आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
सऊदी अरब के बॉर्डर पर प्राचीन शहर है तबुक. इस को लेकर इस्लाम में कई मान्यताएं हैं. उनमें से एक है तबुक की मस्जिद, जिसके बारे में ऐतिहासिक तथ्य है कि 1,400साल पहले से भी पहले इसे पैगंबर मुहम्मद साहब ने अपने हाथों से बनाया था.
तबुक का इलाका ईसा पूर्व से आबाद है. कहते हैं यह क्षेत्र यीशु के जन्म से सैकड़ों वर्षों पहले से बसा हुआ है. इसकी सभ्यता की कई निशानियां यहां आज भी मौजूद हैं.तबुक के तीमा के अलावा, अल-बदा, जबा और अमलज कमिश्नरों में पुरातत्व संबंधी खोजों से पता चला है कि यह क्षेत्र प्राचीन काल से बसा हुआ है.
मस्जिद का नक्शा
तबुक में इस्लामी इतिहास के संकेत मौजूद हैं. यहां की प्राचीन मस्जिद और किले इस बात का स्पष्ट प्रमाण हैं.तबुक में मस्जिद इस्लाम के पैगंबर के आगमन की घटना का पता देती है. इस्लाम के पैगंबर ने इस मस्जिद की नींव तब रखी थी जब वह सीमा पार दुश्मनों से निपटने के लिए चिलचिलाती गर्मी में लंबी यात्रा के बाद मदीना से यहां आए थे.
इस्लामी इतिहास में इस युद्ध को तबुक की लड़ाई के नाम से जाना जाता है. इस्लाम के पैगंबर को सूचित किया गया था कि रोमन सेना मुसलमानों पर आक्रमण करने की तैयारी में हैं. जैसे ही उन्हें यह सूचना मिली, उन्होंने आक्रमण को रोकने के लिए एहतियात के तौर पर मदीना से तबुक तक की यात्रा की. उनके साथ कई साथी थे जो इस युद्ध में भाग लेने के लिए अपने तन-मन की कुर्बानी देने को तैयार थे.
ऐतिहासिक विद्वान अब्दुल्ला अल-इमरानी का कहना है कि मस्जिद तबुक को तबुक की लड़ाई के दौरान खुद इस्लाम के पैगंबर द्वारा स्थापित किए जाने का सम्मान प्राप्त है. वह तबुक में 20दिन तक रहे थे. युद्ध में भाग लेने के लिए उनके साथ 30,000 से अधिक साथी आए थे.
अब ऐसी दिखती है मस्जिद
अल-इमरानी का कहना है कि यहां स्थित मस्जिद को कई नामों से जाना जाता है. इसके प्रमुख नाम मस्जिद-ए-रसूलुल्ला, मस्जिद-ए-तौबा, मस्जिद-ए-अथरी, मस्जिद-ए-तबूक, मस्जिद-ए-तबुक, अल-बालादत-ए-जामी मस्जिद और बड़ी-ए-जामी मस्जिद हैं.हालांकि अब वहां प्राचीन मस्जिद के स्थान पर कंक्रीट की पोख्ता मस्जिद है.
अल-इमरानी ने कहा कि शाह फैसल बिन अब्दुल अजीज ने 27शाबान 1393 हिजरी को तबुक की यात्रा की थी. इस मौके पर स्थानीय लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया था. शाह फैसल को बताया गया कि शहर के केंद्र में एक मस्जिद है जिसकी स्थापना का श्रेय पवित्र पैगंबर को जाता है. यह सुनकर वह मस्जिद गए और दो रकअत नमाज अदा की.
यह उमय्यद खलीफा उमर बिन अब्दुल अजीज के शासनकाल के दौरान बनी पहली मस्जिद है. यह मिट्टी से बनाई गई है. इसकी छत खजूर की छाल और माणिक पत्थर से बनाई गई थी. मस्जिद प्राचीन शहर के मध्य में तबुक किले के पास स्थित है.
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