जानिए कब है होली 2025, शुभ मुहूर्त, धुलंडी, पूजा विधि और महत्व

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 13-03-2025
Know when is Holi 2025, auspicious time, Dhulandi, Puja method and importance
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राकेश चौरासिया

होली, रंगों का त्योहार, हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. यह हिंदू पंचांग के अनुसार एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. 2025 में होली का पर्व मार्च माह में पड़ रही है. आइए जानते हैं होली 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त और इससे जुड़ी अन्य जानकारी.

होलिका दहन: 13 मार्च 2025 (गुरुवार)

रंग वाली होली: 14 मार्च 2025 (शुक्रवार)

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

  • इस साल 13 मार्च, गुरुवार की रात को होलिका दहन किया जाएगा.
  • होलिका दहन के दिन भद्रा काल लगने वाला है.
  • भद्रा का समय 13 मार्च सुबह 10.35 बजे से रात 11.29 बजे तक है.
  • सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका दहन किया जाता है, लेकिन भद्रा का साया होने के चलते होलिका दहन 13 मार्च रात 11.30 बजे के बाद ही किया जाएगा.

रंग खेलने का शुभ समय

  • प्रातःकाल का शुभ समय: 14 मार्च 2025 को प्रातः 09.00 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: 11.56 प्रातः से 12.45 अपराह्न तक

होली का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. यह न केवल रंगों का उत्सव है बल्कि समाज में प्रेम, सद्भाव और एकता को बढ़ावा देने का पर्व भी है. होली का उल्लेख कई पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है.

होली का पौराणिक संदर्भ

होली से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध कथा भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकशिपु की है. भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे, लेकिन उनके पिता, राक्षसराज हिरण्यकशिपु, विष्णु के घोर विरोधी थे. उन्होंने अपने पुत्र को विष्णु भक्ति से रोकने के लिए कई अत्याचार किए.

अंततः उन्होंने अपनी बहन होलिका, जिसे अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त था, की सहायता से प्रह्लाद को जलाने की योजना बनाई. लेकिन भगवान की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका अग्नि में भस्म हो गई. तभी से यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है.

होली पूजा विधि

पहले फागुन लगते ही होली प्रारंभ हो जाती थी और गांवों में फगवा गाया जाने लगता था. अब होली का पर्व दो दिनों तक मनाया जाता है. ग्राम्य अंचल में अब भी पारंपरिक ढंग से कई दिनों तक होली मनाई जाती है. नगरीय क्षेत्रा में पहले दिन होलिका दहन और दूसरे दिन रंगोत्सव.

होलिका दहन की विधि

  • पूजन सामग्री : गोबर से बनी होलिका, लकड़ी, उपले, गंगाजल, रोली, अक्षत, नारियल, हल्दी, गुलाल, गेंहू की बालियां और फूल.
  • संध्या समय पूजा: शुभ मुहूर्त में लकड़ियों और उपलों से होलिका सजाएं.
  • होलिका दहन: गंगाजल से शुद्धिकरण करें और होलिका को जलाएं.
  • परिक्रमा: होलिका की सात बार परिक्रमा करें और उसमें गेंहू की बालियां अर्पित करें.
  • प्रसाद वितरण: परिवार और मित्रों में प्रसाद बांटें और शुभकामनाएं दें.

रंग खेलने की परंपरा

रंग वाली होली फाल्गुन शुक्ल प्रतिपदा को खेली जाती है. इस दिन लोग अबीर-गुलाल, पानी के रंगों और फूलों से होली खेलते हैं. यह दिन विशेष रूप से प्रेम और सद्भावना को बढ़ाने का होता है.

होली 2025 के विशेष योग और उपाय

  • राजयोग: इस बार होली पर ग्रहों की शुभ स्थिति के कारण विशेष राजयोग बन रहा है, जो व्यापारियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए लाभकारी रहेगा.
  • गजकेसरी योग: इस योग के कारण सामाजिक और आर्थिक स्थिति में उन्नति के योग बन रहे हैं.
  • सर्वार्थ सिद्धि योग: यह योग सभी प्रकार की सिद्धियों के लिए उत्तम होता है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

होली पर किए जाने वाले विशेष उपाय

  • धन वृद्धि के लिए: होलिका दहन में 5 कौड़ियां डालें और अगले दिन उसे तिजोरी में रखें.
  • दुष्ट ग्रहों से बचाव: होलिका दहन के समय सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
  • वैवाहिक जीवन में सुख के लिए: पति-पत्नी साथ मिलकर होली के दिन रंग खेलें और गुलाल भगवान को अर्पित करें.
  • शत्रु बाधा से मुक्ति: होलिका की राख को घर में लाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है.

होली के दौरान सावधानियां

  • रासायनिक रंगों से बचें: प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें, क्योंकि कैमिकल युक्त रंग त्वचा और आंखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
  • सुरक्षित रंग खेलें: बच्चों और बुजुर्गों के साथ सौम्यता से होली खेलें.
  • शराब और अन्य नशे से बचें: होली के दिन अधिक नशा करने से दुर्घटनाएं बढ़ सकती हैं.

होली 2025 का पर्व 13 और 14 मार्च को मनाया जाएगा. यह त्योहार न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है. इस दिन लोग आपसी मनमुटाव भुलाकर प्रेम और सद्भावना का संदेश देते हैं. होली का आनंद उठाने के साथ हमें पर्यावरण और सुरक्षा का भी ध्यान रखना चाहिए. रंगों के इस महापर्व पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं!