रमजान का आखिरी जुम्मा: नेमतों की बारिश और गुनाहों से निजात का मौका

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 29-03-2025
 Jumma al-Wida prayer
Jumma al-Wida prayer

 

जेबा नसीम

शुक्रवार को सबसे उत्कृष्ट एवं अद्वितीय दिन घोषित किया गया है. अनेक हदीसें संकेत देती हैं कि शुक्रवार को अल्लाह की ओर से विशेष आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है, जिस पर पैगंबर (सल्लल्लाहू अलैहि व सल्लम) ने बार-बार प्रकाश डाला है. शुक्रवार को इबादत का दिन घोषित किया गया है, जो इस राष्ट्र की विशिष्टता और आध्यात्मिक विशिष्टता का प्रतीक है - एक ऐसा आशीर्वाद जो पिछले राष्ट्रों को नहीं दिया गया था.

जुम्मा अल-विदा हमें याद दिलाता है कि रमजान का पवित्र महीना अपने समापन के करीब है. इसलिए, आस्तिक को अपने दिल की गहराई से अल्लाह सर्वशक्तिमान को धन्यवाद देना चाहिए कि उसने हमें रमजान के अनगिनत आशीर्वाद और अनुग्रहों से नवाजा है, जिसमें उपवास, प्रार्थना, तिलावत और तरावीह जैसी पूजा करने की क्षमता शामिल है.

जितना अधिक बन्दा अल्लाह का शुक्र अदा करेगा, उतनी ही अधिक उसकी बरकतें बढ़ेंगी. यह विशेष शुक्रवार इस बात का प्रतीक है कि रमजान का अंत निकट है और प्रतिदिन अनगिनत बंदों को ईश्वर क्षमा करता है. इसलिए अगर इबादत और दूसरे अच्छे कामों में कोई चूक हो जाए तो मोमिन को चाहिए कि सच्चे दिल से अल्लाह से माफी मांगे, अपनी कमियों की भरपाई करे और बची हुई नेमतों की कदर करे, ताकि वह अपने गुनाहों की माफी पाकर रहमतों की बारिश से फायदा उठा सके.

जुम्मा अल-विदा हमें अपने कार्यों और चरित्र की जांच करने और यह देखने की आवश्यकता है कि इस धन्य महीने में हमने कहां, किस बिंदु पर क्या गलतियाँ कीं और कहां हमने अपने निर्माता और मालिक की अवज्ञा की. अपनी पूरी जिम्मेदारी लेने के बाद हमें अल्लाह तआला से अपनी कमियों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए और उसके सामने सजदा करके दुआ करनी चाहिए कि वह इस मुबारक महीने में हमारी इबादत और इस जुम्मा अल-विदा के दान को स्वीकार करे और हमें अगले जन्म में विनम्रता, समर्पण और दिल से भक्ति के साथ इबादत करने की क्षमता प्रदान करे. आमीन.

इस्लाम में शुक्रवार का दिन एक विशिष्ट स्थान रखता है, जिसे सप्ताह के शेष दिनों में सबसे प्रतिष्ठित और सम्माननीय माना जाता है. यह दिन केवल मुस्लिम उम्माह के लिए एक विशेष आशीर्वाद है. पवित्र पैगंबर (शांति उन पर हो) ने कहा, ‘‘सबसे महान और सबसे अच्छा दिन जिस दिन सूरज उगता है, वह शुक्रवार है. उस दिन, हजरत आदम (शांति उन पर हो) को बनाया गया था और उन्हें स्वर्ग में प्रवेश दिया गया था.’’ (मुस्लिम द्वारा वर्णित) इस संदर्भ में, इमाम हाकिम और इमाम इब्न हिब्बान ने अपने सहीह हदीसों में हजरत औस बिन औस (आरए) का कथन वर्णित किया है कि पवित्र पैगंबर ने कहा, ‘‘शुक्रवार सबसे अच्छा दिन है, उस दिन हजरत आदम को बनाया गया था, उसी दिन उनकी मृत्यु हुई, उसी दिन तुरही फूँकी जाएगी और प्रलय की घोषणा की जाएगी. उस दिन मुझ पर प्रचुर दुरूद भेजो, क्योंकि तुम्हारी दुआएं मेरे लिए प्रस्तुत हैं.’’

जब हम यह जान लेते हैं कि शुक्रवार का दिन अल्लाह की दृष्टि में कितना सम्मानीय और गरिमापूर्ण है, तो एक मुसलमान की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि वह इस दिन की नेमतों और गुणों का उपयोग करने के लिए व्यवस्थित और उद्देश्यपूर्ण योजना बनाए. इस दिन के बाहरी और आंतरिक आशीर्वाद से लाभ उठाना एक आस्तिक की आध्यात्मिक पहचान का हिस्सा है. अल्लाह तआला ने शुक्रवार के दिन के लिए दो विशेष आचार और गुण निर्धारित किये हैं. उनमें से एक यह है कि इस दिन स्नान पर जोर दिया जाता है, स्वच्छता और इत्र का उपयोग अनिवार्य किया जाता है, और मुसलमानों को अच्छे और चमकदार कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है. इस तरह, वे न केवल बाहरी रूप से बल्कि आंतरिक रूप से भी अपने विश्वास को प्रकट करने में सक्षम होंगे.

