बच्चे भी लड़े हिंदुस्तान की जंगे-आजादी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 14-08-2023
Bishan Singh, a youngest martyrs in India's freedom struggle
Bishan Singh, a youngest martyrs in India's freedom struggle

 

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/1691837588Saquib_Salim.jpgसाकिब सलीम

अंग्रेजों ने बड़ी बेरहमी से, बिशन सिंह नाम के 12 बरस के एक बच्चे के शरीर के कई टुकड़े करके शहीद कर दिया था. बात 17 जनवरी 1871 की है. पंजाब के मालेर कोटला में नामधारी सिखों को अंग्रेज सरकार के गौहत्या को कानूनी मान्यता देने के विरोध में किये हिंसक प्रदर्शन के बाद अंग्रेजों ने 66 देशभक्तों को तोप से उड़ा दिया था.

बिशन सिंह को भी मौत की सजा सुनाई गयी थी, लेकिन फिर उसकी कम उम्र के मद्देनजर अंग्रेज अफसर कोवन ने उससे कहा कि अगर वह अपने सिख गुरु को गाली देगा, तो उसकी सजा माफ हो जाएगी. बिशन सिंह अफसर के पास गया और उसकी दाढ़ी को पकड़ कर नोचने लगा.

चाहकर भी सिपाही अफसर को जब न छुड़ा सके, तो उन्होंने बिशन के दोनों बाजू काट डाले. इसके बाद इस बारह साल के बच्चे का सिर धड़ से जुदा कर दिया गया. और हिंदुस्तान की जंगे-आजादी के सबसे नन्हे शहीदों में बिशन सिंह शामिल हो गए.

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/169183871902_Children_also_fought_in_India's_freedom_struggle_2.jfif

हिंदुस्तान की जंगे आजादी में बच्चों के रोल पर बात कम होती है, लेकिन उनका योगदान बालिगों से कम न था. ओडिशा के धेनकनाल में ब्रह्मनि नदी के नीलकंठापुर घाट पर 11 अक्टूबर 1938 की रात को अंग्रेज सिपाही पहुंचे.

वो क्रांतिकारियों का पीछा कर रहे थे. बाजी राउत एक 12 साल का नाविक वहां अपनी नाव के साथ मौजूद था. सिपाहियों ने उसको हुक्म दिया कि वह उनको नदी पार कराये. लेकिन बाजी जो कि बच्चों की एक ब्रिगेड का स्काउट था, किसी हाल में अंग्रेजों की मदद करने को तैयार न था. धमकी से जब वो न माना, तो सिपाहियों ने उसके शरीर को गोलियों से छलनी कर दिया.

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/169183862302_Nandini_Satpathy.jfif

Nandini Satpathy


इसी ओडिशा में 1939 में एक प्रदर्शन कट्टक में हो रहा था. भीड़ ने सरकारी इमारत को घेर रखा था और नारेबाजी हो रही थी. लेकिन बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे ? एक 8 साल की बच्ची भीड़ से निकलती है और इमारत की छत पर चढ़कर ब्रितानवी झंडे को उतार फेंकती है. ऐसा नजारा न किसी ने देखा था और न ही सोचा था. पुलिस ने इस बच्ची को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया और कोई रहम न खाया. ये बच्ची नंदिनी सत्पथी थी, जो आगे चलकर ओडिशा की मुंख्यमंत्री भी बनीं.

महान क्रांतिकारी शहीद खुदीराम बोस 15 साल के भी न थे, जब पहली बार क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए गिरफ्तार हुए. 16 की उम्र तक वो बम चलाने में निपुण हो चुके थे. वो 17 बरस के थे, जब उन्होंने मुजफ्फरपुर में जज पर बम से हमला किया. फांसी दिए जाने के वक्त उनकी उम्र 18 से कम ही थी. (अंग्रेज उनको 18 से अधिक साबित करते थे.)

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/169183867802_Lieutenant_Asha_Sahay_Chaudhary.jfif

Lieutenant Asha Sahay Chaudhary 


लेफ्टिनेंट आशा सहाय 17 बरस से कम की उम्र में आजाद हिंद फौज की अफसर हो चुकी थी और जंग के मैदान में राइफल चला रही थीं. मौलाना अबुल कलाम आजाद भी 16 से कम के ही थे, जब उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ अपना पहला अखबार छापना शुरू किया था.

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/169183880202_Mulana_Abul_Kalam_Azad.jfif

Mulana Abul Kalam Azad