जितेंद्र पुष्प/ गया
सिद्धार्थ को बोधगया में बुद्धत्व की प्राप्ति हुई. बुद्ध ने विश्व के जनमानस को विश्वबन्धुत्व का संदेश दिया. इस संदेश का असर आज भी बोधगया के लोगों में रचा-बसा हुआ है.
सत्य, अहिंसा और ज्ञान की भूमि बोधगया में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और बौद्ध नहीं सभी भारतीय रहते हैं. यह सर्वधर्म समभाव की धरती है. इसे यहां की बसावट और गतिविधियों से समझा जा सकता है.
बुद्ध की ज्ञानस्थली महाबोधि महाविहार बोधगया से सटा पूरब में शंकराचार्य मठ है, जहां काफी संख्या में संन्यासी निवास करते हैं. महाबोधि महाविहार के चहारदीवारी से बिल्कुल सटे उत्तर में भव्य जगन्नाथ मंदिर, राम और जानकी मंदिर हैं और दक्षिण-पश्चिम कोने पर एक भव्य मस्जिद है.
महाविहार के पश्चिम कुछ दूरी पर ईसाई सम्प्रदाय का चर्च है तो पश्चिम-उत्तर कोने पर कब्रिस्तान है. सभी धर्म के लोगों में अपने-अपने धर्म के प्रति आस्था है.
यहां से धार्मिक क्रियाकलापों का निर्विघ्न और निर्विवाद रूप से संचालन होता आ रहा है. इन सब के बावजूद बोधगया में धर्म को लेकर कभी भी साम्प्रदायिक सौहार्द नहीं बिगड़ा है. यहां के लोग जाति-धर्म को भूलकर अतिथि देवो भवः के तर्ज पर आतिथ्य सत्कार करते हैं.
गया में अंतर्धार्मिक मंच के सचिव ए एच खान बताते हैं, “बोधगया सर्व धर्म समभाव की धरती है. सिद्धार्थ को इसी स्थान पर बुद्धत्व की प्राप्ति हुई है. बुद्ध ने यहीं विश्वबंधुत्व का संदेश दिया है. यहां एक जाति, सम्प्रदाय, धर्म और स्थान के लोग नहीं बल्कि विभिन्न जाति,सम्प्रदाय, धर्म और स्थान के लोग जाति, धर्म और संप्रदाय के रूप में बंटकर नहीं बल्कि मानव के रूप में रहते हैं.”
खान बताते हैं यहां बुद्ध के संदेश का असर सभी धर्म के लोगों पर है. इस धरती पर सिर्फ भारत ही क्या विश्व के कोने-कोने से आने वाले लोगों को आतिथ्य सत्कार का नमूना पेश किया जाता रहा है. बोधगया सम्पूर्ण विश्व के लोगों को शांति और अमन का संदेश देता रहा है. वे बताते हैं कि अंतर्धार्मिक मंच इसका वाहक है. इस मंच के अध्यक्ष स्थायी रूप से बोधगया स्थित शंकराचार्य मठ के महंत हैं. सचिव मुस्लिम सम्प्रदाय से अजमत हुसैन खान, कोषाध्यक्ष बौद्ध सम्प्रदाय का तेनजिंग लामा है.
इस मंच के कमिटी में हिन्दू, मुस्लिम, बौद्ध, ईसाई, जैन सभी धर्म के दो-दो सदस्य हैं. जो सम्पूर्ण विश्व के लोगों को बुद्ध के विश्व बंधुत्व, शांति और अमन के पैगाम को पहुंचाने का काम कर रहा है.
सिद्धार्थ को बोधगया में ज्ञान प्राप्त होने के कारण यह स्थान अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल और बौद्धों का प्रमुख आस्था का केंद्र है. यहां सालोभर देशी और विदेशी सैलानियों के आवागमन होता रहता है. बोधगया में सभी धर्म के लोगों का व्यावसायिक केंद्र है जहां से व्यवसाय कर परिवार को समृद्ध कर रहे हैं.