आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
त्यौहारों का मौसम शुरू हो चुका है, और पूरे भारत में दिवाली की तैयारियां जोरों पर हैं. बाजारों में रौनक है, लोग घरों को सजाने, रंगोली बनाने और दीयों व लाइटों से अपने घरों को रोशन करने में व्यस्त हैं.आइए, जानते हैं दिवाली 2024 के बारे में हर जरूरी जानकारी.
जागरण जोश की रिपोर्ट के अनुसार, अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर की सुबह 6:22 बजे शुरू हो रही है और 1 नवंबर की शाम 6:16 बजे तक रहेगी. चूंकि लक्ष्मी पूजा परंपरागत रूप से सूर्यास्त के बाद की जाती है, जब चांद दिखाई देता है, इसलिए 31 अक्टूबर को ही दिवाली का मुख्य पर्व मनाया जाएगा. इस दिन प्रदोष काल और वृषभ काल दोनों का संयोग बन रहा है, जो लक्ष्मी पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है.
दिवाली 2024: लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल के समय रखा जाता है. यह समय मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है.
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 31 अक्टूबर 2024, शाम 06:52 बजे से रात 08:41 बजे तक
प्रदोष काल: शाम 06:10 बजे से रात 08:52 बजे तक
वृषभ काल: शाम 06:52 बजे से रात 08:41 बजे तक
शहर-वार लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, लक्ष्मी पूजा के समय में शहरों के अनुसार मामूली भिन्नता हो सकती है. यहाँ कुछ प्रमुख शहरों के लक्ष्मी पूजा का समय दिया गया है:
नई दिल्ली: शाम 5:36 से 6:16 बजे तक
मुंबई: शाम 6:57 से 8:36 बजे तक
चंडीगढ़: शाम 5:35 से 6:16 बजे तक
पुणे: शाम 6:54 से 8:33 बजे तक
जयपुर: शाम 5:44 से 6:16 बजे तक
कोलकाता: शाम 5:45 से 6:16 बजे तक
बेंगलुरु: शाम 6:47 से 8:21 बजे तक
अहमदाबाद: शाम 6:52 से 8:35 बजे तक
दिवाली के अन्य पर्व
दिवाली का यह पर्व केवल एक दिन का नहीं, बल्कि पांच दिनों का होता है, जिसमें हर दिन का अलग-अलग महत्व है:
धनतेरस (29 अक्टूबर)
इस दिन धन और आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है. लोग इस दिन नए बर्तन, सोना-चांदी, आभूषण या अन्य सामान खरीदते हैं, जो शुभ माना जाता है.
नरक चतुर्दशी( 30 अक्टूबर)
इसे छोटी दिवाली के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन घर की साफ-सफाई की जाती है और बुरी शक्तियों से मुक्ति के लिए विशेष पूजा की जाती है.
मुख्य दिवाली (31 अक्टूबर)
इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। शाम को घरों में दीप जलाए जाते हैं और घर के हर कोने को रोशन किया जाता है ताकि मां लक्ष्मी का स्वागत किया जा सके.
गोवर्धन पूजा (1 नवंबर)
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है, जिन्होंने गोवर्धन पर्वत को उठाकर वृंदावनवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था.
भाई दूज (2 नवंबर)
भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं.
दिवाली का महत्व
दिवाली का त्यौहार हिंदू धर्म में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इसे भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास से लौटने और रावण को पराजित करने की खुशी में मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने घरों को सजाकर, नए वस्त्र पहनकर, प्रियजनों के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करके और स्वादिष्ट मिठाइयों का आनंद लेकर खुशियां मनाते हैं.
दिवाली का त्यौहार एकता और प्रेम का संदेश भी देता है, जो हमारे समाज को मजबूती प्रदान करता है.हिंदू भक्त इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं, जो धन-समृद्धि और बुद्धि के देवता माने जाते हैं. इस पूजा के जरिए सभी घरों में सुख-शांति, संपन्नता और समृद्धि की कामना की जाती है.
दिवाली की तैयारियों में सावधानी
दिवाली का त्यौहार जितना हर्षोल्लास का प्रतीक है, उतना ही यह सावधानी का भी संदेश देता है. पटाखों का उपयोग सुरक्षित तरीके से करना चाहिए, और साथ ही पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कम पटाखों का प्रयोग करना आज की आवश्यकता है.इस दिवाली, घर की साफ-सफाई से लेकर लक्ष्मी पूजा के सभी विधानों का पालन करते हुए, अपने घर में समृद्धि और शांति का स्वागत करें.
दिवाली के इस पावन पर्व पर सभी को ढेरों शुभकामनाएं !