G20 के साथी : भारत और ओमान के रिश्ते और होंगे मज़बूत

Story by  फिदौस खान | Published by  [email protected] | Date 07-09-2023
भारत और G20 के साथी : भारत और ओमान के रिश्ते और होंगे मज़बूत ओमान के रिश्ते और होंगे मज़बूत
भारत और G20 के साथी : भारत और ओमान के रिश्ते और होंगे मज़बूत ओमान के रिश्ते और होंगे मज़बूत

 

-फ़िरदौस ख़ान

भारत और ओमान के बीच बेहतर रिश्ते हैं. दोनों ही देश अरब लीग, खाड़ी सहयोग परिषद, हिन्द महासागर रिम एसोसिएशन और आर्थिक सहयोग के प्रमुख मंच जी 20के सदस्य हैं. दोनों देशों के बीच साल 1955में राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे. ओमान पहला खाड़ी देश है, जिसने भारत के साथ औपचारिक सैन्य संबंध क़ायम किए हैं.

ओमान की सेनाओं के साथ भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेनाएं नियमित सैन्य अभ्यास करती हैं. दोनों देशों ने साल 1993में पहली बार संयुक्त सैन्य अभ्यास किया था. फिर साल 2008में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओमान यात्रा के बाद ये संबंध रणनीतिक साझेदारी में बदल गए और रक्षा सहयोग को और बढ़ावा मिला.

भारतीय नौसेना के पास ओमान में बर्थिंग अधिकार है. यह अक्टूबर 2008 से अदन की खाड़ी में एंटी पायरेसी ऑपरेशन के लिए ओमान की बंदरगाहों का इस्तेमाल कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ़रवरी 2018 की यात्रा के दौरान ओमान के सुल्तान क़ाबूस बिन अल सैद से मुलाक़ात की थी.

इसके बाद दोनों देशों ने आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे. इनमें दीवानी और व्यवासायिक मामलों में क़ानूनी और न्यायिक सहयोग, राजनयिक, विशेष सेवा और आधिकारिक पासपोर्ट धारकों को वीज़ा में आम सहमति से छूट, स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग, अंतरिक्ष के शांतिपूर्वक प्रयोग में सहयोग, भारत में विदेश मंत्रालय के तहत विदेश सेवा संस्थान और ओमान राजनयिक संस्थान के बीच सहयोग, ओमान के नेशनल डिफ़ेंस कॉलेज और भारत के रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान के बीच शैक्षणिक सहयोग, भारत और ओमान के बीच पर्यटन सहयोग के क्षेत्र में सहमति और सैन्य सहयोग शामिल हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओमान की राजधानी मसक़त में भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा था कि दोनों देशों के सियासी माहौल में उतार-चढ़ाव के बावजूद भारत और ओमान के रिश्ते हमेशा मज़बूत रहे हैं. इन्हें मज़बूत करने में ओमान में रह रहे आप्रवासी भारतीयों ने अहम किरदार अदा किया है.

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भारत की तरह ओमान भी चैन-अमन बनाए रखने का हिमायती है. इसके लिए वह हर मुमकिन कोशिश कर रहा है. भारत ने ओमान के सुल्तान क़ाबूस बिन अल सैद को मरणोपरांत साल 2019 के गांधी शान्ति पुरस्कार से नवाज़ा था.

उन्हें यह सम्मान दोनों देशों के बीच रिश्तों को मज़बूत करने और खाड़ी इलाक़े में अमन को बढ़ावा देने की उनकी कोशिशों के लिए दिया गया था. उन्होंने अपने देश में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक सुधार के अनेक सराहनीय काम किए थे.

उन्होंने महिलाओं की हालत को बेहतर बनाने के लिए काम किया. ओमान में महिलाओं की हालत बहुत अच्छी है. वे तक़रीबन हर क्षेत्र में काम कर रही हैं. वे सरकार में अहम ओहदों पर हैं. संसद के दोनों सदनों में महिलाएं हैं.

उन्हें विदेश में राजदूतों के पदों पर नियुक्त किया गया है. वे तक़रीबन सभी सरकारी विभागों और निजी क्षेत्रों में कार्यरत हैं. वे सेना में भी तैनात हैं. उन्हें मातृत्व व प्रसूतिका अवकाश और समान काम के लिए समान वेतन का दिया जाता है.

यहां महिलाओं को बहुत से अधिकार मिले हुए हैं. ओमान महिलाओं के लिए एक महफ़ूज़ जगह है. वे यहां बेख़ौफ़ होकर अकेले सफ़र कर सकती हैं. यहां महिलाओं के साथ बहुत अच्छा बर्ताव किया जाता है.

दरअसल भारत का ओमान से बहुत पुराना रिश्ता है. इन दोनों देशों के दरम्यान हज़ारों सालों से व्यापार होता रहा है. ओमान में हुए पुरातात्विक उत्खनन के मुताबिक़ तीसरी सदी ईसा पूर्व भारत और ओमान के बीच व्यापार होता था.

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ओमान के गुजरात और मालाबार तट पर स्थित भारतीय प्रदेशों के साथ अच्छे रिश्ते थे. मैसूर साम्राज्य के शासक टीपू सुल्तान ने ओमान में एक राजनयिक प्रतिनिधिमंडल भेजा था. इससे दोनों के पुराने रिश्तों का पता चलता है.

ओमान एशिया महाद्वीप का देश है, जिसे सल्तनत उमान के नाम से जाना जाता है. ऐतिहासिक दस्तावेज़ों के मुताबिक़ पहले ओमान को मगन कहा जाता था. यमन के उमान इलाक़े से एक अरबी जाति के कुछ लोग यहां आकर बस गए थे, उन्हीं के नाम पर इसे उमान कहा जाने लगा.

