मुस्लिम परिवार 68 साल से बना रहा राजस्थान का सबसे बड़ा रावण का पुतला

Story by  फरहान इसराइली | Published by  [email protected] | Date 16-10-2024
Muslim family has been making Rajasthan's biggest effigy of Ravana since 68 years
Muslim family has been making Rajasthan's biggest effigy of Ravana since 68 years

 

फरहान इसराइली  /जयपुर

धार्मिक सौहार्द्र की उम्दा मिसाल पेश करते हुए राजधानी जयपुर के आदर्श नगर स्थित दशहरा मैदान में रावण और कुम्भकर्ण का पुतला मुस्लिम परिवार 68 साल से बनाता आ रहा है.ये उनके लिए सिर्फ व्यापार नहीं.पुतले बनाते समय इस बात का ख्याल रखा जाता है कि दशहरा के दिन इस खास दिन हिंदू समुदायरावण के पुतलों को देखकर वैसा ही महसूस करें जैसा कि उन्होंने उसके बारे में सुना और पढ़ा है.

दशहरे के दिन जब सैकडों परिवार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतिक के रूप में पुतलों को जलते हुए देखते हैं तो उन्हे खुशी होती है.गंगा-जमुनी तहजीब को मुस्लिम परिवार की पांच पीढ़ियां यू ही आगे बढ़ा रही हैं.25 सदस्यों के इस दल में सबसे छोटा सदस्य 7 साल का मोहम्मद रजा कादरी और सबसे बडे सदस्य 68साल के लक्खूभाई रावण वाले शामिल हैं.

विजयदशमी पर आदर्श नगर के दशहरा मैदान में करीब 105फीट के रावण और 95 फीट के कुम्भकर्ण के दहन को देखने के लिए ना केवल शहर से बल्कि दूर दूर से लोग आते हैं.जिसे मुस्लिम परिवार 45दिन की बडी मेहनत के बाद तैयार करता है.

लखोभाई की पांच पीढ़ी श्रीराम मंदिर प्रन्यास श्रीसनातन धर्मसभा आदर्श नगर जयपुर के लिए रावण बना रही है.आज से 68साल पहले लखोभाई के दादा नईम बख्श आतिशबाज यहां रावण बनाने आए थे.उसके बाद पिता सुबहान बख्श, बड़े भाई अबरार हुसैन रावण बनाते थे.

हो जाते हैं सात्विक

मोहम्मद राजा खान ने बताया कि इस दौरान उनका पूरा परिवार राम मंदिर में रहता है.सुबह उठकर स्नान करने के बाद ही वो पुतला बनाना शुरू करते हैं.इस दौरान वो सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं.मंदिर परिसर में होने वाले रामलीला को देखने भी वो जाते हैं.उन्होंने बताया कि अपने बच्चों को रामलीला दिखाकर वो अच्छी बातें सिखने के लिए प्रेरित करते हैं.

68 साल पहले हुई थी शुरुआत

मुस्लिम परिवार द्वारा पुतला बनाए जाने की शुरुआत 68साल पहले हुई थी.उस समय से इस मैदान में रावण दहन किया जा रहा है.पुतला बनाने वालों में शामिल चांद मोहम्मद ने बताया कि उनके पूर्वजों ने 1966में पहली बार 20फ़ीट का पुतला बनाया था.उस दौरान उन्हें मेहनताने के रुप में 250रुपए मिले थे.इसके अलावा अच्छा काम करने के लिए 10रुपए का इनाम दिया गया था.तब से लेकर अब तक वो इस काम को आगे बढ़ा रहे हैं.

ravan

पांचवीं पीढ़ी कर रही ये काम

मुस्लिम कारीगरों ने दशहरा पर्व पर दहन होने वाले रावण के पुतलों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है.बड़ी-बड़ी आंखें, रौबदार मूंछ, अहंकार से भरा हुआ सिर और उसका ताज बनाया जा चुका है.जल्द ही इसे फाइनल टच दिया जाएगा.राजधानी के आदर्श नगर में मनाए जाने वाले दशहरा महापर्व को लेकर आयोजक राजीव मनचंदा ने बताया कि जिस रावण का दहन किया जाता है, उसका निर्माण मथुरा से आया एक मुस्लिम परिवार करता है, जिसकी पांचवीं पीढ़ी ये काम कर रही है.

