माता सिद्धिदात्री की उत्पत्ति कैसे हुई थी?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 11-10-2024
माता सिद्धिदात्री की उत्पत्ति कैसे हुई थी?
माता सिद्धिदात्री की उत्पत्ति कैसे हुई थी?

 

राकेश चौरासिया

नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन हम मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं. देवी पार्वती के इस स्वरूप को सभी सिद्धियों की दाता माना जाता है. आइए जानते हैं मां सिद्धिदात्री की अद्भुत कथा.

पौराणिक कथा के मुताबिक, जब दैत्य महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवता भगवान शिव और भगवान विष्णु के पास पहुंचे, तब वहां मौजूद सभी देवताओं से एक तेज उत्पन्न हुआ. इसी तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ, जिसे मां सिद्धिदात्री कहा जाता है. मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शंकर को आठों सिद्धियां मिली थीं. मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था और वह अर्धनारीश्वर कहलाए.

सिद्धिदात्री का स्वरूप

मां सिद्धिदात्री को कमल के फूल पर विराजमान दिखाया जाता है. वे चार भुजाओं वाली हैं. उनके दो हाथों में कमल का फूल और शंख है, जबकि बाकी दो हाथों में चक्र और गदा है. वे लाल रंग के वस्त्र धारण करती हैं और उनके चारों ओर सिंह विराजमान रहता है.

सिद्धिदात्री का महत्व

मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों की दाता हैं. वे अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं. मान्यता है कि जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति से मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं, उन्हें जीवन में सफलता मिलती है.

सिद्धिदात्री की कथाएं

मां सिद्धिदात्री से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं. कुछ प्रमुख कथाएं इस प्रकार हैं -

सभी सिद्धियों की दाता - मां सिद्धिदात्री को सभी सिद्धियों की दाता माना जाता है. वे अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं.

दुर्गा सप्तशती - दुर्गा सप्तशती में मां सिद्धिदात्री का वर्णन मिलता है. इसमें बताया गया है कि कैसे मां सिद्धिदात्री ने असुरों का वध किया था.

शिव की शक्ति - मां सिद्धिदात्री को भगवान शिव की शक्ति माना जाता है. वे शिव शक्ति के रूप में जानी जाती हैं.

सिद्धिदात्री की पूजा विधि

मां सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि के नौवें दिन की जाती है. पूजा के लिए शुद्ध स्थान का चयन करें. मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र को गंगाजल से स्नान करवाएं. उन्हें फूल, फल, मिठाई और धूप-दीप अर्पित करें. मां सिद्धिदात्री का मंत्र जाप करें और उनसे अपने मन की सभी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करें.

सिद्धिदात्री मंत्र

सिद्धिदात्रि नमस्तुभ्यं, सिद्धिदायिनि सर्वदा.

भवानि भगवती देवि, दयामयी सदावदा.

सिद्धिदात्री के आशीर्वाद

मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बरसाती हैं. वे अपने भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं. जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति से मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं, वे जीवन में सफल होते हैं.

मां सिद्धिदात्री नवदुर्गा की नवमी और अंतिम शक्ति हैं. वे सभी सिद्धियों की दाता हैं. नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से जीवन में सफलता मिलती है.