खुदा बख्श लाइब्रेरी : हिंदू धर्म पर दुर्लभ पांडुलिपियों का खजाना

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 03-01-2025
Khuda Bakhsh Library: A treasure trove of rare manuscripts on Hinduism
Khuda Bakhsh Library: A treasure trove of rare manuscripts on Hinduism

 

महफूज आलम/पटना 

पटना की खुदाबख्श लाइब्रेरी दुनिया की उन चुनिंदा लाइब्रेरी में से एक है, जिसमें दुर्लभ पांडुलिपियों का बड़ा संग्रह है. खास बात यह है कि आमतौर पर लोग सोचते हैं कि खुदा बख्श लाइब्रेरी में केवल अरबी, फारसी और उर्दू पांडुलिपियां हैं, हालांकि तथ्य यह है कि इस लाइब्रेरी में हिंदू धर्म से संबंधित सबसे महत्वपूर्ण पांडुलिपियां हैं जिन पर शोधकर्ताओं ने अपना शोध किया है.

 आवाज द वॉइस से बात करते हुए शिक्षाविदों ने कहा कि अगर किसी को भारत को करीब से जानना है तो खुदाबख्श लाइब्रेरी का दौरा करना चाहिए. यह लाइब्रेरी भारत की उस महान विरासत को भी लोगों के सामने रखने का प्रयास करती है, जिसे दुनिया गंगा-जमनी सभ्यता कहती है.

खुदा बख्श लाइब्रेरी खुदा बख्श खान की उत्कृष्ट कृति है जिसमें 21 हजार से अधिक दुर्लभ पांडुलिपियाँ हैं. ज्ञान और साहित्य जगत को खुदाबख्श लाइब्रेरी की पांडुलिपियों के खजाने पर गर्व है. इस पुस्तकालय में हिंदू धर्म और हिंदू संस्कृति की 2500 से अधिक पांडुलिपियाँ हैं जिन्हें पुस्तकालय ने अत्यंत सम्मान और सुरक्षा के साथ रखा है.

इन पांडुलिपियों में रामायण, भगवद गीता, महाभारत के संस्करण हैं. ताम्रपत्र और पीपल के पत्तों पर शिलालेख और दक्षिण भारतीय देवताओं की दुर्लभ पेंटिंग भी हैं. आज लोग देवी-देवताओं की उन दुर्लभ पेंटिंग्स को देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं, सैकड़ों साल पहले की किताबों और पेंटिंग्स को देखकर ऐसा लगता है मानो वे हाल ही में बनाई गई हों. वहाँ सोने की पेंटिंग है. 

खुदा बख्श लाइब्रेरी की पूर्व निदेशक डॉ. शाइस्ता बदर के मुताबिक, दरअसल खुदा बख्श लाइब्रेरी भी हिंदू धर्म और हिंदू संस्कृति का एक प्रमुख केंद्र है. उनका कहना है कि खुदाबख्श लाइब्रेरी में हिंदू धर्म और हिंदू संस्कृति की 250 से ज्यादा दुर्लभ पांडुलिपियां मौजूद हैं.

इनमें से कई पुस्तकों का पुस्तकालय द्वारा अनुवाद भी किया गया है. अरबी, फारसी और उर्दू में हिंदू धर्म से संबंधित कई पांडुलिपियां हैं जिनका हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है. इसके अलावा यहां संस्कृत की पांडुलिपियां भी हैं जिनका अनुवाद भी किया जा रहा है. डॉ. शाइस्ता बदर का कहना है कि लाइब्रेरी में हिंदू त्योहारों पर बेहतरीन किताबें हैं. इन पुस्तकों में त्योहारों का विस्तृत इतिहास वर्णित है। इन किताबों का अनुवाद भी किया जा रहा है.

डॉ. शाइस्ता बदर का कहना है कि खुदाबख्श लाइब्रेरी अरबी, फारसी और उर्दू पांडुलिपियों के अलावा हिंदू पांडुलिपियों का एक बड़ा केंद्र है. उन्होंने कहा कि यह पुस्तकालय अपनी अनूठी सांस्कृतिक विरासत और प्राचीन दस्तावेजों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है.

यह हिंदू धर्म की महत्वपूर्ण पुस्तकों का केंद्र भी है. खुदा बख्श लाइब्रेरी में न केवल उर्दू, फारसी और अरबी पांडुलिपियां हैं, बल्कि कई हिंदी और संस्कृत पांडुलिपियां भी हैं, जो हिंदू धर्म की विविधता को उजागर करती हैं. उनका कहना है कि खुदाबख्श लाइब्रेरी में कई महत्वपूर्ण किताबें हैं जो हिंदू धर्म की बुनियादी और ऐतिहासिक किताबें मानी जाती हैं.

गीता की तरह, गीता हिंदू दर्शन की एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जिसे भगवद गीता के नाम से जाना जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण की शिक्षाएं शामिल हैं. उनका कहना है कि रामायण, भगवद गीता और महाभारत की विशेषकर फारसी में कई प्रतियां हैं.

दारा शिकोह द्वारा लिखित उपनिषदों की फ़ारसी में कई प्रतियाँ हैं. उनके अनुसार, इन पुस्तकों का उपयोग हिंदू धर्म के किसी भी विषय पर शोध के लिए किया जा सकता है और एक विशेष परियोजना शुरू की जा सकती है. उनका कहना है कि लाइब्रेरी में हिंदू धर्म से जुड़ी कई चीजें संस्कृत और फारसी में हैं.

