आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
उर्दू अदब और सांस्कृतिक धरोहर के सबसे बड़े मंच जश्न-ए-रेख्ता 2024 के लिए तैयारियाँ शुरू हो गई हैं. यह अदबी महोत्सव 13 से 15 दिसंबर 2024 तक नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा.
रेख्ता फाउंडेशन द्वारा आयोजित यह तीन दिवसीय उत्सव न केवल उर्दू भाषा और साहित्य का जश्न मनाएगा, बल्कि इसमें संगीत, कव्वाली, कहानी सुनाना, मुशायरे और कई अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सम्मिलन होगा.
उद्घाटन और पहली शाम का जलवा
13 दिसंबर को उत्सव की शुरुआत पद्मश्री कैलाश खेर और उनके बैंड 'कैलासा' के शानदार सूफी संगीत प्रदर्शन के साथ होगी. उद्घाटन समारोह में रेख्ता फाउंडेशन की क्रिएटिव डायरेक्टर हुमा खलील ने कहा, "इस साल हमने आयोजन स्थल को और बड़ा और आरामदायक बनाया है ताकि आगंतुकों को एक समृद्ध और कला-अनुकूल अनुभव मिल सके.
हमारा उद्देश्य उर्दू के साहित्यिक और सांस्कृतिक आयामों को गहराई से प्रस्तुत करना है."
उर्दू की बारीकियों को प्रदर्शित करता विविध कार्यक्रम
तीन दिनों में 40 से अधिक सत्रों और 200 से अधिक कलाकारों की प्रस्तुति इस उत्सव को और भी भव्य बनाएगी। इस साल के मुख्य आकर्षण होंगे:
मुशायरे और कविता पाठ: जहाँ हसन कमाल, शमीम अब्बास, और ताहिर फ़राज़ जैसे दिग्गज शायर अपने कलाम पेश करेंगे.
ग़ज़ल और सूफी संगीत: पापोन और अली ब्रदर्स जैसे नामचीन कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगे.
नाटक और कहानी सुनाना: साहिर लुधियानवी के जीवन पर आधारित संगीत नाटक "साहिर कहाँ हो तुम?" और जौन एलिया के जीवन पर आधारित नाटक "जौन एलिया का जिन्न" भी विशेष आकर्षण होंगे.
स्टैंडअप कॉमेडी और खुली नशिस्तें: इस बार स्टैंडअप कॉमेडी और उर्दू शायरी के ओपन माइक सत्र भी नए प्रयोग के रूप में प्रस्तुत किए जाएंगे.
फूड फेस्टिवल और रेख्ता बाजार
रेख्ता फाउंडेशन ने इस साल भी अपने प्रसिद्ध फूड फेस्टिवल 'ऐवान-ए-ज़ायका' को शामिल किया है, जहाँ आगंतुक विभिन्न प्रकार के पारंपरिक पकवानों का आनंद ले सकेंगे। इसके साथ ही रेख्ता बाज़ार में पुस्तकें, हस्तशिल्प, और उर्दू मर्चेंडाइज़ खरीदने का मौका मिलेगा.
पुस्तक विमोचन और चर्चाएँ
उर्दू साहित्य के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चाएँ और पुस्तक विमोचन भी इस महोत्सव का हिस्सा होंगे. जावेद अख्तर इस साल "जौन एलिया की अप्रकाशित कविताओं" और "स्वच्छंद छंद" जैसी किताबों का विमोचन करेंगे. साथ ही, "उर्दू में निस्वानी आवाज़ें" विषय पर शाइस्ता यूसुफ और अर्जुमंद आरा जैसी लेखिकाएँ अपनी राय रखेंगी.
तीसरे दिन का समापन और विशेष कार्यक्रम
15 दिसंबर को उत्सव का समापन एक भावुक और संगीतमय शाम के साथ होगा. जावेद अख्तर, मियांग चांग और जाह्न्वी श्रीमानकर की टीम "मैं कोई ऐसा गीत गाऊँ" नामक विशेष कार्यक्रम में फिल्मों और गीतों के पीछे की कहानियाँ साझा करेंगे.
इसके अलावा, राजा राधा रेड्डी की टीम द्वारा प्रस्तुत सूफी कुचिपुड़ी गायन और कविता सेठ की सिम्फनी "रंगी सारी" भी दर्शकों को मोह लेगी.
रेख्ता फाउंडेशन का उद्देश्य
रेख्ता फाउंडेशन के संस्थापक संजीव सराफ ने कहा, "यह उत्सव न केवल उर्दू भाषा का सम्मान है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग को जोड़ने का भी प्रयास है." उन्होंने इस साल की तैयारी और बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए आयोजन स्थल को और भी बड़ा और सुविधाजनक बनाया है..
कैसे बने इसका हिस्सा?
जश्न-ए-रेख्ता 2024 का हिस्सा बनने के लिए रेख्ता फाउंडेशन की आधिकारिक वेबसाइट jashnerekhta.org पर जाएँ और अपना शेड्यूल तैयार करें. यह उत्सव हर उम्र और वर्ग के लोगों को एक साथ लाने का वादा करता है.
इस साल का जश्न-ए-रेख्ता निश्चित रूप से उर्दू और भारतीय कला संस्कृति प्रेमियों के लिए एक यादगार अनुभव साबित होगा. हालांकि, इस बार इंट्री के लिए मोटी फीस रखी गई है. एक दिन के केवल प्रवेश के लिए करीब 500 रूपये अदा करने होंगे़. तो तैयार हो जाइए, उर्दू की इस महफिल में अपनी जगह बनाने के लिए!