शुक्रवार बहुत ही शुभ एवं अद्वितीय दिन है. जिस तरह रमजान के आखिरी दस दिनों में इबादत का बोलबाला रहता है, उसी तरह इस दिन इबादत का सवाब हजारों गुना बढ़ जाता है. हदीसों में वर्णित विभिन्न आयतों और दुरूद शरीफ को पढ़ने से अदृश्य खजाने की बरकत घर-घर उतरने लगती है. यह विशेष शुक्रवार, रमजान के अंतिम दस दिनों के साथ, एक महान आध्यात्मिक अवसर भी प्रदान करता है जिसे बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए. अल्लाह तआला ने अपने बंदों को इस दिन इबादत करने का मौका दिया है ताकि वे अल्लाह की याद में डूब जाएं और उसकी अनगिनत नेमतों से लाभान्वित हों. यद्यपि सामान्य परिस्थितियों में भी शुक्रवार एक धन्य दिन है, किन्तु रमजान के दौरान इसकी पुण्यता और भी अधिक बढ़ जाती है.

हजरत अबू दरदासा (र.अ.) से रिवायत है कि पैगम्बर मुहम्मद (स.अ.व.) ने फरमाया, ‘‘सबसे महान और सबसे अच्छा दिन जिस दिन सूरज उगता है वह शुक्रवार है.’’ इसी दिन हजरत आदम (अलैहिस्सलाम) की रचना और उनके जन्नत में प्रवेश की शुरुआत हुई थी तथा कयामत के दिन की घोषणा भी इसी दिन को जिम्मेदार ठहराया जाता है. इस संबंध में हजरत अनस बिन मालिक (अल्लाह उन पर प्रसन्न हो) से वर्णित है कि पवित्र पैगंबर (शांति उन पर हो) ने कहा, ‘‘शुक्रवार दिन और रात में चौबीस घंटे का होता है, और कोई भी घंटा ऐसा नहीं गुजरता जिसमें अल्लाह अपने छह लाख बंदों को नरक से मुक्त न कर दे, जिनके लिए नरक की सजा का आदेश दिया गया है.’’

हजरत सलमान फारसी (अल्लाह उन पर प्रसन्न हो) के वर्णन के अनुसार, प्रसिद्ध हस्तियों ने भी कहा है कि ‘‘जो कोई शुक्रवार को स्नान करता है, खुद को शुद्ध करता है, तेल या इत्र का उपयोग करता है, और फिर मस्जिद के लिए निकलता है, उसकी इबादत का सवाब अनगिनत हो जाता है.’’ यह व्यापक संदेश हमें याद दिलाता है कि जुम्मा अल-विदा न केवल रमजान की बरकतों का अंत है, बल्कि यह दिन हमें अपने कर्मों को सुधारने और अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है.

  • इस शुक्रवार के घंटों को मूल्यवान बनायें और उन्हें अस्र और मगरिब के बीच केवल पूजा, तिलावत और प्रार्थना में व्यतीत करें.
  • अस्र के बाद बार-बार दुरूद शरीफ पढ़ें, ताकि आपको उस दिन का सवाब और गुनाहों की माफी मिले.
  • जुम्मा अल-विदा हमें याद दिलाता है कि रमजान का पवित्र महीना समाप्त होने वाला हैय इसलिए, परमेश्वर को धन्यवाद दीजिए और उसके आशीर्वाद की सराहना कीजिए.
  • इस दिन यह संदेश भी मिलता है कि रमजान का अंत निकट हैय इसलिए अपने पापों के लिए क्षमा मांगें और शेष आशीर्वाद का उपयोग करें.
  • रमजान में जो इबादत और गुनाहों से परहेज तुमने शुरू किया था, उसे जारी रखो, ताकि तुम साल भर तकवा और अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त कर सको.
  • आखिरी दस दिनों की रातों में लैलातुल कद्र की बरकतों से लाभ उठाओ और लगन से इबादत करो, ताकि तुम्हें अल्लाह से मगफिरत और जहन्नम की आग से निजात मिले.

पैगम्बर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा - तुम्हारे दिनों में सबसे अच्छा दिन शुक्रवार है. इस दिन खूब आशीर्वाद बोलो, क्योंकि तुम्हारी प्रार्थनाएं मुझ तक पहुंचती हैं. (मुसनद अहमद, अबू दाऊद, इब्न माजा, सहीह इब्न हिब्बन) पैगंबर (अल्लाह की शांति और आशीर्वाद उन पर हो) ने कहा, ‘‘शुक्रवार और शुक्रवार की रात को बहुतायत से दुआएं भेजें, जो कोई ऐसा करेगा, मैं पुनरुत्थान के दिन उसके लिए सिफारिश करूंगा.’’ (बयहाकी)

याद रखें, तौबा का दरवाजा हमेशा खुला रहता है, और इस मुबारक महीने के आखिरी दस दिनों के दौरान एक ऐसा समय आता है जब दुआएँ स्वीकार की जाती हैं. शायद स्वीकृति का वह समय हमारा इंतजार कर रहा है. हे प्रभु, आप बहुत दयालु और उदार हैं. आपके धन में कोई कमी नहीं है. आप अत्यंत कृपालु, अत्यंत दयावान, अत्यंत उदार, अत्यंत क्षमाशील और अत्यंत दयावान हैं. आप हमारे पापों को ढकते हैं.

इसके लिए आवश्यक है कि हम एकांत में अपने प्रभु से प्रार्थना करें, अपने पापों को स्वीकार करें, तथा अपने पापों के लिए खेद प्रकट करें. इस पवित्र महीने के विदाई दिवस की मांग है कि रमजान के बाद भी हमारे जीवन में इबादत और नेक काम जारी रहें. रमजान वास्तव में आत्म-नियंत्रण और आत्म-शुद्धि का महीना है. शुद्धिकरण की यह प्रक्रिया जीवन के प्रत्येक क्षण और उपासना के प्रत्येक चरण में जारी रहनी चाहिए.