कश्मीर: रमजान के दौरान पारसा की मुफ्त इफ्तारी ने लोगों का दिल जीता

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 28-03-2025
People of all faiths at Iftaar times at Parsa's Foot outlet in Srinagar
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एहसान फाजिली / श्रीनगर

जब चेन्नई से कश्मीर घूमने आया एक हिंदू परिवार पिछले हफ्ते यहाँ जहाँगीर चौक में फूड आउटलेट पर रुका, तो इफ्तार का समय होने वाला था. कर्मचारी सौ से ज्यादा लोगों को रोजा खोलने की तैयारी में व्यस्त थे.

परिवार ने रेस्टोरेंट में उत्सव के माहौल के बारे में पूछा. कारण जानने के बाद, परिवार ने रोजा रखने वालों को खाना मिलने तक इंतजार करने की पेशकश की. उन्होंने आधे घंटे तक धैर्यपूर्वक इंतजार किया और तभी खाना खाया, जब रोजा खोलने के लिए इंतजार कर रहे सभी लोगों को खाना मिल गया और आस-पास के लोग अपना रोजा खोलने लगे.

पारसा के फूड आउटलेट के मालिक जावेद पारसा ने आवाज-द वॉयस को बताया, ‘‘यह कोई अकेला मामला नहीं है, ऐसे यादगार वाकये आम हैं जब लोग धैर्य और धर्मों के प्रति सम्मान दिखाते हैं, खास तौर पर रमजान के महीने में.’’

उनका आउटलेट पूरे रमजान में मुफ्त ‘इफ्तारी’ देता है. मुसलमानों के लिए सुबह से शाम तक उपवास का महीना चल रहा है. यहां सौ से ज्यादा लोगों को मुफ्त ‘इफ्तारी’ परोसी जाती है, वहीं रेस्तराँ आउटलेट के सामने गलियारे में एक जगह की भी व्यवस्था करता है, जहाँ वे ‘मगरिब की नमाज’ अदा कर सकते हैं.

श्रीनगर में पारसा में अपना रोजा खोलते लोग जावेद पारसा ने कहा, ‘‘यह पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से हमारे आउटलेट की खासियत बन गई है.’’ उन्होंने दावा किया कि सिर्फ उनके आउटलेट ही पूरे रमजान में मुफ्त ‘इफ्तारी’ परोस रहे थे और कई गैर-मुस्लिम भी यहाँ आ रहे थे. पारसा नामक फूड आउटलेट न केवल मुसलमानों के बीच, बल्कि हिंदुओं और सिखों जैसे अन्य लोगों के बीच भी लोकप्रिय है, मुख्य रूप से इसका लाल चौक के पास झेलम नदी के पार हरि सिंह हाई स्ट्रीट (एचएसएचएस) के पास स्थित होना और हर तरह के लोगों का आना-जाना.

 

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People breaking their fast at Parsa's in Srinagar 


जावेद पारसा ने कहा, ‘‘इनमें वरिष्ठ अधिकारी, पास के सिविल सचिवालय और अन्य सरकारी कार्यालयों के वीआईपी, शॉपिंग मॉल और आस-पास के व्यापारिक प्रतिष्ठानों में विभिन्न बैंकों के कर्मचारी, दुकानदार, टैक्सी चालक, मजदूर और घाटी के विभिन्न हिस्सों और अन्य जगहों से काम करने वाले सुरक्षा गार्ड शामिल हैं.’’

उन्होंने कहा कि यह खूबसूरत लगता है, जब अपने घरों से दूर रहने वाले लोग, जो लगभग 90 प्रतिशत लोग होते हैं, हर दिन इस अवसर का आनंद लेते हैं.

अधिकांश अन्य खाद्य दुकानों के विपरीत, यह पूरे दिन अपने ग्राहकों के लिए खुला रहता है और क्षेत्र में गैर-मुस्लिम कर्मचारियों और श्रमिकों को भोजन परोसता है. उन्होंने कहा कि दिन के दौरान कुछ डिलीवरी भी की जाती है. रोजाना सौ से अधिक लोगों को इफ्तारी परोसी जाती है. कई सालों से इस आउटलेट ने महीने में लगभग 5000 रोजेदारों को मुफ्त खाना परोसा है.

पारसा’स में मुफ्त इफ्तारी राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे यात्रियों के लिए बनिहाल, संगम, पंपोर, एचएमटी, पलहालन और तंगमर्ग सहित विभिन्न आउटलेट पर भी परोसी जाती है. ये शाखाएं जम्मू, पहलगाम और दक्षिण कश्मीर, गुलमर्ग क्षेत्र और उत्तरी कश्मीर के अन्य क्षेत्रों से आने-जाने वाले यात्रियों को मुफ्त भोजन प्रदान करती हैं.

जावेद ने कहा, ‘‘इस सेवा की खूबसूरती यह है कि अब लोग जहाँगीर चौक में सारा सिटी सेंटर (शॉपिंग मॉल) में स्थापित केंद्र में खुद से योगदान देने लगे हैं.’’ उन्होंने कहा कि कई लोग इफ्तार में परोसने के लिए खजूर या अन्य ताजे फलों के डिब्बे पेश करते हैं.

इफ्तारी का मेन्यू भी अनोखा है, क्योंकि इसमें पारंपरिक कश्मीरी व्यंजनों और ‘बिहारी संस्कृति’ में आम चीजों का मिश्रण है, जिसे प्रवासी श्रमिकों द्वारा पेश किया गया था.

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People offer namaz at Parsa's Food outlet in Srinagar 


इनमें चिकन और पकौड़े शामिल हैं, जिन्हें ये श्रमिक शुरू में केवल अपने लिए तैयार करते थे. जावेद पारसा ने बताया, ‘‘इसकी शुरुआत कर्मचारियों से हुई और 2015 से इसमें पारंपरिक कश्मीरी आइटम शामिल किए गए हैं.’’ इसके साथ ही, रोजाना परोसी जाने वाली ‘इफ्तारी प्लेट’ में शुरुआत में ‘बाबरी ट्रेश’ (पानी और दूध के साथ तुलसी के बीज का पेय) शामिल किया गया और खजूर, ताजे फल, चिकन और पकौड़े आदि सहित कम से कम पाँच किस्में शामिल की गईं.

एक दशक में, पारसा की खाद्य श्रृंखला जहाँगीर चौक क्षेत्र में अपनी एकल संस्थापक शाखा से बढ़कर 35 आउटलेट तक पहुँच गई है, जिसमें कश्मीर घाटी में 25 और जम्मू और दिल्ली जैसे बाहर 10 अन्य शामिल हैं.