महाराष्ट्र: बैल की अनोखी तेरहवीं, देखने को मिली वारकरी परंपरा की झलक

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 28-12-2024
Maharashtra: Unique thirteenth day of bull, glimpse of Warkari tradition seen
Maharashtra: Unique thirteenth day of bull, glimpse of Warkari tradition seen

 

वाशिम. महाराष्ट्र के वाशिम जिले के भटउमरा गांव में वारकरी परंपरा से जुड़ी एक अनूठी घटना देखने को मिली. गांव के लोगों ने प्रिय बैल की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार पूरी विधि-विधान से किया गया और तेरहवीं की रस्म भी निभाई गई.

तेरहवीं के अवसर पर गांव के सभी बैलों को मीठा प्रसाद खिलाया गया. सामूहिक भोज का भी आयोजन किया गया. इसके अलावा, किसानों का सम्मान करते हुए उन्हें शॉल और टोपी देकर सत्कार किया गया. गांव के लोगों का कहना है कि यह परंपरा वारकरी संप्रदाय की संस्कारों के कारण पीढ़ियों से निभाई जा रही है.

भटउमरा गांव में बैल को सिर्फ खेतों में काम करने वाला पशु नहीं माना जाता, बल्कि उसे परिवार का हिस्सा माना जाता है. बैल की मृत्यु के बाद भी उसे मानवीय सम्मान दिया जाता है. गांव के निवासी अभिमान काले ने कहा, "बैल हमारी खेती और परिवार का सहारा है. इसलिए, उसकी मृत्यु के बाद भी उसे पूरा सम्मान देना हमारा कर्तव्य है."

भटउमरा गांव की यह परंपरा ग्रामीण एकता का प्रतीक है. बैलों को प्रसाद खिलाने से लेकर सामूहिक भोज तक सभी रस्मों ने गांव वालों के आपसी प्रेम और संस्कृति को दर्शाया है. यह अनोखी परंपरा सिर्फ भटउमरा तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि अन्य गांवों के लिए भी प्रेरणा बन सकती है. खेती और पशुधन के महत्व को समझते हुए इस तरह की परंपराएं ग्रामीण जीवनशैली और उसकी गरिमा को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं.