मध्य पूर्व में तनाव, कच्चे तेल की कीमतें चढ़ीं, डॉलर के मुकाबले रुपया 84 के पार

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 12-10-2024
Tension in the Middle East, crude oil prices rise, rupee crosses 84 against the dollar
Tension in the Middle East, crude oil prices rise, rupee crosses 84 against the dollar

 

नई दिल्ली. वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियों और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बीच आखिरी कारोबारी सत्र में रुपया अब तक निचले स्तर पर पहुंचा. पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 84.09 नीचे गिर गया.

हाल ही में डॉलर सूचकांक के 100.50 डॉलर से बढ़कर 102.40 डॉलर पर पहुंचने और स्थिर बने रहने की वजह से रुपया 0.12 की गिरावट के साथ 84.09 पर कारोबार कर रहा है.

ट्रे़ड एक्सपर्ट्स के अनुसार, मध्य पूर्व में तनाव इसका कारण है. इसी वजह से अस्थिरता बनी हुई है. मौजूदा स्थिति की वजह से तेल की कीमतें ऊंची बनी रहेंगी और अल्पावधि में रुपया कमजोर रहेगा. ब्रेंट क्रूड 30 सितंबर को लगभग 69 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 78.92 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया.

इस बीच, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने पिछले नौ दिनों में भारतीय शेयर बाजार में 55,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं.

आखिरी कारोबारी सत्र में रुपया 83.96 के दिन के उच्चतम स्तर तक चढ़ा, लेकिन 84.09 (प्रोविजनल) के सर्वकालिक निम्नतम स्तर पर बंद हुआ.

एलकेपी सिक्योरिटीज के जतिन त्रिवेदी ने कहा, "भारतीय बाजारों से लगातार एफआईआई निकासी ने रुपये को और कमजोर कर दिया है, जो आगे और ज्यादा गिरावट की संभावना का संकेत दे रहा है."

अगर रुपया 84.00 से नीचे रहता है तो रुपये की कमजोरी 84.25-84.35 तक बढ़ सकती है. बाजार के जानकारों का कहना है कि अगर 84.20-84.35 रेंज के बीच रहेगा तो सुधार संभव है, जबकि 83.70-83.80 रेंज के साथ प्रतिरोध देखा जा सकता है.

भारतीय रिजर्व बैंक की रुपये के लचीलेपन और सीमित सट्टा स्थिति पर टिप्पणी से रुपये की चाल धीमी और स्थिर रही है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार, भारतीय रुपया सबसे कम अस्थिर मुद्राओं में से एक बना हुआ है.

जानकारों के अनुसार, कच्चे तेल के आयात पर भारत की निर्भरता रुपये के मूल्य को प्रभावित करती है. कच्चे तेल की कीमतों में उछाल मुख्य रूप से मध्य पूर्व में सप्लाई से जुड़ी बाधाओं की चिंताओं से जुड़ा है.

 

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