वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में गिरावट, सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाया

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 07-04-2025
Oil prices fall in global market, government increases excise duty on petrol and diesel
Oil prices fall in global market, government increases excise duty on petrol and diesel

 

नई दिल्ली
 
केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को घोषणा की गई कि पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 2-2 रुपए की वृद्धि की जा रही है, जो मंगलवार से प्रभावी होगी. हालांकि, वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में गिरावट के कारण दोनों ईंधनों की खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगी. 
 
कच्चे तेल की कम कीमतों से इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम जैसी तेल रिफाइनिंग और मार्केटिंग कंपनियों के लिए उत्पादन लागत कम होगी और उनके खुदरा मार्जिन में वृद्धि होगी. 
 
इससे सरकार उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ाए बिना उत्पाद शुल्क वृद्धि से अधिक राजस्व जुटाने में सक्षम होगी.
 
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने एक्स पर पोस्ट किया, "पीएसयू ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने सूचित किया है कि उत्पाद शुल्क दरों में वृद्धि के बाद पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगी."
 
आदेश के अनुसार पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाकर 13 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपए प्रति लीटर कर दिया गया है.
 
इस कदम का उद्देश्य वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में चार साल के निचले स्तर पर गिरावट के कारण अधिक राजस्व प्राप्त करना है.
 
बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड अप्रैल 2021 के बाद से सबसे कम 63 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है और यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड 59.57 डॉलर पर आ गया है.
 
दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक भारत तेल की कीमतों में गिरावट के कारण लाभ में है.
 
सोमवार को तेल की कीमतों में गिरावट जारी रही, जो करीब 4 प्रतिशत गिर गई, क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव ने मंदी की आशंकाओं को जन्म दिया, जिससे कच्चे तेल की मांग में गिरावट आएगी, जबकि ओपेक + तेल कार्टेल ने सप्लाई बढ़ाने का फैसला किया है.
 
ब्रेंट फ्यूचर्स 2.43 डॉलर या 3.7 प्रतिशत गिरकर 63.15 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया और यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड फ्यूचर्स 3.9 प्रतिशत गिरकर 59.57 डॉलर पर आ गया.
 
दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देश सऊदी अरब ने रविवार को मई में एशियाई खरीदारों के लिए कच्चे तेल की कीमतों में 2.3 डॉलर प्रति बैरल तक की कटौती की.
 
तेल की कीमतों में गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत है क्योंकि देश अपनी कच्चे तेल की जरूरत का करीब 85 फीसदी आयात करता है और तेल की कीमतों में किसी भी गिरावट से देश के आयात बिल में कमी आती है. इससे चालू खाता घाटा (सीएडी) कम होता है और रुपया मजबूत होता है.
 
बाहरी संतुलन को मजबूत करने के अलावा, तेल की कीमतों में गिरावट से घरेलू बाजार में पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमतें भी कम होती हैं, जिससे देश में मुद्रास्फीति कम होती है.
 
सरकार ने यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर पश्चिमी दबाव के बावजूद तेल कंपनियों को रियायती कीमतों पर रूसी कच्चा तेल खरीदने की अनुमति देकर देश के तेल आयात बिल को कम करने में भी मदद की है.
 
अमेरिका और यूरोप के मॉस्को पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद मोदी सरकार रूस के साथ अपने संबंधों को बनाए रखने में दृढ़ रही है.
 
रूस अब इराक और सऊदी अरब की जगह भारत को कच्चे तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है. भारत वास्तव में रूस के समुद्री तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है, जो भारत के कुल तेल आयात का लगभग 38 प्रतिशत है.