पूरा परिवार जन्माष्टमी के अगले दिन से यहां आकर बस जाता है.बीते साल तो परिवार के एक सदस्य ने यहीं जन्म लिया.उन्होंने कहा कि ये काम वो मजदूरी के लिए नहीं,बल्कि भाव की वजह से करते हैं.अब इस काम में पूरी तरह रम चुके हैं.परिवार के मुखिया चांद बाबू ने बताया, “68साल पहले उनके दादा-परदादा ने यहां आकर रावण बनाने का काम शुरू किया था.

उस वक्त 20 फीट का रावण बनाकर शुरुआत की गई थी.तभी से पीढ़ी दर पीढ़ी वो यहां आकर रावण बनाने का काम कर रहे हैं.”पीढ़ियों से चली आ रही उनके घर की परंपरा को लेकर चांद बाबू ने कहा कि उन्होंने जो अपने बड़ों से सीखा है, वो चाहते हैं कि यही कला उनके बच्चे भी सीखें.

उन्होंने बताया कि यहां से कोई खास मेहनताना नहीं मिलता, लेकिन जो परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, उसका वो निर्वहन कर रहे हैं.मुख्य रूप से रोजगार के लिए उनका काम कपड़े सिलाई का है.उनके भाई चांदी की पाजेब बनाने का काम करते हैं, लेकिन हर साल डेढ़ महीने के लिए अपना सारा काम-धाम छोड़ यहां रावण बनाने के लिए पहुंचते हैं.मुस्लिम समुदाय से आने के बावजूद उनकी मंदिर के प्रति जो श्रद्धा है, उसकी वजह से वो यहां तक खिंचे चले आते हैं.

चांद बाबू ने बताया कि मथुरा में भी हिंदू मुस्लिम में इसी तरह का भाईचारा है.यहां भी उन्हें घर जैसा ही महसूस होता है.उनके बच्चे मंदिर भी जाते हैं. भगवान का प्रसाद भी खाते हैं.यहां किसी तरह का भेदभाव उनके साथ नहीं होता. बहरहाल, आदर्श नगर में मनाया जाने वाला दशहरा जाति-धर्म की खाई को पाटने का काम करता है.साथ ही यहां रावण दहन ये संदेश भी देता है कि बुराई कितनी है बड़ी क्यों न हो, अच्छाई के सामने बहुत छोटी होती है.

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68 साल पहले बनाया था 20फीट ऊंचा रावण

मनचंदा ने बताया कि 68साल पहले दशहरे मेले की शुरुआत हुई थी.तभी से रामलीला व रावण दहन का आयोजन हो रहा है.चांद मोहम्मद ने बताया कि पूर्वजों ने वर्ष 1966में 20फीट ऊंचा रावण का पुतला बनाया था.इसके लिए बतौर पारिश्रमिक 250 रुपए मिले थे.इनाम के तौर पर 10रुपये अलग से मिले थे.

105 फीट का रावण, 90 फीट का कुंभकर्ण

आयोजक राजीव मनचंदा ने दावा किया कि जयपुर ही नहीं राजस्थान का सबसे बड़ा दशहरा मेला का आयोजन यहां किया जाता है.इसमें शहर भर से लोग और जनप्रतिनिधि भी पहुंचते हैं.यहां 105 फीट का रावण और 90 फीट का कुम्भकर्ण बनाया जाता है.रावण दहन से पहले करीब 20 से 25 मिनट की भव्य आतिशबाजी की जाती है.उन्होंने बताया कि रावण दहन के दिन दोपहर में राम दरबार की सजीव झांकी के साथ शोभायात्रा निकाली जाती है.