Bengaluru gets a new mosque that is a great example of modern Islamic architecture
मलिक असगर हाशमी | नई दिल्ली
बेंगलुरु, जिसे भारत की आईटी राजधानी के तौर पर जाना जाता है, आज सिर्फ तकनीकी प्रगति और स्टार्टअप्स का शहर नहीं रह गया है, बल्कि यह शहर अपने भीतर छिपे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रंगों से भी पहचान बना रहा है. इसी श्रृंखला में एक नई पहचान के रूप में उभरी है – 'बिस्मिल्लाह मस्जिद'.
यह मस्जिद न केवल ईबादतगाह है, बल्कि आधुनिक इस्लामी वास्तुकला और सामाजिक सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण भी है.
बिस्मिल्लाह मस्जिद – बेंगलुरु की रूहानी आत्मा का नया केंद्र
बेंगलुरु के बिस्मिल्लाह नगर में स्थित यह मस्जिद शहर की हलचल और भागदौड़ के बीच एक सुकूनभरी, आध्यात्मिक शरणस्थली का अनुभव कराती है. 1984 में जब बिस्मिल्लाह नगर बसाया गया, तब यह मस्जिद एक झोपड़ी जैसी संरचना थी.
समय के साथ इसे 1998 में पक्की इमारत में बदला गया, और फिर 2020 में मस्जिद के भव्य विस्तार का कार्य शुरू हुआ.तीन वर्षों के कठिन परिश्रम, एकता और समुदाय की भावना के फलस्वरूप इस मस्जिद का निर्माण पूरा हुआ, जिसे मुफ्ती इतिखार साहब की देख-रेख में अंजाम दिया गया.
मलिशिया-इंडोनेशियाई शैली में निर्मित आधुनिक इमारत
मस्जिद का निर्माण कार्य मलिशिया और इंडोनेशिया की इस्लामी वास्तुकला से प्रेरित है. पूरी मस्जिद सफेद पत्थरों से बनी है, जिन पर खूबसूरत खत्ताती (कैलिग्राफी) उकेरी गई है। इसमें अस्मा उल हुस्ना – अल्लाह के 99 नाम – बेहद खूबसूरती से सजाए गए हैं.
लगभग 11,000 वर्ग फुट क्षेत्र में फैली इस मस्जिद की लागत करीब 7 करोड़ रुपये रही, जिसमें से 60 प्रतिशत राशि एक ही परिवार ने दान की, और बाकी 40 प्रतिशत योगदान शहरवासियों और अन्य संगठनों से आया.
केवल नमाज़ नहीं, शिक्षा और सेवा का भी केंद्र
बिस्मिल्लाह मस्जिद केवल एक इबादतगाह नहीं है। यह समाज सेवा और शिक्षा का भी केंद्र है.
700 से अधिक बच्चे, जो सामान्यतः अंग्रेज़ी स्कूलों में पढ़ते हैं, यहां दीनी मकतब में कुरान, उर्दू और इस्लामी तालीम हासिल करते हैं.
मस्जिद की दूसरी मंजिल पर एक रेफरल लाइब्रेरी है, जिसमें सैंकड़ों धार्मिक और ज्ञानवर्धक किताबें उपलब्ध हैं.
पहली मंजिल पर कंप्यूटर हॉल स्थापित किया गया है, जहां आधुनिक डिजिटल शिक्षा की भी व्यवस्था है.
बेसमेंट में महिलाओं के लिए मीटिंग हॉल है, जो समुदाय की बहनों को भी संगठित होने और सीखने का अवसर देता है.
आध्यात्मिक और स्थापत्य सौंदर्य का अद्भुत संगम
मस्जिद का इंटीरियर पूरी तरह सफेद है, जो शांति और पवित्रता का प्रतीक है. वुज़ू (अब्ल्यूशन) की व्यवस्था, साफ-सुथरे शौचालय, और आरामदेह प्रार्थना कक्ष इस मस्जिद को बेंगलुरु की सबसे सुविधाजनक मस्जिदों में से एक बनाते हैं.
तीन मंजिलों पर फैले प्रार्थना कक्ष, संगमरमर की फर्श, विशाल गुंबद और सुंदर मीनारें इसे शहर की भविष्य की मस्जिद बनाती हैं – एक ऐसी मस्जिद जो आधुनिकता और परंपरा को साथ लेकर चलती है.
पता और पहुंच
बिस्मिल्लाह मस्जिद
फेज़ 2, रागीगुड्डा स्लम, तीसरा फेज़, तीसरा क्रॉस रोड, जेपी नगर, बेंगलुरु – 560078
इतिहास से वर्तमान तक – बेंगलुरु की मस्जिदें
जहां एक ओर बिस्मिल्लाह मस्जिद भविष्य की मस्जिद के रूप में उभर रही है, वहीं ओल्ड पुअर हाउस रोड पर स्थित जुम्मा मस्जिद शहर की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है. 19वीं शताब्दी की शुरुआत में हाजी अब्दुल कुद्दुस द्वारा निर्मित यह मस्जिद बेंगलुरु के ऐतिहासिक और धार्मिक इतिहास की साक्षी है.
धार्मिक विविधता का प्रतीक – बेंगलुरु शहर
बेंगलुरु न केवल तकनीकी और सांस्कृतिक केंद्र है, बल्कि यह धार्मिक विविधता का भी प्रतीक है। 741 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस महानगर में
1000+ मंदिर,
400 मस्जिदें,
100 चर्च,
40 जैन डेरा,
3 गुरुद्वारे,
2 बौद्ध विहार,
और 1 पारसी अग्नि मंदिर हैं.
यह आंकड़ा दर्शाता है कि बेंगलुरु सच में भारत की एकता में विविधता की आत्मा को संजोए हुए है.बिस्मिल्लाह मस्जिद सिर्फ ईंटों और पत्थरों की इमारत नहीं है, बल्कि यह विश्वास, सहयोग, सेवा और आध्यात्मिकता का एक जीवंत प्रतीक है.
यह मस्जिद दिखाती है कि कैसे एक समुदाय मिलकर एक ऐसा ढांचा खड़ा कर सकता है जो पीढ़ियों तक न सिर्फ इबादत, बल्कि शिक्षा, ज्ञान और भाईचारे का केंद्र बना रहेगा.