राकेश चौरासिया
भारत में करवा चौथ पति-पत्नी के बीच मधुर संबंधों, विश्वास और स्नेह-बंधन का पवित्रतम त्योहार है. यह दपंतियों के मध्य प्रेम और एकजुटता का प्रतीक भी है. भारतीय महिलाएं इस त्योहार का बेताबी से इंतजार करती हैं. करवा चौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. महिलाएं अपने जीवन साथी की समृद्धि, खुशहाली और दीर्घायु के लिए इस पर्व पर सूर्योदय से चंद्रोदय तक ‘निर्जला’ व्रत रखती हैं. यानी अन्न तो दूर, जल ग्रहण भी नहीं करती हैं. विवाहित महिलाओं के साथ-साथ कुंआरी कन्याओं में भी यह व्रत चलन में है. कुंवारी लड़कियों में यह मान्यता है कि इस व्रत करने से उन्हें अच्छे योग्य पति / वर की प्राप्ति होगी.
अविवाहित लड़कियों द्वारा करवा चौथ व्रत रखने के बारे में कई भ्रांतियां हैं. इसलिए इन दिनों लड़कियां इससे जुड़े कई सवालों से जूझ रही हैं. क्या अविवाहित लड़कियां करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं? क्या कुंवारी लड़कियां भी रख सकती हैं करवा चौथ का व्रत? अविवाहित लड़की के लिए करवा चौथ क्या है? शादी से पहले करवा चौथ कैसे करें? क्या मैं अपने बॉयफ्रेंड के लिए करवा चौथ कर सकती हूं? कुंवारी लड़कियां किस तरह रखें होने वाले पति के लिए व्रत? क्या कुंआरी लड़कियां भी रख सकती हैं करवा चौथ का व्रत? इस लेख में हम इसी पर विस्तार से चर्चा करेंगे.
करवा चौथ व्रत को करक चतुर्थी भी कहा जाता है. इस वर्ष 2023 में करवा चौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर 2023 की रात 9.30 मिनट पर शुरू होगा. जबकि चतुर्थी तिथि की समाप्ति 1 नवंबर 2023 को रात 9.19 मिनट पर होगी. इसलिए उदयातिथि के अनुसार, करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर 2023, बुधवार को रखा जाएगा.
यह त्योहार मुख्य रूप से लाहौर, मुल्तान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित भारत के उत्तरी राज्यों में मनाया जाता है. करवा चौथ के दिन, विवाहित महिलाएं पूरे दिन कठोर उपवास रखती हैं और चंद्रमा निकलने तक पानी की एक बूंद भी नहीं पीती हैं. पूरे दिन व्रत रखने के बाद शादीशुदा महिलाएं रात में चांद देखने और छलनी से अपने पति का चेहरा देखने के बाद ही यह व्रत तोड़ती हैं. यह व्रत पति को दीर्घायु और वैवाहिक जीवन में सुख प्रदान करने वाला माना जाता है, इसलिए इस व्रत को केवल विवाहित महिलाओं द्वारा ही करने का विधान है.
कुंआरी लड़कियां करवा चौथ व्रत करें या न करें?
कुछ रुढ़िवादी परिवारों में कुंआरी लड़कियों के करवा चौथ व्रत रखने से मना किया जाता है. किंतु पंडितों की राय में किसी भी देवी या देवता को समर्पित किसी भी प्रकार की पूजा या व्रत कभी अनिष्टकारी नहीं होता. किंतु असुर, दानव, राक्षस, यक्ष, गंधर्व, किन्नर, प्रेत आदि की पूजा या तंत्र साधना करना कष्टकारी हो सकती है. देवी और देवताओं की पूजा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती, उसका सुफल मिलना निश्चित है. कुल मिलाकर, अगर कुंवारी लड़कियां करवा चौथ का व्रत रखेंगी, तो उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा, बल्कि देवी-देवताओं का आशीर्वाद अवश्य मिलेगा.
अविवाहित लड़कियां किसके लिए करें करवा चौथ व्रत?
यह व्रत कुंवारी लड़कियां अपने होने वाले होने वाले जीवनसाथी के लिए रख सकती हैं. हालांकि केवल विवाहित महिलाओं से ही इस व्रत की पालना करने की अपेक्षा की जाती है. लेकिन ऐसी अविवाहित लड़कियां, जिनकी जल्द शादी होने वाली हो या फिर अपनी शादी जल्दी करवाने की इच्छा रखती हैं या आदर्श पति प्राप्त करने की कामना करती हो, तो वे भी यह व्रत रख सकती हैं. ज्योतिषियों के अनुसार, अविवाहित लड़कियां अपने मंगेतर के लिए करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं. मंगेतर वह व्यक्ति है, जिसके साथ लड़की का विवाह होना निश्चित हो चुका हो.