डॉ. शाइस्ता बदर के मुताबिक, खुदाबख्श लाइब्रेरी में हिंदू धर्म पर अरबी और फारसी में कई बेहतरीन किताबें मौजूद हैं. एक शोधार्थी के लिए वे पांडुलिपियाँ एक प्रकार का मील का पत्थर साबित होती हैं. गौरतलब है कि इन पांडुलिपियों को बेहद सुरक्षा के साथ रखा जाता है..

शाइस्ता बदर का कहना है कि  लाइब्रेरी में हिंदू धर्म पर बहुत सारी सामग्री है. उनका कहना है कि लाइब्रेरी में भगवत गीता, रामायण, महाभारत के अलावा कई अन्य पांडुलिपियां हैं. अबुल फज़ल द्वारा अनुवादित रामायण है. उन्होंने कहा कि देवी-देवताओं की पांडुलिपियां दक्षिण भारतीय कला की उत्कृष्ट कृति हैं.

वह पेंटिंग, भ्रष्टाचार के साथ हैं. इसे 1834 में विकसित किया गया था. शाइस्ता बीदर का कहना है कि इसके अलावा भी हिंदू धर्म के कई अन्य और महत्वपूर्ण संस्करण हैं. उन्होंने कहा कि कई सौ साल पुराने पुराण ताम्रपत्र और पीपल के पत्तों पर लिखी पांडुलिपियां हैं. वह पुरा का पँवार एक धार्मिक साहित्य है. पुस्तकालय में पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण भी प्रगति पर है और यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पांडुलिपियों का लगभग 40% डिजिटलीकरण पूरा हो चुका है..

उधर, शिक्षाविदों का कहना है कि खुदाबख्श लाइब्रेरी में हिंदू धर्म पर लिखी पांडुलिपियां बेहद दुर्लभ हैं. टीपीएस कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. अबुबकर रिजवी का कहना है कि खुदाबख्श लाइब्रेरी में हिंदू धर्म की पांडुलिपियां हिंदू धर्म, धार्मिक अनुष्ठानों, नैतिकता और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती हैं.

उनका कहना है कि इस लाइब्रेरी की खासियत यह है कि यहां न केवल ऐतिहासिक पांडुलिपियां संग्रहित हैं बल्कि उनके शोध को भी व्यवस्थित किया गया है. यह पुस्तकालय शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है जहाँ वे प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों का अध्ययन कर सकते हैं और विभिन्न कोणों से उनका विश्लेषण कर सकते हैं.

डॉ. अबुबकर रिज़वी का कहना है कि खुदा बख्श लाइब्रेरी की हिंदू धर्म से जुड़ी पांडुलिपियां केवल धार्मिक शिक्षाओं तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि एक संपूर्ण सांस्कृतिक विरासत हैं जो हिंदू सभ्यता और इतिहास को दर्शाती हैं. 
उन्होंने कहा कि इन पुस्तकों को पढ़ना भावी पीढ़ियों के ज्ञान के साथ-साथ उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. अबू बक्र रिज़वी का कहना है कि ख़ुदाबख्श लाइब्रेरी अपनी विभिन्न विशेषताओं के कारण पूरे उपमहाद्वीप में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है. 

किसी भी अन्य पुस्तकालय को अरबी, फारसी, उर्दू, संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी का इतना बड़ा संग्रह एक साथ रखने का गौरव प्राप्त नहीं है और इतना ही नहीं, बल्कि एशिया के किसी भी पुस्तकालय में पांडुलिपियों का इतना बड़ा संग्रह नहीं है. इस अर्थ में खुदाबख्श लाइब्रेरी अन्य सभी लाइब्रेरी से श्रेष्ठ है.

अबू बक्र रिज़वी का कहना है कि खुदाबख्श लाइब्रेरी में हिंदी और संस्कृत पांडुलिपियों के अलावा विशेष रूप से ताम्रपत्र और पीपल के पत्तों पर लिखी दुर्लभ पांडुलिपियां हैं. यहां हिंदू और बौद्ध धर्म से संबंधित दुर्लभ पांडुलिपियां हैं.

उन्होंने कहा कि आम तौर पर लोग सोचते हैं कि खुदाबख्श लाइब्रेरी में केवल अरबी, फारसी और उर्दू पांडुलिपियां हैं, जबकि भारत में खुदाबख्श लाइब्रेरी में बीस के बराबर हिंदू पांडुलिपियां मौजूद हैं. उनका कहना है कि अगर किसी को भारत, देश की संस्कृति, सभ्यता, धर्म, भारत की भाषाओं के बारे में जानना है तो उसे भगवान बख्श लाइब्रेरी में जरूर आना चाहिए और यहां आए बिना शोधकर्ता अपना शोध पूरा नहीं कर सकते.

  रिज़वी कहते हैं कि  लाइब्रेरी ज्ञान का ऐसा सागर है कि अगर कोई लाइब्रेरी में आएगा तो उसकी प्यास और प्यास बुझने की बजाय और बढ़ जाएगी. क्योंकि पुस्तकालय में सभी विज्ञानों की इतनी पुस्तकें और पांडुलिपियाँ हैं कि कोई एक युग नहीं बल्कि कई युगों तक उसे खोज नहीं सकता.