राकेश चौरासिया / नई दिल्ली-पुणे
एक ओर रामनवमी समारोहों में असामाजिक तत्व सौहार्द बिगाड़ रहे हैं, तो कुछ लोग आपसी भाईचारे को बनाए रखने के लिए पीढ़ियों की आहुतियां दे रहे हैं. पुणे में एक मुस्लिम परिवार पिछले 75 वर्षों से सांप्रदायिक सद्भाव और हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दे रहा है. कल्याणीनगर में स्थित इकराम खान का परिवार चार पीढ़ियों से रामनवमी समारोह के दौरान हनुमान मंदिर में सेवा कर रहा है.
इकराम खान ने पुणेकरन्यूज को बताया कि उनका परिवार पिछले पचहत्तर सालों से मंदिर और रामनवमी उत्सव से जुड़ा हुआ है. उनके परदादा के रामवाड़ी निवासियों के साथ बहुत सौहार्दपूर्ण संबंध थे और उन्होंने मंदिर में रामनवमी मनाई थी. परिवार ने आज तक मंदिर से संबंध बनाए रखा है. इकराम खान अपने परदादा से विरासत में मिली मानवता की इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, जिन्होंने उन्हें सिखाया कि सच्चा धर्म सभी सीमाओं से परे है और सभी को एक मानता है. यह परिवार अपनी ओर से प्रसाद बनाता है और अपने पूर्वजों द्वारा निर्धारित परंपरा के अनुसार रामनवमी के दौरान भक्तों को प्रसाद वितरित करता है.
हनुमान मंदिर के कार्यवाहक तात्या देवकर इस बारे में इकरान खान और उनके परिवार की प्रशंसा करते नहीं थकते. इस साल न केवल इकराम खान ने रामनवमी समारोह में भाग लिया, बल्कि उनके बेटे अहद ने भी भाग लिया. परिवार पीढ़ियों से मंदिर से जुड़ा हुआ है और खान के परदादा उनके सभी त्योहारों में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे हैं, चाहे वह रामनवमी हो या गणेश उत्सव. प्रसाद और अन्य चीजों के लिए उनके दान के बिना एक भी कार्यक्रम शुरू नहीं होता. निमंत्रण मिलने पर, खान रामवाड़ी में हनुमान मंदिर आते हैं और लोगों के लिए हर संभव प्रयास करते हैं, जिसमें प्रसाद और अन्य जरूरतों की व्यवस्था भी शामिल है. देवकर खान को हिंदू-मुस्लिम एकता का एक बड़ा उदाहरण मानते हैं.
रामनवमी उत्सव का आयोजन करने वाले रामवाड़ी मित्र मंडल के अध्यक्ष विजय गलांडे भी इकराम खान परिवार की खूब तारीफ करते हैं. वे पीढ़ियों से मंदिर आते रहे हैं और उत्सव में भाग लेते रहे हैं. दोनों समूहों के बीच भाईचारे और दोस्ती का बंधन मजबूत है और वे हमेशा एक-दूसरे के लिए रहे हैं. गलांडे इसे दोस्ती और भाईचारे का एक मजबूत बंधन मानते हैं, जो हमेशा बना रहेगा.
पिछले साल, मंदिर के सदस्यों ने खान द्वारा समर्थित राष्ट्रीय एकता मिशन के हिस्से के रूप में प्रसिद्ध सदल बाबा दरगाह पर भजन प्रस्तुत किए. यह मिशन देश में सभी धर्मों के बीच एकता के महत्व पर जोर देता है. इकराम खान परिवार ने हनुमान मंदिर के उत्सवों में अपनी भागीदारी के माध्यम से इस एकता का एक उदाहरण पेश किया है, भले ही उनकी धार्मिक संबद्धता कुछ भी हो.
ऐसे समय में जब धार्मिक उत्सवों के दौरान सांप्रदायिक हिंसा दुर्भाग्य से आम बात है. इकराम खान परिवार का सांप्रदायिक सद्भाव और हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश सभी से ऊपर मानवता के महत्व का एक बहुत जरूरी अनुस्मारक है. पीढ़ियों से हनुमान मंदिर की सेवा करने का उनका समर्पण इस कारण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है.
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