करवा मां का आशीर्वाद
भारतीय जनमानस में ऐसी सघन मान्यता है कि अगर कुंवारी लड़कियां करवा चौथ का व्रत रखती हैं, तो उन्हें करवा मां का आशीर्वाद मिलता है. वे करवा चौथ की कथा सुनें और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए.
करवा चौथ में कुंवारी लड़कियों व्रत कैसे करें? करवा चौथ में अविवाहित लड़कियों के लिए पूजा के नियम क्या हैं?
विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए करवा चौथ व्रत और पूजा के नियम अलग-अलग हैं. अगर आप अविवाहित हैं और करवा चौथ का व्रत रखना चाहती हैं, तो सबसे पहले इन नियमों के बारे में जान लें. व्रत के दौरान कुंवारी लड़कियां फल और पानी का सेवन कर सकती हैं. यानी फलाहारी व्रत कर सकती हैं. उन्हें निर्जला व्रत नहीं करना चाहिए. इस दिन कुंवारी लड़कियां सरगी का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि उन्हें सरगी आदि नहीं मिल पाती है. सरगी वह खाद्य सामग्री है, जिसे व्रती महिलाएं एक दिन पहले आखिरी भोजन के तौर पर ग्रहण करती हैं और सरगी सास या रिश्ते की सास द्वारा ही दी जाती है. अविवाहित लड़कियों को अल्प सरगी के स्थान पर पेट भरकर सुस्वादु व्यंजन खाने चाहिए.
अविवाहित लड़कियां संशोधित नियमों के साथ, विवाहित महिलाओं की तरह कड़े उपवास दिशानिर्देशों का पालन किए बिना, दिन के अन्य करवा चौथ संबंधी गतिविधियों और समारोहों में भाग ले सकती हैं. घर की विवाहित महिला सदस्य निर्जला व्रत करेंगी, तो उन्हें थोड़े आराम की आवश्यकता होती है. इसलिए अविवाहित लड़कियां गृह कार्य में सक्रिय रूप से हाथ बंटाकर विवाहित महिला सदस्यों को आराम दे सकती हैं. करवा चौथ का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है और निर्जला व्रत से उनका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. व्रत किसी के स्वास्थ्य की कीमत पर नहीं किया जाना चाहिए. वे फलों के आधार पर व्रत करके पर्याप्त ऊर्जा प्राप्त कर सकती हैं और व्रती महिलाओं के कार्यों में सहयोग कर सकती हैं. खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए आपको सूर्योदय से पहले फलों का रस और भरपूर पानी भी पीना चाहिए.
करवा चौथ व्रत में अविवाहित लड़कियां किसकी पूजा करें?
विवाहित महिलाएं करवा चौथ व्रत के दौरान भगवान शिव, मां पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा करती हैं. लेकिन करवा चौथ के व्रत के दौरान कुंवारी लड़कियों को केवल मां करवा की कहानी सुननी चाहिए और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए.
करवा चौथ में अविवाहित लड़कियां व्रत कैसे खोलें?
विवाहित महिलाएं पहले चंद्रमा का मुख दर्शन करके उसकी पूजा और अर्घ्य प्रदान करती हैं. इस दिन के चंद्रमा को भगवान शिव का स्वरूप समझा जाता है. इसके बाद वे पति का मुख दर्शन और आशीर्वाद ग्रहण करके व्रत की पारणा यानी व्रत खोलती हैं. किंतु अविवाहित लड़कियां चंद्रमा के उदय के समय ध्रव तारा देखकर अपना व्रत खोल सकती हैं. इसके लिए वे चांद निकलने की प्रतीक्षा न करें. यदि धु्रव तारा समझ में न आए, तो वे चंद्र देव का मुख दर्शन करके भी व्रत खोल सकती हैं.
कुंआरी लड़कियां क्या छलनी का उपयोग कर सकती हैं?
करवा चौथ व्रत में सुहागिन महिलाएं चंद्रमा का मुख दर्शन छलनी का प्रयोग करती हैं और फिर चांद को अर्ध्य देती हैं, लेकिन कुंवारी कन्याएं इस व्रत में बिना छलनी का इस्तेमाल किए ही धु्रव तारा या चंद्र भगवान की पूजा कर सकती हैं.
मंगेतर न हो, तो अविवाहित लड़कियां व्रत कैसे खोलें?
विवाहित महिलाएं पति की उपस्थिति में ही व्रत खोलती हैं. पति दूरस्थ हो, तो आजकल महिलाएं उनका चित्र देखकर या वीडियो कॉल करके व्रत खोलती हैं. इसलिए अविवाहित लड़कियां भी पूजा के बाद वीडियो कॉल पर मंगेतर का मुख दर्शन करके व्रत खोल सकती हैं.
मेहंदी की मान्यता क्या है?
यह भी मान्यता कि अगर कुंवारी लड़कियां इस दिन सुहागिन की बची हुई मेहंदी लगाती हैं, तो उन्हें अच्छा वर मिलता है.