदेशों में भी मनाया जा रहा है. पर सबसे खुशी की बात ये है कि अब से गणेशोत्सव कश्मीर में भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. पुणे के सात जाने-माने गणेश मंडलों के सहयोग से कश्मीर में अब सार्वजनिक गणेशोत्सव का आयोजन किया जानेवाला है.

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गणेश मूर्तियों की प्रतिकृतियां सौंपी 

हाल ही में पुणे में आयोजित एक भव्य समारोह में, पुणे के मशहूर गणपती मंडलों की प्रसिद्ध गणेश मूर्तियों की प्रतिकृतियां, कश्मीर के मंडलों को सौंपी गईं. इस अवसर पर तांबडी जोगेश्वरी गणेश मंडल के गणेश की प्रतिकृति कश्मीर के लाल चौक में गणपतियार ट्रस्ट को सौंपी गई है. जबकि कुपवाड़ा गणेश मंडल को गुरुजी तालीम गणेश मंडल की प्रतिकृति दी गई. वहीं तुलसीबाग गणेश मंडल की एक प्रतिकृति अनंतनाग में गणेश मंडल को सौंपी गई. कश्मीर के गणेश मंडलों के पदाधिकारी मोहित भान, संदीप रैना, संदीप कौल, नितिन रैना आदि ने यह प्रतिकृतियां प्राप्त की हैं.

कश्मीर में मनाये जाने वाले गणेशोत्सव के बारे में अनंतनाग के गणेश मंडल के संदीप रैना ने कहा, “पिछले साल हमने अनंतनाग में डेढ़ दिनों के लिए गणेशजी की स्थापना की थी. इस साल हम पांच दिन का गणेशोत्सव मना रहे हैं. विसर्जन दिवस पर महापूजा का भी आयोजन किया है. उसके बाद शाम में संगम नदी में गणेशजी का विधिवत विसर्जन किया जायेगा.”

श्री गणेशोत्सव में कश्मीरियों की सहभाग के बारे में बात करते हुए रैना कहते हैं, “जब आप कश्मीर के बारे में सोचते हैं, तो आपकी आंखों के सामने तनाव और कश्मीरियों की गलत छवि आ जाती है. लेकिन कश्मीर की संस्कृति और धार्मिक एकता के बारे में बहुत से लोगों को जानकारी नहीं है. कश्मीर में हिंदू-मुस्लिम सौहार्द की परंपरा बहुत पुरानी है और आज भी जीवित है.”

रैना आगे बताते है, “कश्मीर में मुस्लिम समाज बहुसंख्यक है. हमारा कोई भी काम उनके सहयोग के बिना पूरा नहीं होता. गणेशोत्सव में भी हमें उनका पूरा सहयोग मिलने वाला है. कश्मीर में हम हिंदू-मुस्लिम मिलकर सभी त्योहार मनाते हैं.” उन्होंने कहा कि गणपति विघ्नहर्ता और सुख-शांति देने वाले देवता हैं. गणेशजी के आगमन से यहां खुशियां और खुशहाली आएगी, ऐसी भावना उन्होंने आखिर में व्यक्त की.

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पुणे के मंडलों की सराहनीय पहल 

कश्मीर में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए पुणे के सात गणेश मंडल एकसाथ आये और उन्होंने वहां गणेशोत्सव मनाने का फैसला किया. इस साल कश्मीर में तीन जगहों पर गणेशोत्सव मनाया जाएगा. इसी उद्देश्य से पुणे के प्रतिष्ठित गणेश मंडलों की गणेश प्रतिमाओं का विधिपूर्वक पूजन कर कश्मीर के तीन मंडल के कार्यकर्ताओं को सौंप दिया गया.

इस बारे में पुणे के श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी गणपति ट्रस्ट के उत्सव प्रमुख पुनीत बालन बताते हैं, “कश्मीर के गणेश मंडलों के कार्यकर्ताओं ने इस साल कश्मीर में तीन जगहों पर गणेशोत्सव मनाने का प्रस्ताव दिया. हमें खुशी है कि पुणे की सांस्कृतिक परंपरा को बरकरार रखने वाला यह त्योहार अब कश्मीर में भी मनाया जा रहा है. विघ्नहर्ता बप्पा के चरणों में प्रार्थना है कि यह गणेशोत्सव भारत के स्वर्ग कश्मीर में शांति लाए.”

पहले कश्मीर में सिर्फ एक जगह होती थी गणेश स्थापना

कश्मीर के लाल चौक स्थित पंचमुखी मारुति मंदिर में 40 वर्षों से अधिक समय से गणेशोत्सव मनाया जा रहा है. जम्मू-कश्मीर में रहने वाले महाराष्ट्रीयन परिवारों ने इस परंपरा की शुरुआत की. इस उत्सव में वहां के कश्मीरी मुस्लिम, पंडित, सिख, बंगाली पडोसी भाग लेते हैं. पिछले साल वहां डेढ़ दिन का गणेशोत्सव मनाया गया था. इस साल यह त्योहार कश्मीर में तीन जगहों पर पांच दिनों तक मनाया जायेगा.