ईसा पूर्व की छठी सदी से लेकर सातवीं सदी के दरम्यान यहां फ़ारस यानी ईरान के तीन वंशों हख़ामनी, पार्थियन और सासानी की हुकूमत रही. हख़ामनी को पहली फ़ारसी हुकूमत भी कहा जाता है.

यह दुनिया के उन चन्द देशों में शामिल है, जिनमें इस्लाम अपनी शुरुआत में ही आ गया था. सातवीं सदी में अल्लाह के आख़िरी नबी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िन्दगी में ही यहां के बाशिन्दे इस्लाम क़ुबूल करने लगे थे. उस वक़्त इस्लाम को सबसे ज़्यादा विरोध का सामना करना पड़ रहा था. ऐसे में ओमान में इस्लाम को अपनाया जाना बहुत बड़ी बात थी.     

ओमान एक मुस्लिम बहुल देश है. यहां ईसाई, बौद्ध, सिख व अन्य सम्प्रदायों के लोग भी रहते हैं. इनमें आप्रवासी भारतीय भी शामिल हैं. देश की राजधानी मसक़त में दो मन्दिर हैं. एक मन्दिर सौ साल से भी ज़्यादा पुराना बताया जाता है.

इसके अलावा देश के अन्य हिस्सों में बौद्ध मन्दिर और गुरुद्वारे भी हैं. उन्हें अपने-अपने मज़हब के हिसाब से ज़िन्दगी गुज़ारने का हक़ हासिल है. यहां के सभी समुदाय अपने तीज-त्यौहार धूमधाम से मनाते हैं.

यहां कोई किसी दूसरे के मज़हब में दख़लअंदाज़ी नहीं करता. यहां मज़हब के आधार पर किसी से कोई भेदभाव नहीं किया जाता है. इसलिए यहां अमन है. यहां अपराध भी न के बराबर हैं. यहां के बाशिन्दे ‘जियो और जीने दो’ में यक़ीन रखते हैं. ओमान की आधिकारिक भाषा अरबी है. इसके अलावा यहां बलूची, स्वाहिली, अंग्रेज़ी, उर्दू, बांग्ला, हिन्दी और पंजाबी आदि भाषाएं बोली जाती है.

ओमान के लोग मेहमान नवाज़ और अमन पसंद हैं. वे शोर-शराबा पसंद नहीं करते. इस्लामी देश होने की वजह से यहां ऐसा लिबास पहना जाता है, जिससे जिस्म पूरी तरह ढका रहे. इसलिए बाहर से आने वाले पर्यटकों को इस बात का ख़ास ख़्याल रखना पड़ता है.       

ओमान के खानपान पर अरब का गहरा असर है. यहां के ज़्यादातर पकवान मूल रूप से अरब से हैं. लोकप्रिय मजबूस बासमती चावल, गोश्त, सब्ज़ियां और कई तरह के मसाले मिलाकर पकाया जाता है.

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यह तक़रीबन सभी खाड़ी देशों में ख़ूब पसंद किया जाता है. हरीस गोश्त, दालें और अनाज मिलाकर पकाया जाता है. शुवा ग्रील्ड गोश्त है, मेशकक सींख कबाब है और माशूई ग्रील्ड मछली है. यहां हलवा, दूध व मेवों से बनी मिठाइयां, शहद, खजूर, अंजीर व अन्य फल और मेवे ख़ूब खाये जाते हैं.             

ओमान की अर्थव्यवस्था तेल के निर्यात पर आधारित है. साल 2022में ओमान के कच्चे तेल के निर्यात के लिए चीन के बाद भारत दूसरा और अन्य चीज़ों के निर्यात के लिए संयुक्त अरब अमीरात, संयुक्त राज्य अमेरिका और सऊदी अरब के बाद चौथा सबसे बड़ा बाज़ार है.

पर्यटन यहां सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला उद्योग है. पर्यटन की वजह से यहां होटल उद्योग भी ख़ूब फलफूल रहा है. कृषि, पशुपालन और उद्योग भी आमदनी का ज़रिया हैं. भारतीय कम्पनियों ने ओमान में लोहा, इस्पात, सीमेंट, रसायन, उर्वरक, कपड़ा और ऑटोमोबाइल आदि क्षेत्रों में भारी निवेश किया है.

यह भारतीय निवेशकों के लिए बेहतर देश साबित हो रहा है. यहां के लोगों की माली हालत बहुत अच्छी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक़ ओमान के आप्रवासी भारतीय सालाना तक़रीबन 780मिलियन अमेरिकी डॉलर स्वदेश भेजते हैं.

ओमान में खेल ख़ूब लोकप्रिय हैं. हाल में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने यहां के सलालाह में पाकिस्तान को हराकर पहला पुरुष हॉकी 5 एस एशिया कप जीता है. इसके ही भारतीय महिला हॉकी टीम ने थाईलैंड को हराकर पहला महिला हॉकी 5एस एशिया कप का ख़िताब अपने नाम कर लिया है. इस जीत के साथ ही दोनों टीमें हॉकी 5एस विश्व कप 2024में दाख़िल हो गई हैं.

बहरहाल, राजधानी दिल्ली में 9सितम्बर से होने वाले दो दिवसीय जी 20 शिखर सम्मेलन के बाद भारत और ओमान के रिश्ते और ज़्यादा मज़बूत होने की उम्मीद है.  

(लेखिका शायरा, कहानीकार व पत्रकार हैं)