गुलाल गोटा: जयपुर की होली का अनोखा रंग, गंगा-जमुनी तहज़ीब की अनूठी मिसाल

Story by  फरहान इसराइली | Published by  [email protected] | Date 14-03-2025
Gulal Gota: The unique color of Jaipur's Holi, a unique example of Ganga-Jamuni culture
Gulal Gota: The unique color of Jaipur's Holi, a unique example of Ganga-Jamuni culture

 

फरहान इसराइली/जयपुर

होली के रंगों से सराबोर गुलाबी नगरी जयपुर अपनी शाही होली के लिए मशहूर है. यहां के बाजारों में रंग, पिचकारी और मिठाइयों के साथ एक खास परंपरा भी देखने को मिलती है—गुलाल गोटा. जयपुर के ऐतिहासिक मनिहारों का रास्ता इस अनोखी कला का केंद्र है, जहां पीढ़ियों से मुस्लिम कारीगर न सिर्फ लाख की चूड़ियां बनाते हैं, बल्कि होली के लिए खास गुलाल गोटे तैयार करते आ रहे हैं.

jaipurक्या है गुलाल गोटा?

गुलाल गोटा एक छोटी लाख की गेंद होती है, जिसके अंदर खुशबूदार गुलाल भरा जाता है. जब इसे किसी पर फेंका जाता है, तो यह टूटकर रंग बिखेर देती है. इसकी खासियत यह है कि यह पूरी तरह प्राकृतिक और सुरक्षित होता है, जिससे किसी को कोई एलर्जी या जलन नहीं होती.

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सदियों पुरानी परंपरा, शाही होली की शान

गुलाल गोटे से होली खेलने की शुरुआत राजा-महाराजाओं के दौर से हुई थी. बताया जाता है कि जयपुर के राजाओं ने होली को और आकर्षक बनाने के लिए कारीगरों से कुछ नया बनाने को कहा था.

तभी लाख से बनी यह गेंद तैयार की गई, जिसे राज परिवारों ने हाथों-हाथ अपना लिया। तब से ही गुलाल गोटे से शाही होली खेलने की परंपरा चली आ रही है.

कारीगरों की पीढ़ियां निभा रही हैं परंपरा

जयपुर के मनिहार समुदाय के कारीगर पिछले सात पीढ़ियों से यह कला संजोए हुए हैं. इन कारीगरों में असलम, रिफाकत सुल्ताना, मकसूद अहमद, अमजद खान और जमीर अहमद प्रमुख हैं, जो इस विरासत को जीवित रखे हुए हैं.

जमीर अहमद बताते हैं,
"गुलाल गोटे की शुरुआत हमारे पूर्वजों ने की थी. जब राजा-महाराजाओं ने कुछ नया करने को कहा, तो हमारे बुजुर्गों ने यह परंपरा शुरू की. तब से लेकर आज तक हम इसे बना रहे हैं."

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कैसे बनता है गुलाल गोटा?

गुलाल गोटा बनाने की प्रक्रिया बेहद दिलचस्प और जटिल होती है:

  1. लाख को गरम किया जाता है और उसे बांसुरी नुमा औजार पर चढ़ाकर फूंक मारकर गुब्बारे जैसा फुलाया जाता है.
  2. इसे ठंडा कर सेब जैसा आकार दिया जाता है.
  3. फिर इसमें खुशबूदार गुलाल भरा जाता है, जिसे पूरी तरह प्राकृतिक और सुरक्षित बनाया जाता है.
  4. इसके बाद इसे सील कर अंतिम रूप दिया जाता है.

गुलाल गोटे का बढ़ता कारोबार

जयपुर से गुलाल गोटा अब न केवल भारत में, बल्कि जर्मनी, जापान, ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों में निर्यात किया जा रहा है.. यह सिर्फ एक व्यापार नहीं, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल भी है..

गंगा-जमुनी तहज़ीब की अनूठी पहचान

गुलाल गोटा धर्म और समुदाय की दीवारों को तोड़ते हुए एकता का संदेश देता है. इसे बनाने वाले मुस्लिम कारीगर हैं, जबकि इसे खरीदने और खेलने वाले ज़्यादातर हिंदू समुदाय के लोग हैं.

जयपुर की संस्कृति हमेशा सभी धर्मों को साथ लेकर चलने वाली रही है और गुलाल गोटा इसकी सबसे खूबसूरत मिसाल है.

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"गुलाल गोटा केवल एक होली का सामान नहीं, बल्कि यह प्यार, मेल-जोल और अपनापन का संदेश देने वाला एक सांस्कृतिक धरोहर है."