राकेश चौरासिया
राखी का त्योहार भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे मुख्यतः हिंदू धर्म के लोग मनाते हैं। यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। लेकिन समय के साथ, राखी ने धार्मिक सीमाओं को पार करते हुए एक सामाजिक और सांस्कृतिक रूप भी धारण कर लिया है। इस कारण से, अब यह सवाल उठता है कि क्या राखी मुसलमानों द्वारा भी मनाई जाती है? इसका जवाब है कि भारत के कई इलाकों और तबके मुसलमान परिवारों में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है।
राखी का उल्लेख पुराणों और महाकाव्यों में मिलता है। इसमें सबसे प्रसिद्ध कथा महाभारत की है, जहां द्रौपदी ने भगवान कृष्ण की कलाई पर एक वस्त्र का टुकड़ा बांधा था, जिसे कृष्ण ने एक ‘राखी’ के रूप में स्वीकार किया और उनके रक्षा का वचन दिया। इसी तरह की अन्य कथाओं में राजा बलि और देवी लक्ष्मी की कहानी भी प्रमुख है, जिसमें देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधकर उसे अपना भाई बना लिया।
राखी का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जिसे रक्षाबंधन कहा जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उसकी लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है और उसे उपहार देता है।
राखी का सांस्कृतिक पहलू
भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता इतनी अधिक है कि कोई भी त्योहार किसी एक धर्म तक सीमित नहीं रह जाता। समय के साथ, राखी का यह त्योहार विभिन्न धर्मों और समुदायों में भी अपनी जगह बना चुका है। हालांकि मूल रूप से यह हिंदू धर्म से संबंधित है, लेकिन आजकल राखी का त्योहार एकता और भाईचारे का प्रतीक बन गया है।
क्या मुसलमान रक्षाबंधन मनाते हैं?
यह सवाल अक्सर उठता है कि क्या मुसलमान राखी का त्योहार मनाते हैं। इसका उत्तर एक निश्चित ‘हाँ’ या ‘नहीं’ में देना मुश्किल है, क्योंकि इसका जवाब कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि व्यक्तिगत आस्था, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, और सामाजिक संदर्भ।
कई मुस्लिम परिवारों में राखी का त्योहार मनाने का चलन देखा गया है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां हिंदू और मुस्लिम आबादी साथ-साथ रहती है। इस तरह की जगहों पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान एक सामान्य बात है और लोग एक-दूसरे के त्योहारों में हिस्सा लेते हैं। कई मुस्लिम बहनें अपने हिंदू या मुस्लिम भाइयों को राखी बांधती हैं और इसे भाई-बहन के रिश्ते के प्रतीक के रूप में मानती हैं।
रानी कर्णावती ने हुमायूं को भेजी राखी
भारतीय इतिहास के पन्ने पलटें, तो आपको राखी के माध्यम से महिलाएं ऐसे पुरुषों से सुरक्षा मांगती नजर आएंगी, जो न तो उनके भाई थे और न ही स्वयं हिंदू थे। उदाहरण के लिए, रानी कर्णावती ने सम्राट हुमायूं को राखी भेजकर सुरक्षा मांगी और उन्होंने जिम्मेदारी स्वीकार की।
रानी लक्ष्मी बाई का एक और उदाहरण बंदा अली बहादुर के राज्य के नवाब को राखी भेजकर अंग्रेजों से सुरक्षा मांगना है। रक्षाबंधन की उत्पत्ति मुगल काल से हुई है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि यह एक धर्मनिरपेक्ष त्योहार था। यह प्रेम और शांति का संदेश देता है जो हमारे जीवन में गूंजता है।
ऐसा कोई त्यौहार नहीं है, जिसे बॉलीवुड उत्साह और ऊर्जा के साथ न मनाए। चाहे वह दिवाली हो, ईद हो या रक्षाबंधन। बॉलीवुड के तीनों खान और उनके परिवार ने भी भाई-बहनों के बीच इस खूबसूरत बंधन को संजो रखा है।
सामाजिक और सांस्कृतिक सामंजस्य
भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का सहअस्तित्व है। यहां के लोगों ने समय के साथ एक-दूसरे की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को अपनाया है। राखी का त्योहार भी इसी प्रकार के सामाजिक सामंजस्य का उदाहरण है। कई मुसलमान भी इसे एक सांस्कृतिक त्योहार के रूप में मनाते हैं। वे इसे भाई-बहन के प्यार और सुरक्षा का प्रतीक मानते हैं, और इस परंपरा को सम्मान और समझ के साथ अपनाते हैं।
अलग रवैया
कभी-कभी, राखी का त्योहार कुछ मुसलमानों के बीच विवाद का विषय भी बन सकता है। कुछ लोग इसे अपने धार्मिक आस्थाओं के साथ असंगत मानते हैं और इस त्योहार से दूरी बनाए रखते हैं। लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यह सोच सभी मुसलमानों में नहीं पाई जाती है। कुछ मुसलमान इसे केवल एक सामाजिक परंपरा मानते हैं और इसको मनाने में कोई आपत्ति नहीं करते।
राखी और भारतीय समाज
राखी का त्योहार आज भारतीय समाज में भाईचारे, एकता और सद्भावना का प्रतीक बन चुका है। यह केवल हिंदू धर्म का त्योहार नहीं रह गया है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर बन गया है जो सभी धर्मों और समुदायों को एक सूत्र में बांधता है। भारत की गंगा-जमुनी तहजीब में राखी का त्योहार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच प्यार, सम्मान और सद्भावना को बढ़ावा देता है।
राखी और धर्मनिरपेक्षता
भारत का संविधान धर्मनिरपेक्षता को अपनाता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि सभी धर्मों का समान आदर किया जाए। राखी का त्योहार भी इस धर्मनिरपेक्षता का एक उदाहरण है, जहां विभिन्न धर्मों के लोग एक-दूसरे के साथ इस त्योहार को मनाते हैं। यह त्योहार इस बात का प्रमाण है कि भारत में सांस्कृतिक विविधता का सम्मान किया जाता है, और धार्मिक सीमाओं के बावजूद, लोग एक-दूसरे के त्योहारों में हिस्सा लेते हैं।
राखी का त्योहार आज के समय में केवल एक धार्मिक पर्व नहीं रह गया है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर बन गया है, जो समाज में एकता, भाईचारे और सामंजस्य को बढ़ावा देता है। चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान, राखी का त्योहार हर उस व्यक्ति के लिए महत्व रखता है, जो भाई-बहन के रिश्ते में विश्वास रखता है। इस त्योहार ने धार्मिक सीमाओं को पार कर एक सांस्कृतिक परंपरा का रूप ले लिया है, जो भारतीय समाज की विविधता और उसकी एकता का प्रतीक है।