जश्न ए अदब का तीन दिवसीय साहित्योत्सव शुरू, अशोक चक्रधर बोले-युवा पीढ़ी को विरासत पहचानने में मिलेगी मदद

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 26-02-2023
जश्न ए अदब का तीन दिवसीय साहित्योत्सव शुरू, अशोक चक्रधर बोले-युवा पीढ़ी को विरासत पहचानने में मिलेगी मदद
जश्न ए अदब का तीन दिवसीय साहित्योत्सव शुरू, अशोक चक्रधर बोले-युवा पीढ़ी को विरासत पहचानने में मिलेगी मदद

 

मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली

जश्न ए अदब के 12वें संस्करण के मौके पर दिल्ली के आईजीएनसीए, जनपथ में तीन दिवसीय साहित्य उत्सव शुरू हुआ. पहले दिन के कार्यक्रम का उद्घाटन पद्म श्री प्रो अशोक चक्रधर ने किया. इस मौके पर डॉ सचिदानंद जोशी, पद्मश्री डॉ एस ई हसनैन, डॉ अजय शर्मा और कुंवर रंजीत चैहान ने शमा रोशनी की.

यह साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम संस्कृति मंत्रालय (जीओआई) और आईजीएनसीए (इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र) के सहयोग से आजादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित किया जा रहा है. शुक्रवार देर शाम  शुरु हुआ जश्न ए अदब का साहित्य आयोजन 26 फरवरी की देर रात तक चलेगा.
 
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गालिब की गजलें और अमीर खुसरो के गीत 

तीन दिवसीय साहित्य उत्सव की शुरुआत पद्म श्री डॉ. भारती बंधु और उनके समूह द्वारा कबीर गायन की प्रस्तुति ‘ज्यों के त्यों धर दिनी चदरिया’ से हुई. भारती बंधु ने अपनी गीत में मिर्जा असदुल्लाह खां गालिब, अमीर खुसरो की गीत, गजलों को लोगों के समक्ष गीत के अंदाज में पेश किया, जिसे दर्शकों की भरपूर तालियां मिलीं. 
 
उसके बाद मशहूर कलाकार चंदन दास ने महफिल-ए-गजल के साथ कार्यक्रम का समा बांधा. चंदन दास ने अपनी गजल ‘कल ख्वाब में देखा सखी मैंने पिया’ पढ़ी.महिला कव्वाल चंचल भारती और उसकी टीम द्वारा महफिल-ए-कव्वाली की महफिल सजी जिसे लोगों ने खूब सराहा. इसके साथ ही पहले दिन के संगीत का कार्यक्रम समाप्त हो गया.
 
साहित्योत्सव में रंग बिखरेंगे

जश्न ए अदब के बाकी दो दिन साहित्योत्सव में पद्मश्री प्रो. अशोक चक्रधर, नर्तकी पद्मश्री गीता चंद्रन, गायक पद्मश्री भारती बंधु,  पद्मश्री डॉ. यश गुलाटी, पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा, अभिनेता रघुबीर यादव, अभिनेता-लेखक वरुण बडोला, पार्श्व गायिका कविता सेठ, गायिका सोनम कालरा, डॉ. सचिदानंद जोशी (अभिनेता, कवि, रंगमंच व्यक्तित्व और आईजीएनसीए के सदस्य सचिव), न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन,  शायर प्रो. वसीम बरेलवी, शायर फहमी बदायूनी, कव्वाल रईस अनीस साबरी, शायर शकील आजमी, शायर कुंवर रंजीत चैहान सहित कई और नामचीन शख्सियत साहित्योत्सव में रंग बिखरेंगे.
 
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उसके अलावा अभिनेता रघुवीर यादव , अभिनेत्रा फैसल मलिक समेत कई बड़े लोग इकट्ठा होंगे. जिसमें कव्वाली, दास्तानगोई, नाटक, कवि सम्मेलन और मुशायरा, काव्य गोष्ठी, मजाहिया मुशायरा (हास्य कविता), ख्वातीन का मुशायरा (महिला कवि), पुस्तक विमोचन किए जाएंगे.
 
अशोक चक्रधर और सचिदानंद जोशी ने आयोजन की तारीफ की

इस मौके पर कवि सचिदानंद जोशी ने कहा कि जश्न ए अदब एक ऐसा संगम है जहां सभी तरह के लोग पहुंचते हैं. जश्न ए अदब नौजवानों को अपनी विरासत से जोड़ने, उन्हें अपनी संस्कृति को पहचाने का रास्ता हमवार करता है. इस प्लेट फार्म से युवा हर रोज जुड़ रहे हैं. ये सालों से बहुत ही अच्छा काम कर रहा है. जोशी जश्न ए अदब में एक प्रोग्राम को संबोधित कर रहे थे.
 
उन्होंने आगे कहा कि जश्न ए अदब इसी तरह काम करता रहे यही हमारी कामना है. खुशी का इजहार करते हुए कहा कि कोरोना काल के बाद पहली बार खुली हवा में एक साथ बैठे लोगों को देख कर हमें खुशी हो रही है.
 
हास्य व्यंगकार अशोक चक्रधर ने कहा कि जश्न ए अदब सालों से बहुत अच्छा काम कर रहा है. ये नई पीढ़ी के बच्चों को मुहब्बत के पैगाम देने में कामयाब है. साथ ही अपनी विरासत को जिंदा रखे हुए है.
 
भाषाओं का संगम है जश्न ए अदब

अवाज द वॉयस से विशेष बात में पद्मश्री प्रो. अशोक चक्रधर ने कहा कि जश्न ए अदब या साहित्य उत्सव ये हमारी भाषाओं का ऐसा संगम है जहां मिली जुली संस्कृति का एहसास होता हैं. हमारा मिलना जुलना और घुलना ये दो तरह की चीजें हैं.
 
वह चाहें कथाओं पर आधारित मामला हो, किस्सागोई हो, नाटक हो या कविताओं की बात. हम मुख््तलिफ मुद्दों पर आपस में बातें करते हैं. ये एक ऐसी आदान प्रदान की प्रक्रिया है जिसमें विचारों की आवाजाही होती है.
 
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जश्न ए अदब कैसा काम कर रहा है?

इस प्रश्न का उत्तर देते हुए प्रो. अशोक चंक्रधऱ ने कहा कि जश्न ए अदब का काम बाहर साल से बहुत ही अच्छे से चल रहा है. इससे मैं भी जुड़ा हुआ हूं. हर बार कुछ नया लाने की कोशिश होती है. इस बार भी सालाना प्रोग्राम में कव्वाली की महफिल सजेगी, अदब नवाज लोग पहुंच रहे हैं. ये नौजवानों को जोड़ने का काम कर रहा है.
 
हमने उर्दू और साहित्य में पहचान बनाई

प्रोग्राम का संचालन करते हुए जश्न ए अदब के संस्थापक कुंवर रंजीत सिंह चैहान ने कहा कि ये हमारी संस्कृति है. हमारी कोशिश है कि हम इसे लोगों के बीच में ले जाएं. हम मुल्क भर और विदेश में प्रोग्राम कर रहे हैं. जिसमें बड़ी संख्या में नौजवान पहुंच रहे हैं.
 
इसकी शुरुआत हमने अपनी टीम के साथ साल 2012 में की थी. आज उर्दू और साहित्य की दुनिया में एक बड़ी जगह बनाने में हम कामयाब रहे हैं.