मां कालरात्रि की उत्पत्ति कैसे हुई थी?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 09-10-2024
मां कालरात्रि की उत्पत्ति कैसे हुई थी?
मां कालरात्रि की उत्पत्ति कैसे हुई थी?

 

राकेश चौरासिया

नवरात्रि के सातवें दिन हम मां कालरात्रि की आराधना करते हैं. नवदुर्गा के सातवें स्वरूप, मां कालरात्रि, शक्ति की देवी हैं और इनकी पूजा साधक को मोक्ष और शत्रुओं से मुक्ति दिलाती है. आइए जानते हैं मां कालरात्रि की कहानी और उनके महत्व के बारे में विस्तार से.

मां कालरात्रि का जन्म और स्वरूप

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज नाम के राक्षस थे. इन राक्षसों ने लोकों में आतंक मचा रखा था. मनुष्य के साथ देवता भी इससे परेशान थे. रक्तबीज दानव की विशेषता यह थी कि जैसे ही उसके रक्त की बूंद धरती पर गिरती तो उसके जैसा एक और दानव बन जाता था. इस राक्षस से परेशान होकर समस्या का हल जानने सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे. भगवान शिव ने माता से अनुरोध किया. इसके बाद मां पार्वती ने स्वंय शक्ति व तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया. इसके बाद जब मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का अंत किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को मां कालरात्रि ने जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया. इस रूप में मां पार्वती कालरात्रि कहलाईं.

मां कालरात्रि को काले रंग की, चार भुजाओं वाली और सिंह पर सवार दिखाया जाता है. उनके एक हाथ में तलवार, दूसरे में खप्पर, तीसरे में त्रिशूल और चौथे में वरदान मुद्रा होती है. इनका रूप अत्यंत उग्र और भयानक होता है, लेकिन वे अपने भक्तों पर बहुत दयालु होती हैं. मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ (गधा) है. मां कालरात्रि के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है. मां कालरात्रि के सिर के बाल बिखरे हुए हैं.  मां कालरात्रि के गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है.

मां कालरात्रि को कालिका देवी या काली माता के नाम से भी जाना जाता है. मां कालरात्रि को अंधेरे का अंत करने वाली देवी माना जाता है. मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं, इसलिए उन्हें वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है.  मां कालरात्रि की पूजा करने से सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है. मां कालरात्रि की पूजा करने से तनाव भी दूर हो जाता है.

मां कालरात्रि की कथाएं

श्मशान काली: मां कालरात्रि को श्मशान काली के नाम से भी जाना जाता है. श्मशान में रहने वाली यह काली देवी अपने भक्तों को मोक्ष प्रदान करती हैं.

तंत्र साधना: मां कालरात्रि तंत्र साधना की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं. तंत्र साधक मां कालरात्रि की उपासना कर सिद्धियां प्राप्त करते हैं.

मां कालरात्रि का महत्व

मां कालरात्रि शक्ति, साहस और मोक्ष की देवी हैं. जो व्यक्ति मां कालरात्रि की सच्चे मन से पूजा करता है, उसे जीवन में सफलता मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके अलावा, मां कालरात्रि बुरी शक्तियों से रक्षा करती हैं और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हैं.

मां कालरात्रि की पूजा

नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की विशेष रूप से पूजा की जाती है. इस दिन मां को काले रंग के फूल, फल और मिठाई अर्पित किए जाते हैं. मां कालरात्रि की पूजा करने से मन शांत होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

मां कालरात्रि का मंत्र

मां कालरात्रि का मंत्र इस प्रकार है -

कालरात्रि महामाये महायौगिनि सिद्धये। वरदे कामरूपिण्यै नमोऽस्तु ते देवि।।

इस मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

मां कालरात्रि नवदुर्गा का एक अत्यंत शक्तिशाली रूप हैं. वे शक्ति, साहस और मोक्ष की देवी हैं. मां कालरात्रि की पूजा करने से जीवन में सफलता मिलती है और बुरी शक्तियों से रक्षा होती है.