अरबी भाषा के विद्वान की नजर में कांवड़ यात्रा भारतीय धार्मिक विविधता और सामंजस्य का प्रतीक

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 27-07-2024
In the eyes of an Arabic language scholar, Kanwar Yatra is a symbol of Indian religious diversity and harmony
In the eyes of an Arabic language scholar, Kanwar Yatra is a symbol of Indian religious diversity and harmony

 

प्रो रिज्वान

भारत, धर्मों, संप्रदायों और मान्यताओं से भरा एक विविध देश है, जहां इस्लाम, हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख और ईसाई धर्म के अनुयायी रहते हैं. इनमें से अधिकांश आबादी हिंदू धर्म का पालन करती है. हर धर्म के अपने-अपने त्यौहार और उत्सव होते हैं, जिनमें लाखों लोग भाग लेते हैं.

इनमें से एक प्रमुख त्योहार है "कांवड़ यात्रा", जो सावन महीने में आयोजित की जाती है, जिसे "श्रावण" भी कहा जाता है. यह एक हिंदू अनुष्ठान है, लेकिन इसमें अन्य धर्मों के अनुयायी भी शामिल होते हैं.

कांवड़ यात्रा क्या है?

कांवड़ यात्रा का अर्थ है मोक्ष की यात्रा. इसमें भक्त पवित्र जल लेकर विभिन्न स्थानों पर भगवान शिव के मंदिरों तक नंगे पैर यात्रा करते हैं. यह पूजा की सबसे कठिन विधि मानी जाती है. हिंदू परंपरा के अनुसार, कांवड़ यात्रा अमृत उत्पन्न करने के लिए दूध के सागर के मंथन से जुड़ी है.

जब संसार तीव्र गर्मी से जलने लगा, भगवान शिव ने विष पी लिया और विश्व को विनाश से बचाया. इस विष के नकारात्मक प्रभाव से मुक्ति के लिए रावण ने गंगा से पवित्र जल लाकर भगवान शिव के शिवलिंग पर अर्पित किया.

कांवड़ यात्रा का धार्मिक स्वरूप

कांवड़ यात्रा एक धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें भक्त अपने कंधों पर बांस या छड़ी लेकर चलते हैं, जिस पर पवित्र जल रखा जाता है. इस बांस और उसकी संरचना को 'कांवड़ ' कहा जाता है. यह जल गंगा का होता है.

हालांकि यह अनुष्ठान हिंदू धार्मिक ग्रंथों में वर्णित नहीं है, लेकिन यह उन्नीसवीं सदी की शुरुआत से प्रचलित है. इस यात्रा के लिए हरिद्वार, गोमख और गंगोत्री महत्वपूर्ण स्थल माने जाते हैं. भक्त इन स्थानों से गंगा का पानी एकत्र करके विभिन्न शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं.

कांवड़ यात्रा का सामाजिक पहलू

कांवड़ यात्रा न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक सामंजस्य का भी प्रतीक है. इस यात्रा में विभिन्न धर्मों के लोग शामिल होते हैं और सहयोग करते हैं।. मुस्लिम बढ़ई कांवड़  का निर्माण और बिक्री करते हैं.

यात्रा के दौरान, मुस्लिम समुदाय के लोग भी श्रद्धालुओं का स्वागत करते हैं और उनके लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं. वे सड़क किनारे शिविर लगाते हैं, पानी और भोजन उपलब्ध कराते हैं और रास्तों से बाधाएं दूर करते हैं.

भक्त अपनी यात्रा के दौरान केवल शाकाहारी भोजन का सेवन करते हैं, जिससे मांस की दुकानों को बंद कर दिया जाता है और रेस्टोरेंट भी मांसाहारी व्यंजनों से परहेज करते हैं. हिंदू और मुस्लिम मिलकर यातायात का प्रबंधन करते हैं और धार्मिक समारोहों के दौरान सहयोग प्रदान करते हैं, जो भारतीय सामाजिक सौहार्द की मिसाल है.

(लेखक जेएनयू में अरबी भाषा के विद्वान हैं)