कानपुर: रमजान पर बढ़ी टोपियों की मांग, सिर ढकना है सुन्नत

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 22-03-2025
Kanpur: Demand for caps increased during Ramadan, covering the head is Sunnat
Kanpur: Demand for caps increased during Ramadan, covering the head is Sunnat

 

कानपुर. उत्तर प्रदेश के कानपुर में रमजान के पाक महीने में बाजारों में रोजे को लेकर दुकानों पर काफी भीड़ है. कानपुर के बाजारों में इस्लामिक टोपियां की कई किस्म लोगों को मन लुभा रही है. देखें इनकी फोटो.

वैसे तो मुस्लिम धर्म से जुड़े लोगों का पहनावा और उनकी खास परंपराएं उन्हें पहचानने में सहायक होती है. फिर चाहे उनका परिधान हो या उनके सिर को ढकने वाली टोपियां. कहते हैं सिर को ढकना भी एक प्रकार की सुन्नत है. जिसके चलते मुस्लिमों के लिए सिर पर टोपी का अपना अलग ही महत्व है.

वैसे तो मुस्लिम धर्म से जुड़े लोगों का पहनावा और उनकी खास परंपराएं उन्हें पहचानने में सहायक होती है. फिर चाहे उनका परिधान हो या उनके सिर को ढकने वाली टोपियां, कहते हैं सिर को ढकना भी एक प्रकार की सुन्नत है. जिसके चलते मुस्लिमों के लिए सिर पर टोपी का अपना अलग ही महत्व है.

खुदा की इबादत में टोपी की भी अहम भूमिका मानी जाती है. हजरत मोहम्मद साहब का कौल था कि सिर को ढक्कर ही खुदा के आगे सजदा किया जाए, जिसके चलते सदियों से मुस्लिम धर्मों के लोग टोपी पहनना सुन्नत और परंपरा मानते हैं और बिना टोपी के या फिर सिर को ढके बिना इबादत नहीं करते हैं.

खुदा की इबादत में टोपी की भी अहम भूमिका मानी जाती है. हजरत मोहम्मद साहब का कौल था कि सिर को ढक्कर ही खुदा के आगे सजदा किया जाए, जिसके चलते सदियों से मुस्लिम धर्मों के लोग टोपी पहनना सुन्नत और परंपरा मानते हैं और बिना टोपी के या फिर सिर को ढके बिना इबादत नहीं करते हैं.

एक ओर रमजान का पाक महीना चल रहा है. दूसरी ओर मुस्लिम इस पाक महीने में खुदा की इबादत के लिए अलग अलग और खास तरीके की टोपियां को खरीदने और पहनने का रुख कर रहे हैं. इन दिनों कानपुर में अलग अलग मुल्कों में पहने जाने वाली अलग अलग किस्म की टोपियों का बाजार सजा हुआ है और लोग इन नुमाइशी टोपियों को खरीदने के लिए बड़ी संख्या में दुकानों में पहुंच रहे हैं.

इस टोपी का संबंध इस्लामिक परंपराओं से है, जो सिर को ढकने को सम्मान का प्रतीक मानती हैं. टोपी पहनने का मुख्य कारण यह है कि खुदा की शान में इसे शालीनता और इज्जत से नवाजने जैसा माना जाता है. खासकर इसे इबादत करते वक्त पहनना जरूरी भी कहा जाता है.

वैसे तो बाजारों में कई तरह की टोपियां उपलब्ध है. लेकिन इन दिनों दूसरे मुस्लिम मुल्कों में पहने जाने वाली टोपियां खास चर्चा में है. जिनमें कुर्फी, जालीदार टोपी, टर्किश, जेजे टोपी, ओमनी टोपी, सऊदी में पहना जाने वाला साफा, कराकुल टोपी, पाकोल टोपी, ऊनी टोपियां  एशिया भर में पहना जाता है. अफगानी पैटर्न की टोपी जिसे अफगानिस्तान में पसंद किया जाता है.

तकरीबन हजारों किस्म की टोपियों बाजार में हैं. जिनकी मांग और कीमत आसमान छूने वाली है. जिन्हें कानपुर के मुस्लिम खरीदने के लिए बड़ी संख्या में उमड़ रहे हैं और अलग लाग मुल्कों की खास टोपियों को पहन खुदा के आगे सजदा कर अपनी इबादत करना चाह रहे हैं.

रमजान में जैसे मुस्लिम अपने खुदा की इबादत को लेकर कई तैयारियां करते हैं, जिसमें सेहरी से लेकर इफ्तार तक से जुड़ी कई जरूरी सामान शामिल है. इत्र की बात हो, रोजे से जुड़ी खास जानकारियां हो, इफ्तार से जुड़े खानपान की व्यवस्था हो या रोजा खेलते वक्त अलग अलग तरीके के खजूर का जिक्र इन्हीं तमाम अहम समानों में एक टोपी भी है. जिसे पहनना और अलग दिखना भी एक खास शौक भी बनता जा रहा है. लेकिन जानकारों की माने तो टोपी या अन्य जरूरी सामान भले ही इबादत का हिस्सा हो लेकिन असल मकसद इस पाक महीने में अपने खुदा को इबादत से राजी करना होता है.